5 दिसंबर, 2025 को भारतीय शेयर बाजार में एक बड़ा मोड़ आने वाला है। Purple Wave Infocom Ltd, Logiciel Solutions Ltd और Exato Technologies Ltd — तीन छोटे और मध्यम आकार के टेक कंपनियाँ — BSE SME प्लेटफॉर्म पर अपनी पहली सार्वजनिक पेशकश (IPO) के बाद लिस्ट होने जा रही हैं। ये कंपनियाँ अब तक निजी रूप से संचालित हो रही थीं, लेकिन अब लाखों छोटे निवेशकों के लिए उनके शेयर खुल जाएंगे। यह केवल एक लिस्टिंग नहीं, बल्कि भारत के SME बाजार की ताकत का प्रमाण है।
क्यों यह लिस्टिंग बड़ी है?
इन तीनों कंपनियों की लिस्टिंग का मतलब है कि उनके शेयर अब सामान्य निवेशकों के लिए उपलब्ध होंगे — चाहे वे दिल्ली के एक छात्र हों या भोपाल के एक छोटे व्यापारी। BSE SME प्लेटफॉर्म उन कंपनियों के लिए बनाया गया है जो बड़े बाजार (Main Board) की कठोर शर्तों को पूरा नहीं कर पातीं। यहाँ न्यूनतम लाभ, पूंजी या वित्तीय रिकॉर्ड की आवश्यकता कम होती है। इसका मतलब है कि ये कंपनियाँ अभी भी विकास की शुरुआती अवस्था में हैं — लेकिन उनकी ग्रोथ पोटेंशियल बहुत ज्यादा है।
चित्तोरगढ़ के 2025 के SME IPO लिस्टिंग कैलेंडर के अनुसार, इन तीनों कंपनियों के लिस्टिंग दिन के लाभ का अनुमान क्रमशः 126%, 193% और 140% रखा गया है। ये आंकड़े अभी तक पुष्टि नहीं हुए हैं — शायद ये पिछले साल के अनुभवों का हिस्सा हैं — लेकिन यह बात स्पष्ट है कि बाजार में इनके प्रति उत्साह बहुत ज्यादा है। ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं आया है, लेकिन ट्रेडर्स के बीच बातचीत में ये कंपनियाँ ‘ड्रीम कॉम्पनीज’ के रूप में चर्चा में हैं।
लिस्टिंग से पहले क्या हुआ?
एक SME IPO का जीवनचक्र एक अच्छी घड़ी की तरह चलता है। लिस्टिंग से 3-5 दिन पहले शेयरों की सब्सक्रिप्शन शुरू होती है। अन्य कंपनियों के अनुभवों से पता चलता है कि अक्सर एंकर निवेशक (जैसे सावधानी से चुने गए फंड्स) पहले शेयर खरीद लेते हैं। उदाहरण के लिए, Methodhub Software Limited की IPO 5 दिसंबर, 2025 को खुली और 9 दिसंबर को बंद हुई। आवंटन 10 दिसंबर को हुआ और लिस्टिंग 12 दिसंबर को हुई। यही तरीका अन्य कंपनियों जैसे ScaleSauce और Flywings Simulator Training ने भी अपनाया।
लेकिन Purple Wave, Logiciel और Exato के मामले में लिस्टिंग तिथि सीधे 5 दिसंबर है — यानी सब्सक्रिप्शन शायद 1-3 दिसंबर के बीच खुला होगा। यह बहुत तेज़ टाइमलाइन है। इसका मतलब है कि इन कंपनियों की आवेदन प्रक्रिया बहुत तेज़ और स्वचालित थी। SEBI के नियमों के अनुसार, SME IPO के लिए कंपनियों को न्यूनतम ₹1 करोड़ का नेट वर्थ, लगातार दो साल का लाभ और एक स्पष्ट व्यापार मॉडल होना चाहिए। ये तीनों कंपनियाँ इन शर्तों को पूरा करती हैं।
निवेशकों के लिए क्या मौका है?
यहाँ बड़ी बात यह है कि SME IPOs में न्यूनतम निवेश बहुत अलग-अलग होता है। Shipwaves Online की IPO में एक शेयर की कीमत मात्र ₹12 थी — यानी ₹1,200 से भी कम में आप इसमें निवेश कर सकते हैं। वहीं, Methodhub Software के लिए न्यूनतम निवेश ₹2,32,800 था। यह अंतर दिखाता है कि SME बाजार में निवेश का रेंज बहुत विस्तृत है।
इसका मतलब है कि अगर आपके पास ₹5,000 हैं, तो आप भी इन टेक स्टार्टअप्स में हिस्सेदार बन सकते हैं। यह मुख्य बाजार की IPOs से अलग है — जहाँ न्यूनतम निवेश ₹10,000 से शुरू होता है। SME बाजार छोटे निवेशकों को एक अलग दुनिया खोल रहा है।
भविष्य क्या है?
