जब रमेश्वर लाल डूड़ी, राष्ट्रपति, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 3 अक्टूबर 2025 को बीकानेर में मृत्यु हो गई, राज्य‑पार राजनीति के कई दरवाज़े बंद हो गए। 62 साल की उम्र में, लगभग 25 महीने तक कोमा में रहे डूड़ी ने अपने घर के कोने में रात 1:00 बजे अन्तिम साँस ली। उनका निधन सिर्फ एक वैयक्तिक क्षति नहीं, बल्कि राजस्थान कांग्रेस के अंदरूनी संतुलन को भी हिला कर रख देगा।
रजतपुर के नोकहा गांव में 1 जुलाई 1963 को जन्मे डूड़ी, जेष्ठ किसान माता‑पिता जेठा राम डूड़ी और आशा देवी के बड़े बेटे थे। उनके पिता नोकहा पंचायत समिति के प्रधान रहे, जो युवा रमेशवर को राजनीति की पहली झलक दिखा गई। 1995 में ही उन्होंने नोकहा के प्रधान का पद संभाला और चार साल तक स्थानीय विकास कार्यों में हाथ बंटाया। उस दौरान, जल तालाब, सड़कों और प्राथमिक स्कूलों के निर्माण में उनका योगदान ग्रामीण क्षेत्र में "परिवर्तन का चेहरा" बन गया।
1999 में उन्होंने लोकसभा के सदस्य के रूप में बीकानेर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। पाँच साल के कार्यकाल में वे खाद्य, नागर आपूर्ति एवं सार्वजनिक वितरण समिति के सदस्य भी रह चुके थे, जहाँ उन्होंने वार्षिक वारंटेड प्रावधान में 12% की कमी करने की पहल की।
संसद के बाद, 2005‑2010 तक उन्होंने बीकानेर जिला प्रमुख का पद संभाला। इस दौरान उन्होंने जिला‑स्तर के उद्योग विकास को तेज किया, जिससे बीकानेर में 1,200 नई रोजगार सृजित हुए। 2013 में नोकहा से विधानसभा का टिकट लेकर चुनाव जिता और अगले पाँच साल तक राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के प्रमुख आवाज़ बने।
2013‑2018 के काल में डूड़ी ने कांग्रेस को कांग्रेस के बुनियादी मुद्दों को उजागर करने में मदद की – खासकर जल सुरक्षा, किसान आय और शहरी‑ग्रामीण असमानता। 2014 में जब उन्होंने बॉलीवुड के दिग्गज धर्मेंद्र को बीकानेर में चुनौती दी, तो चुनाव दरबार का माहौल "सिनेमा‑राजनीति" की अद्भुत मिश्रण में बदल गया। भले ही वह हार गए, पर यह मुकाबला उनकी जनसंख्या में लोकप्रियता को नए स्तर पर ले गया।
2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें बीपीजी के बिरायलाल बिश्नोई ने हाराया, पर डूड़ी ने फिर भी पार्टी के भीतर आंतरिक रणनीति को पुनः व्यवस्थित करने में अहम भूमिका निभाई। 2022 में उन्हें राजस्थान राज्य एग्रो‑इंडस्ट्रीज डवलपमेंट बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जहाँ उन्होंने कृषि‑प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित कर राज्य की निर्यात क्षमता को 18% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा।
अगस्त 2023 में डूड़ी को मस्तिष्क स्ट्रोक का झटका लगा और वह लगभग दो साल तक कोमा में रहे। उनके चिकित्सीय रिकॉर्डों के अनुसार, स्ट्रोक के बाद भी उनका रक्तचाप स्थिर रहा, पर न्यूरोलॉजिकल जाँच में काफी कमी आई। 3 अक्टूबर की सुबह, जब बीकानेर के वैद्य मागरम् कॉलोनी में उनका परिवार घबरा गया, तो तत्काल चिकित्सा टीम ने जीवन समाप्ति की पुष्टि की।
जैसे ही खबर फैली, कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता उनके घर के बाहर जमा हो गए। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक झालोत ने आँखों में आँसू लिए कहा, "रमेश्वर ने हमेशा जनता के दिल में जगह बनाई, उनका वैर नहीं बल्कि प्यार ही था।" पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटसरा ने भी कहा, "उनकी अंतर्दृष्टि और उत्साह हमें हमेशा प्रेरित करेगा।" उनके साथ कई स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता, किसान समिति के प्रमुख और युवा नेता भी बियर ले जाने में मदद कर रहे थे।
