शाहजहांपुर जिले के टिलहार पुलिस स्टेशन के अन्तर्गत आने वाले गुलामखेड़ा गांव में सोमवार रात लगभग 9 बजे एक झंझटभरी घटना घटी। रम्मूर्ति देवी, जो पहले ही अपने पति राम अवतार को खो चुकी थीं, रात के खाने के बाद थोड़ी देर के लिये घर से बाहर टहलकें। तभी गांव में घुमते एक भटके हुए बैल ने अचानक उनका पीछा किया और तेज़ी से उनके शरीर पर घात कर दिया। चोटें इतनी गंभीर थीं कि 108 पर बुलाए गए एंबुलेंस में उन्हें ले जा रहे डॉक्टरों को भी उसके इलाज में कठिनाई हुई।
एंबुलेंस में यात्रा के दौरान रम्मूर्ति देवी की सांसें थम गईं और वह अस्पताल पहुँचते‑पहले ही इस दुनिया को अलविदा कह गईं। उनकी मृत्यु ने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया। परिवार ने तुरंत पुलिस को सूचित किया, जिसपर इंस्पेक्टर राकेश कुमार ने मौके पर पहुंच कर पंछना किया और शव को उचित प्रक्रिया के तहत संभाला।
रम्मूर्ति देवी के परिवार ने इस दुखद घटना की रिपोर्ट दर्ज करवाई और न्याय की मांग की। दो बेटे विमलेश और विपिन तथा बेटी नानू, अब अपने मां के बिना जीवन की नई राह खोजने को मजबूर हैं। इस बीच, स्थानीय प्रशासन ने कहा कि भटके हुए मवेशियों की समस्या को लेकर पहले ही कई बार चेतावनी जारी की गई थी, परंतु ठोस कदम नहीं उठाए गए।
ग्राम पंचायत ने बताया कि बैलों को मार्जिनल क्षेत्रों में फेंकने की बजाय उन्हें नजदीकी पशु अभयरण तक ले जाने की व्यवस्था करनी चाहिए। साथ ही, ग्रामीण बासियों को भी सतर्क रहने का आग्रह किया गया है, खासकर रात के समय बाहर जाने से बचने की सलाह दी गई है। कई NGOs ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
समुदाय के कुछ प्रतिनिधियों ने कहा कि यदि बैल हमला जैसी घटनाएं दोहराई नहीं गईं, तो ग्रामीण महिला सुरक्षा में सुधार लाना संभव होगा। अभी पुलिस ने मामला दर्ज किया है और आगे की जांच के बाद सजा-सुधार की कार्रवाई तय की जाएगी।
टिप्पणि
Rajshree Bhalekar
24 सितंबर 2025रम्मूर्ति देवी की मौत सुनकर दिल टूट गया है। उनकी कहानी हर गाँव में दर्द की सीख बन गई है। हम सबको आगे ऐसी सड़कों पर सतर्क रहना चाहिए।
Ganesh kumar Pramanik
1 अक्तूबर 2025ये पूरा सिस्टम ही बकवास है, बैलों को पिंजरे में रखो नहीं तो सुबह-सुबह फिर से मार खानी पड़ेगी। ज़्यादा बात नहीं, सीधे तौर पर कहा तो सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। बेचैन हो जाता हूँ जब देखूँ ऐसे हादसे।
Vakiya dinesh Bharvad
8 अक्तूबर 2025सच्चाई तो यही है कि गाँव में सुरक्षा को लेकर हल्का-फुल्का रवैया नहीं चलना चाहिए 😊
Aryan Chouhan
15 अक्तूबर 2025बिलकुल देखो, ऐसे केस में पोलिस का भी टाइम तो नहीं लगता? लगते ही बहुत धीरज चाहिए.
Tsering Bhutia
23 अक्तूबर 2025ग्रामीण क्षेत्रों में मवेशियों की असावधानी से होने वाले हादसे बढ़ते जा रहे हैं।
ऐसी घटनाएं न केवल जीवन को खतरे में डालती हैं बल्कि सामाजिक आंतरिक शांति को भी बाधित करती हैं।
हमें तुरंत स्थानीय प्रशासन और पशु प्रबंधन विभाग के बीच समन्वय बढ़ाना चाहिए।
प्रत्येक गांव में मवेशी पिंजरे की जांच और मरम्मत कराई जानी चाहिए।
मोबाइल ऐप के माध्यम से नागरिकों को अनिवार्य रूप से किसी भी भटका हुआ पशु दिखाने पर सूचना भेजने की व्यवस्था करनी चाहिए।
गाँव के युवाओं को पशु सुरक्षा प्रशिक्षण देना भी लाभदायक रहेगा।
नजदीकी पशु अभयारण्यों में घोड़े और बैलों को सुरक्षित रूप से रखने के लिए अतिरिक्त सुविधाएं बनानी चाहिए।
रात में गांव के मुख्य प्रवेश द्वार पर रोशनी बढ़ाकर संभावित जोखिम को कम किया जा सकता है।
स्थानीय डॉक्टरों को भी आपातकालीन स्थितियों में तेज़ी से प्रतिक्रिया देने के लिए प्रोटोकॉल तैयार करना चाहिए।
इसके अलावा, परिवारों को बीमा योजना के तहत गंभीर चोटों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जानी चाहिए।
सरकार को इस प्रकार के मामलों के लिए एक विशिष्ट ग्रूष्टी बनानी चाहिए जिसमें दंड और सुधारात्मक कदम स्पष्ट हों।
सामाजिक मीडिया पर जागरूकता अभियानों से भी लोगों की सतर्कता बढ़ेगी।
स्कूलों में बच्चों को पशु सुरक्षा के बारे में शिक्षित करना भी एक दीर्घकालिक समाधान होगा।
इन सभी उपायों को लागू करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी आवश्यक है।
अंत में, हम सभी को मिलकर इस दर्दनाक हादसे को दोहराव के बिना समाप्त करने के लिए सामूहिक प्रयास करना चाहिए।
रम्मूर्ति देवी की स्मृति में हम एक सुरक्षित और सशक्त ग्रामीण समाज बनाने का संकल्प लें।
khajan singh
30 अक्तूबर 2025सुरक्षा प्रोटोकॉल में प्रिवेंटिव मॉड्यूल को एन्हांस करना आवश्यक है, ताकि बैल-इनवेसन जैसी एनॉमलीज़ को कम किया जा सके 😊। इंटर-डिपार्टमेंटल कोऑर्डिनेशन के तहत एग्रिकॉल्चरल रीइनफोर्समेंट प्लान लागू होना चाहिए।
Dharmendra Pal
6 नवंबर 2025इंटरडिपार्टमेंटल कोऑर्डिनेशन की जरूरत साफ है यह कदम ग्रामीण सुरक्षा में सुधार लाएगा