जापान के मशहूर एनिमेशन फिल्म निर्माता हायाओ मियाज़ाकी को 2024 का प्रसिद्ध रामन मैगसेसे पुरस्कार से नवाजा गया है, जिसे एशिया का नोबेल सम्मान भी कहा जाता है। 83 वर्षीय मियाज़ाकी स्टूडियो घिबली के सह-संस्थापक हैं और उनकी फिल्में जैसे *The Boy and the Heron* और *स्पिरिटेड अवे* ने दुनिया भर में व्यापक प्रशंसा अर्जित की है। उनकी यह जाती उत्कृष्टता केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने अपनी फिल्में के जरिए जटिल मुद्दों को सरल और बालमित्र बनाने का कार्य किया है।
रामन मैगसेसे पुरस्कार फाउंडेशन ने मियाज़ाकी के स्टोरीटेलिंग कौशल की प्रशंसा की है, जिसमें उन्होंने नैतिक स्पष्टता और पर्यावरणीय विषयों को प्राथमिकता दी। मियाज़ाकी की फिल्में जैसे *प्रिंसेस मोनोनोके* और *माई नेबर टोटरो* ने न केवल एनिमेशन के क्षेत्र में नयापन लाया बल्कि मानवता, पर्यावरण और जनसाधारण के बीच संबंधों पर भी ध्यान केंद्रित किया।
फाउंडेशन ने मियाज़ाकी के अलावा अन्य 2024 के विजेताओं की भी घोषणा की है। इन विजेताओं में भूटान के शैक्षिक संघ के संस्थापक कर्मा फुंतशो, युद्ध से संबंधित स्वास्थ्य मुद्दों पर काम कर रही वियतनाम की चिकित्सक गुयेन थी नगोक फुंग, थाईलैंड का रूरल डॉक्टर्स मूवमेंट और इंडोनेशिया की पर्यावरणविद् फरवीजा फरहान शामिल हैं, जो लेउसर इकोसिस्टम को संरक्षित करने के लिए समर्पित हैं।
यह पुरस्कार 1958 में फिलीपींस के पूर्व राष्ट्रपति रामन मैगसेसे के सम्मान में शुरू किया गया और ऐसे व्यक्तियों और समूहों को सम्मानित करता है जो जनता की सेवा और आदर्शवाद को बढ़ावा देते हैं। 16 नवंबर, 2024 को मनीला में होने वाले समारोह में मियाज़ाकी और अन्य पुरस्कार विजेताओं को एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
टिप्पणि
Ahmad Dala
29 मार्च 2025हायाओ मियाज़ाकी को मिला वह सम्मान वास्तव में एक सच्ची दहलीज है, परन्तु यह भी उल्लेखनीय है कि कई युवा एनिमेटर निरंतर कष्ट कर रहे हैं, पर बड़ाई का आघात नहीं मिला। इस पुरस्कार को अक्सर एशिया के उन्नत कलाकारों की चमक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जबकि गुप्त रूप से यह एक राजनैतिक सौदेबाजी भी हो सकती है। उनकी फ़िल्मों के रंग-रूप को भव्य कहा जाता है, परन्तु असल में यह अक्सर सतही नैतिकता को छुपाता है। गिला यह भी है कि गीबली स्टूडियो की आर्थिक शक्ति कितनी बड़ी है, जिससे छोटे स्टूडियो पर दबाव बनता है। अंत में, हमें इस बात पर ज़ोर देना चाहिए कि कला का सम्मान सिर्फ नाम नहीं, बल्कि सतत समर्थन से होना चाहिए।
RajAditya Das
31 मार्च 2025वाह! मियाज़ाकी को नोबेल जैसा सम्मान, दिल छू गया 😍
Rakesh Pandey
1 अप्रैल 2025भाई, तुमने तो बस भावनाओं को हॉटवायर पर लिटा दिया, असली बात तो यह है कि मियाज़ाकी की फ़िल्मों में अक्सर पश्चिमी लेंस से स्क्रिप्ट लिखी जाती है।
और हाँ, इस पुरस्कार की असली वजह राजनैतिक कनेक्शन हो सकती है, इसलिए सबको खुले‑आम देखना चाहिए। 🙂
Harshil Gupta
7 अप्रैल 2025हायाओ मियाज़ाकी का यह सम्मान वास्तव में एशिया के सांस्कृतिक परिदृश्य में एक मील का पत्थर है।
उनकी फिल्में न केवल जादुई दृश्यों से भरपूर हैं, बल्कि गहरी सामाजिक संदेश भी देती हैं।