डूड़ी के निधन से राजस्थान कांग्रेस के भीतर रणनीतिक असंतुलन बढ़ रहा है। वह अक्सर पार्टी के "ग्रामीण कनेक्शन" को बनाए रखने वाले थे; उनका अभाव युवा कार्यकर्ताओं के बीच नेतृत्व के गैप को बढ़ा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि बीकानेर में आगामी स्थानीय चुनावों में बीजेपी को उपयोगी लाभ मिल सकता है, क्योंकि कांग्रेस को अब एक अनुभवी नेता की कमी झेलनी पड़ेगी।
फिर भी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने आश्वासन दिया है कि डूड़ी की नीति‑दृष्टि को आगे बढ़ाया जाएगा। एग्रो‑इंडस्ट्री बोर्ड में उनकी योजनाओं को अगले साल के बजट में प्राथमिकता देने की बात कही गई है। इस बीच, कई राजनीतिक विश्लेषक डूड़ी की "भू‑सुरक्षा" और "किसान‑वार्ता" को पार्टी के भविष्य के नारे के रूप में अपनाने का सुझाव दे रहे हैं।
डूड़ी का जीवन "स्थानीय से राष्ट्रीय तक" की एक सच्ची कहानी है। उन्होंने पैन्चायती राज के छोटे ग्राम से लेकर संसद के उच्चस्तरीय मंच तक का सफर तय किया, और फिर राज्य के प्रमुख विरोधी नेता की भूमिका निभाई। उनके द्वारा शुरू किए गए जल‑संरक्षण परियोजनाओं, स्वास्थ्य क्लिनिकों और कृषि मूल्य‑संधियों ने आज भी कई ग्रामीण परिवारों की ज़िंदगी में फर्क पैदा किया हुआ है।
अंत में, जैसा कि उनके करीबी मित्र ने कहा – "एक सच्चा नेता कभी नहीं मरता, उसकी छाप हमेशा बनी रहती है।" उनका निधन एक व्यक्तिगत त्रासदी तो है, पर साथ ही यह नव‑लीडरशिप, नई रणनीति और पुनर्निर्माण का अवसर भी लाता है।
डूड़ी को अगस्त 2023 में मस्तिष्क स्ट्रोक हुआ, जिससे 25 महीने तक कोमा में रहना पड़ा। अंत में 3 अक्टूबर 2025 को बीकानेर में उनका हार्ट फ़ंक्शन स्थायी रूप से बंद हो गया, जिसे डॉक्टरों ने मृत्यु मान ली।
डूड़ी ने 1995 में नोकहा गाँव के प्रधान के रूप में पैन्चायती राज में कदम रखा। यह स्थानीय स्तर का कार्यकाल उन्हें 1999 में बीकानेर के लोकसभा उम्मीदवार बनाकर राष्ट्रीय मंच पर ले गया।
डूड़ी ग्रामीण कनेक्शन और किसानों के मुद्दों में मजबूत थे। उनका खालीपन पार्टी को इन क्षेत्रों में नई नेतृत्व की जरूरत पैदा करेगा, जिससे बीजेपी को बीकानेर में वोटों का लाभ मिल सकता है। कांग्रेस का बुनियादी कार्यकर्ता समूह अब पुनर्गठन की प्रक्रिया में है।
वे अभी भी राजस्थान राज्य एग्रो‑इंडस्ट्रीज डवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष थे। बोर्ड ने 2024‑25 में कृषि‑टेक्नोलॉजी के प्रयोग को बढ़ाने की योजना बनाई थी, जिसमें फसल‑भंडारण सुविधा का विस्तार और किसान‑क्लस्टर निर्माण शामिल थे। यह योजना अब बोर्ड के नए अध्यक्ष के तहत जारी रहेगी।
डूड़ी की पत्नी और दो बेटे हैं, लेकिन अबतक उन्होंने राजनीति में सार्वजनिक भूमिका नहीं ली है। पार्टी ने कहा है कि वे परिवार की व्यक्तिगत शोक प्रक्रिया का सम्मान करेंगे और उत्तराधिकार के मामले में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्राथमिकता देंगे।
टिप्पणि
Neha xo
5 अक्तूबर 2025समय के साथ कई नेता हमें पीछे छोड़ देते हैं, पर उनकी मेहनत की कहानी गांव-गांव में अभी भी गूंजती है। उनके कार्यों को याद रखकर नई पीढ़ी को प्रेरणा मिल सकती है।
Rahul Jha
5 अक्तूबर 2025डूड़ी का काम समजना आसान नहीं है 🤔 पर जो लोग इतिहास पढ़ते हैं वो जानते हैं कि उसका हेल्प डेवलपमेंट प्रोजेक्ट एकदम बायोमेट्रिक था 😂
Gauri Sheth
5 अक्तूबर 2025डूड़ी के बिना हमरे गांव की रोशनी कम हो गई है... उइकी मेहनत देख के लोग सच्ची इमानदारी समझते हैं।
om biswas
5 अक्तूबर 2025इतने सालों तक कांग्रेस के कंधे पर भारत का बोझ रखा और अब ये बुढ़ा नेताओं को कब्र तक ले जाता है, बस यही सच्चाई है।
sumi vinay
5 अक्तूबर 2025डूड़ी का योगदान याद रखने से नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी, इसलिए हम सबको उनको सम्मान देना चाहिए।
Venkatesh nayak
5 अक्तूबर 2025यदि हम इस प्रकार के स्थानीय कर्तव्यों को नम्रता से देखेंगे, तो राष्ट्रीय स्तर पर प्रगति का मार्ग स्पष्ट हो जाता है 😊.
