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प्रधानमंत्री मोदी के महात्मा गांधी पर विवादित टिप्पणी को लेकर फिल्म निर्माता ने दर्ज कराई शिकायत
Abhishek Rauniyar

Abhishek Rauniyar

प्रधानमंत्री मोदी पर विवादित टिप्पणी के कारण शिकायत दर्ज

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता लुइट कुमार बर्मन ने 29 मई को गुवाहाटी के हातीगांव पुलिस स्टेशन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। यह शिकायत मोदी की उस टिप्पणी के कारण की गई है जिसमें उन्होंने कहा था कि महात्मा गांधी के बारे में किसी को तब तक नहीं पता था जब तक फिल्म 'गांधी' नहीं बनाई गई। उनकी इस टिप्पणी ने व्यापक रोष पैदा कर दिया है।

फिल्म निर्माता की प्रतिक्रिया

लुइट कुमार बर्मन ने मोदी की टिप्पणी को 'अत्यंत अपमानजनक' और महात्मा गांधी का 'अपमान' कहा। उन्होंने कार्रवाई की माँग करते हुए अपनी शिकायत में लिखा कि इस तरह की टिप्पणी से महात्मा गांधी की छवि को ठेस पहुँचती है। बर्मन ने अनुरोध किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कानून की संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई की जाए।

राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी की आलोचना केवल लुइट कुमार बर्मन तक सीमित नहीं रही। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और जयराम रमेश जैसे नेताओं ने भी मोदी के इस बयान की निंदा की। राहुल गांधी ने इसे 'शॉकिंग' कहा और टिप्पणी की कि इस तरह की बातों से गांधीवादी संस्थाओं को नुकसान पहुंचा है।

फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि महात्मा गांधी की विरासत को इस तरह से गलत ढंग से प्रस्तुत करना किसी प्रधानमन्त्री के लिए उचित नहीं है। उन्होंने इसे राष्ट्रपिता का अपमान कहा।

शिकायत का कोई परिणाम नहीं

हालांकि, पुलिस ने मोदी की टिप्पणी के संबंध में कोई FIR दर्ज नहीं की है। हातीगांव पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने शिकायत प्राप्त होने की पुष्टि की है लेकिन इस मामले में अब तक कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की गई है।

जनता का विरोध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस टिप्पणी के बाद जनता के बीच भी नाराजगी देखी गई। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इस विषय पर अपनी प्रतिक्रिया दी और प्रधानमंत्री से माफी की मांग की। कई लोगों ने इसे महात्मा गांधी के प्रति असम्मानजनक करार दिया।

महात्मा गांधी की महत्ता

महात्मा गांधी, जिन्हें राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख व्यक्तित्व थे। उन्होंने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का पालन करके देश को अंग्रेजों के शासन से आजादी दिलाई। उनकी विचारधारा आज भी लोगों को प्रेरित करती है और उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

फिल्म 'गांधी' का महत्व

फिल्म 'गांधी', जिसे रिचर्ड एटनबरो ने निर्देशित किया था, का प्रीमियर 1982 में हुआ था। इस फिल्म में महात्मा गांधी की जीवनी को बड़े परदे पर बखूबी दर्शाया गया था। यह फिल्म न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराही गई थी और इसे कई पुरस्कार मिले थे। इस फिल्म के कारण दुनिया भर में महात्मा गांधी की विचारधारा और उनके जीवन के बारे में जागरूकता बढ़ी थी।

आने वाले समय में क्या होगा?

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि लुइट कुमार बर्मन की इस शिकायत के परिणामस्वरूप क्या कार्रवाई होती है। क्या पुलिस इस मामले को आगे बढ़ाएगी? और क्या प्रधानमंत्री मोदी इस टिप्पणी पर कोई स्पष्टीकरण या माफी मांगेंगे? यह सब आने वाले समय के घटनाक्रम पर निर्भर करेगा।

महात्मा गांधी की प्रतिष्ठा और उनके राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व को ध्यान में रखते हुए, ऐसी टिप्पणियों से बचना अत्यंत आवश्यक है जो उनकी छवि को ठेस पहुंचा सकती हैं। राष्ट्रपिता के रूप में उनका स्थान भारतीय इतिहास में अविस्मरणीय है और रहेगा।

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टिप्पणि

Arjun Sharma

Arjun Sharma

31 मई 2024

भाई लोग, मोदी की गांधी पर की गई वो कॉमेंट काफ़ी डेमॉक्रेटिक नहीं थी, सिटी के PR वर्ल्ड में इससे ब्रांडिंग बाइट भी बनती है, वाकई में फिल्म इंडस्ट्री वालों को एप्रोफ़ाइल मिला। इस केस में लुइट कुमार बर्मन ने लीगल अप्रोच अपनाई, जो कि बिलकुल राइट है। सरकार को ऐसे सेंसिटिव टॉपिक पर थोट फ्रंटली बोलना चाहिए।

Sanjit Mondal

Sanjit Mondal

31 मई 2024

प्रधान प्रधानमंत्री जी की उक्त टिप्पणी ने कई इतिहासकारों को चौंका दिया है 😊 तथ्यों के अनुसार, 1982 में रिचर्ड अट्टेन्बरो की फिल्म 'गांधी' ने विश्व स्तर पर महात्मा गांधी के विचारों को प्रमुखता दी थी। इस संदर्भ में, लुइट कुमार बर्मन की शिकायत कानूनी प्रक्रिया की सही दिशा में एक कदम माना जा सकता है। सभी पक्षों को शांति एवं समझ की भावना के साथ इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए।

Ajit Navraj Hans

Ajit Navraj Hans

31 मई 2024

भाईयों मोदी ने क्या कहा ये सुनके हताशा की बारिश हुई। गांधी की फिल्म बनती तो लोग समझते थे पर अब बात कुछ और है। बहुत सारे लोग सोचते थे कि इतिहास को सिर्फ फिल्म से समझा जा सकता है। लेकिन इस तरह की टिप्पणी से सेंसिटिव टॉपिक को हल्का नहीं किया जा सकता। लुइट कुमार बर्मन ने तुरंत पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज की। यह दिखाता है कि फिल्म निर्माताओं को भी अपनी आवाज़ बुलंद करने का अधिकार है। मुद्दा सिर्फ एक टिप्पणी नहीं बल्कि राष्ट्रीय भावना का अभिव्यक्ति है। ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोई नेता इतिहास को मजाक बना दे। जनता की भावना को समझना ज़रूरी है। सरकार को चाहिए कि ऐसी बातें सोच समझ कर कहे। इतिहासकार भी इस पर जागरूक होना चाहिए। सामाजिक मीडिया पर भी इस पर कई बहस चल रही है। कुछ लोग मोदी को माफ कर रहे हैं कुछ लोग माफी मांग रहे हैं। जो भी हो संतुलित संवाद ही सर्वोत्तम है। अंत में हमें याद रखना चाहिए कि गांधी की शिक्षा अहिंसा और सत्य है। यह सीख हमें हमेशा याद रखनी चाहिए।

arjun jowo

arjun jowo

31 मई 2024

सभी फिल्म निर्माता और नागरिकों को चाहिए कि वे अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाएं। एकजुट होकर हम किसी भी अनुचित टिप्पणी को रोक सकते हैं। इस दिशा में आगे बढ़ते रहें।

Rajan Jayswal

Rajan Jayswal

1 जून 2024

बढ़िया काम, आवाज़ को नहीं दबाने दो! 🌈

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