उदाहरण के तौर पर, "प्रिंसेस मोनोनोके" में पर्यावरण संरक्षण का विषय प्रमुखता से उठाया गया है।
यह दर्शाता है कि एनीमेशन केवल बच्चों के लिए नहीं, बल्कि बड़े दर्शकों के लिए भी विचार प्रदान करती है।
उनकी कार्यशैली में पारंपरिक जापानी कला और आधुनिक तकनीक का मिश्रण है, जो विश्व स्तर पर सराहा जाता है।
फिर भी, हम यह नहीं भूल सकते कि उनकी कई फिल्मों में महिला पात्रों की सीमित भूमिका भी देखी जाती है।
इस पहलू को सुधारने के लिए नए निर्माणकों को समानता की प्रेरणा देनी चाहिए।
मियाज़ाकी ने हमेशा काल्पनिक दुनिया के माध्यम से वास्तविक समस्याओं को उजागर किया है, जैसे युद्ध, पर्यावरणीय क्षय और सामाजिक असमानता।
उनकी कहानी कहने की शैली दर्शकों को भावनात्मक स्तर पर जोड़ती है, जिससे वे पात्रों की यात्रा में खुद को डुबो लेते हैं।
वास्तव में, उनका काम विज्ञान‑फंतासी और वास्तविकता के बीच एक पुल बनाता है।
समकालीन फिल्म निर्माताओं को उनके दृष्टिकोण से सीख लेकर स्थानीय मुद्दों को वैश्विक मंच पर लाना चाहिए।
यह सम्मान न सिर्फ मियाज़ाकी के व्यक्तिगत उपलब्धियों को मान्यता देता है, बल्कि एशिया के सांस्कृतिक निर्यात को भी प्रोत्साहित करता है।
भविष्य में, हमें उम्मीद है कि इस प्रकार के पुरस्कार और अधिक विविध और समावेशी कलाकारों को उभारेँगे।
अंत में, यह प्रेरणा देता है कि कला के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन संभव है, बशर्ते हम सभी मिलकर इसे आगे बढ़ाएं।
Ganesh kumar Pramanik
9 अप्रैल 2025भाई, मियाज़ाकी की बात करते-करते तुम लोगों ने असली मुद्दा भुला दिया!
यह पुरस्कार असल में एशियाई शैक्षणिक एलीट्स का एक शो है, जो अपने खजाने को दिखाने के लिए ये सब कर रहा है।
जैसे‑जैसे एनीमेशन बनता है, वो असल में कॉर्पोरेट फंडिंग का टूल बन जाता है, इसलिए इसको सिर्फ सराहना में खतम नहीं करना चाहिए।
सच में, अगर हम खुले‑आम देखें तो यह वही है जो बड़े बड़े फंडों के पीछे की स्वार्थी नीतियों को छुपाने के लिए बनाया गया एक बड़का दाव है।
दिए गए पैसे का उपयोग भी अक्सर पारदर्शी नहीं होता, और छोटे कलाकारों को पीछे धकेला जाता है।
इसलिए अगले बार जब आप किसी को "नोबेल" कहें तो थोड़ा सोचें, यह सिर्फ एक चमकदार लेबल है, असली कार्य सिर्फ दिखावे के लिए होते हैं।
Simi Singh
14 अप्रैल 2025सबको बताना जरूरी है कि यह पुरस्कार पीछे छिपी एंट्री‑ड्रॉप शैडो नेटवर्क के साथ जुड़े हुए हैं।
गुप्त रूप से यह एक बड़े अंतरराष्ट्रीय एलिट समूह का माध्यम है जो एशिया की सांस्कृतिक सीन को नियंत्रण में रखना चाहता है।
हायाओ मियाज़ाकी को दिया गया सम्मान सिर्फ एक धोखा है, जिससे जनता को भरोसा दिलाया जाता है कि एशिया में वास्तविक कलात्मक स्वतंत्रता है।
वास्तव में, यह एनिमेशन अकादमी की गुप्त रणनीति है जो आर्टिस्टिक नॉर्म्स को शोधन से रोकती है।
जैसे-जैसे हम इस बात को समझते हैं, वैसी ही हकीकत सामने आती है: यह एक बड़ा ऑपरेशन है जो जनता को भ्रमित रखने के लिये बना है।
Rajshree Bhalekar
15 अप्रैल 2025मैं तो बहुत खुश हूँ! 😭 मियाज़ाकी को सम्मान मिलना मेरे दिल को बहुत छू गया। इस खबर से मेरे आँसू बह निकले।