rao saddam
5 अक्तूबर 2025चलो भाई लोग! डूड़ी की लहर को जारी रखो! प्रत्येक गाँव में जल संधि स्थापित करो! यही हमें आगे ले जाएगा!!!
jitendra vishwakarma
5 अक्तूबर 2025वो जब पंचायत में था, तो सडकन बदल दिये थे, लेकिन अब के दौर में बहुत जदाद की जरूरत है।
Ira Indeikina
5 अक्तूबर 2025जैसे एक पौधा सूरज की रोशनी बिना नहीं बढ़ पाता, वैसा ही नेता बिना जड़ के नहीं टिक पाते; डूड़ी की जड़ें अब भी जमीन में गहरी हैं।
Anjali Das
5 अक्तूबर 2025राजनैतिक तानेबाने में जब एक मजबूत व्यक्तित्व हट जाता है, तो विपक्ष की धारी कमजोर पड़ती है।
Dipti Namjoshi
5 अक्तूबर 2025डूड़ी का जीवन ग्रामीण राजनीति से लेकर राष्ट्रीय मंच तक का एक विस्तृत प्रवाह है।
उनके शुरुआती कदम में स्थानीय समस्याओं को समझना और समाधान देना प्रमुख था।
नोकहा में जल संरक्षण परियोजनाओं ने कई परिवारों को जल संकट से बाहर निकाला।
इस प्रकार की जल सुरक्षा न केवल आर्थिक स्थिरता लाती है बल्कि सामाजिक एकता भी बढ़ाती है।
जब उन्होंने संसद की ओर कदम बढ़ाया, तो उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य वितरण को सुदृढ़ करने का प्रयास किया।
उनके द्वारा वार्षिक वारंटेड प्रावधान में 12% की कमी से कई छोटे किसान को राहत मिली।
वह हमेशा किसानों की आवाज़ को राष्ट्रीय नीति में मिश्रित करने की कोशिश में लगे रहे।
इन प्रयासों ने कृषि-विकास के नए मानक स्थापित किए।
फिर भी, उनकी सबसे बड़ी शक्ति उनका ग्रामीण कनेक्शन था, जो उन्हें जनता के दिल में विशेष स्थान देता था।
इस कनेक्शन ने उन्हें स्थानीय स्तर पर भरोसेमंद विकल्प बनाया, जिससे उनका प्रभाव कई चुनावों में स्पष्ट था।
उनका असफल चुनाव भी एक संकेत था कि परिवर्तन की आवश्यकता हमेशा स्थायी नहीं रह सकती।
लेकिन वह पुनर्संरेखण के बाद भी पार्टी के भीतर रणनीति को पुनः व्यवस्थित करने में सक्षम रहे।
उनके आखिरी वर्षों में एग्रो‑इंडस्ट्री बोर्ड में काम करते हुए उन्होंने तकनीकी नवाचार को बढ़ावा दिया।
यह पहल स्थानीय किसानों को आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित करने में मददगार साबित हुई।
आज जब हम उनके योगदान का मूल्यांकन करते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि व्यक्तिगत क्षमताओं का सामाजिक प्रभाव में विस्तार कितना महत्वपूर्ण हो सकता है।
इसलिए उनका स्मरण हमें भविष्य में समान दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
Prince Raj
5 अक्तूबर 2025डूड़ी के एक्सिटैशन फेज में इकोसिस्टम कॉरिडोरज़ का इंटीग्रेशन एक स्ट्रेटेजिक माइलस्टोन था, जो अबलीफ बोर्ड में सस्टेनेबिलिटी KPI को रीफ्रेश करता है।
Gopal Jaat
5 अक्तूबर 2025विचार किया जाए तो डूड़ी का निधन राजनीतिक मंच पर एक अध्यारो幕 जैसा है, जहाँ पर प्रकाश की जरूरत है।
UJJAl GORAI
5 अक्तूबर 2025आख़िर में, इतिहास ने फिर से वही कहानी दोहराई।
Satpal Singh
5 अक्तूबर 2025डूड़ी की यादों को संजोकर हम सभी को उनकी नीतियों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी ली जानी चाहिए।