इन तीनों कंपनियों की सफल लिस्टिंग के बाद, उनके लिए अगला लक्ष्य BSE के मुख्य बाजार (Main Board) पर जाना होगा। यही रास्ता पहले भी बहुत सी कंपनियों ने अपनाया है — जैसे Zomato और Nykaa। अगर ये तीनों कंपनियाँ अगले 18-24 महीनों में अच्छा प्रदर्शन करती हैं, तो वे अपने शेयरों को मुख्य बाजार में ले जाने के लिए आवेदन कर सकती हैं।
इसके साथ ही, निवेशकों के लिए एक नया रिस्क भी आ रहा है — जल्दी लाभ की उम्मीद। कई लोग इन कंपनियों में इसलिए निवेश कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि लिस्टिंग के दिन शेयर 200% बढ़ जाएंगे। लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता। कुछ SMEs के शेयर लिस्टिंग के बाद गिर भी जाते हैं। इसलिए, निवेश करने से पहले उनके बिजनेस मॉडल, बैलेंस शीट और विकास योजना को ध्यान से देखना जरूरी है।
क्या यह एक ट्रेंड है?
हाँ। 2023 में भारत में केवल 28 SME IPOs हुए थे। 2024 में यह संख्या 62 तक पहुँच गई। 2025 के पहले 11 महीनों में ही 89 SME IPOs हो चुके हैं। यह बताता है कि छोटी कंपनियाँ अब बैंक ऋण के बजाय शेयर बाजार की ओर रुख कर रही हैं। इसका कारण है — निवेशकों का ज्ञान बढ़ रहा है, डिजिटल प्लेटफॉर्म आसान हो रहे हैं, और SEBI ने नियमों को लचीला बना दिया है।
अब तक जो कंपनियाँ लिस्ट हुई हैं, उनमें से 70% ने लिस्टिंग के दिन अच्छा प्रदर्शन किया। यह आंकड़ा अभी तक निवेश के लिए एक अच्छा संकेत है। लेकिन याद रखें — अच्छा प्रदर्शन नहीं, अच्छा बिजनेस ही लंबे समय तक चलता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
SME IPO क्या होता है और यह मुख्य बाजार की IPO से कैसे अलग है?
SME IPO छोटी और मध्यम आकार की कंपनियों के लिए शेयर बाजार में प्रवेश का एक सरल तरीका है। इसके लिए बड़े बाजार की तुलना में कम वित्तीय और प्रशासनिक आवश्यकताएँ होती हैं। यह BSE SME या NSE Emerge जैसे विशेष प्लेटफॉर्म पर होता है। मुख्य बाजार की IPOs में कंपनियों को ₹25 करोड़ से अधिक का नेट वर्थ और 3 साल का लाभ होना जरूरी है, जबकि SME IPO में यह सिर्फ ₹1 करोड़ और 2 साल का लाभ होना काफी है।
Purple Wave, Logiciel और Exato में निवेश करना सुरक्षित है?
कोई भी IPO निवेश के लिए गारंटी नहीं देता। इन कंपनियों का अनुमानित लाभ उत्साह बढ़ा रहा है, लेकिन उनके बिजनेस मॉडल, ऋण और प्रतिस्पर्धा का विश्लेषण करना जरूरी है। अगर ये कंपनियाँ टेक्नोलॉजी, क्लाउड सॉफ्टवेयर या डिजिटल सेवाओं में अपना निकास बना पाती हैं, तो लंबे समय में अच्छा रिटर्न दे सकती हैं। लेकिन जल्दी लाभ की उम्मीद में निवेश न करें।
SME IPO में न्यूनतम निवेश कितना होता है?
यह कंपनी से लेकर शेयर की कीमत पर निर्भर करता है। Shipwaves Online जैसी कंपनी में एक शेयर की कीमत ₹12 थी — यानी ₹1,200 से शुरुआत हो सकती है। वहीं Methodhub Software के लिए न्यूनतम ₹2,32,800 था। यह अंतर निवेशकों को अपनी बजट के अनुसार चुनने की सुविधा देता है।
लिस्टिंग के बाद शेयर की कीमत क्यों बढ़ती या घटती है?
लिस्टिंग के बाद शेयर की कीमत बाजार की मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती है। अगर निवेशकों को लगता है कि कंपनी का भविष्य उज्ज्वल है, तो शेयर की कीमत बढ़ जाती है। लेकिन अगर बिजनेस मॉडल कमजोर दिखता है, या बाजार में आम अविश्वास है, तो कीमत गिर सकती है। ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) इसका अनुमान लगाने का एक संकेत है, लेकिन यह गारंटी नहीं है।
क्या SME IPOs को SEBI ने विशेष रूप से विनियमित किया है?
हाँ। SEBI ने SME IPOs के लिए अलग दिशा-निर्देश बनाए हैं। इनमें आवश्यक वित्तीय जानकारी, लीड मैनेजर की भूमिका, और निवेशकों को जागरूक करने की आवश्यकता शामिल है। इसका उद्देश्य छोटी कंपनियों को समर्थन देना है, लेकिन निवेशकों को धोखा न देना।
क्या ये लिस्टिंग भारतीय टेक इकोसिस्टम के लिए एक मोड़ है?
बिल्कुल। ये तीनों कंपनियाँ डिजिटल सॉफ्टवेयर, क्लाउड सेवाएँ और टेक-बेस्ड समाधान पर काम करती हैं। अगर ये सफल होती हैं, तो देश के छोटे टेक स्टार्टअप्स के लिए एक नया मॉडल बनेगा — जहाँ वे निवेशकों के साथ जुड़ सकें, बिना किसी बड़े वेंचर कैपिटल के। यह भारत के टेक इकोसिस्टम को अधिक विविध और स्थानीय बनाने में मदद करेगा।
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