जब राजेश रोकड़े, अध्यक्ष ऑल इंडिया जेम एंड ज्वैलरी डोमेस्टिक काउंसिल ने कहा कि सोने की कीमतों में एक‑तरफ़ा उछाल देखी गई, तब से बाजार में थोक तौला‑तौल लेकर सोना‑चाँदी की कीमतों में भारी सुधार आया है, तो सवाल यही बनता है—क्या यह समायोजन अस्थायी रहेगा या नई स्थिरता का संकेत देगा?
यह घटना 22 अक्टूबर 2025 को दर्ज हुई, जब गुडरिटर्न्स ने 24 कैरेट सोने को ₹12,589 प्रति ग्राम, 22 कैरेट को ₹11,540 तथा 18 कैरेट को ₹9,442 बताया। वहीं न्यूज़एक्स ने 22 कैरेट के लिये ₹11,969 और 18 कैरेट के लिये ₹9,793 के आंकड़े प्रस्तुत किए। दोनों में अंतर छोटे‑से‑भिन्नात्मक प्रतीत होते हैं, परंतु इस अंतर से निवेशकों को कीमत‑सुधार की दिशा का एहसास हो गया।
वैश्विक स्तर पर सोने ने 19 अक्टूबर को $4,381.21 प्रति औंस का ऐतिहासिक शिखर छुआ, फिर 20 अक्टूबर को 6.3 % की गिरावट के साथ सबसे तेज़ एक‑दिन की गिरावट देखी, जो पिछले दो दशकों में सबसे बड़ी थी। 21 अक्टूबर को कीमत $4,004 पर आ गई, यानी शिखर से लगभग $377 नीचे। चाँदी ने 17 अक्टूबर को $54.47 की नई ऊँचाई छुई, लेकिन 20 अक्टूबर को 7.1 % और 21 अक्टूबर को अतिरिक्त 8 % की गिरावट के बाद $48.11 पर आकर ठहर गई।
भारत में चाँदी की कीमतें भी तेज़ी से घटीं; इंडिया टिवी न्यूज़ के अनुसार दो दिनों में कीमत में ₹8,100 की गिरावट हुई, जिससे 22 अक्टूबर को कीमत लगभग ₹1,63,900 प्रति किलोग्राम रह गई।
इसी दौरान दिवाली‑बालिप्रतिपदाभारत के कारण मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) 22 अक्टूबर को बंद रहा। इस वजह से भारत के ट्रेडर वैश्विक बाजार की गिरावट को पूरी तरह महसूस नहीं कर पाए, जबकि वैश्विक स्तर पर बहुत बड़ा उलटा था।
भारत टिवी की रिपोर्ट के अनुसार, 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत अब ₹13,570 तक पहुँच गई, जबकि वही मूल्य 13 अक्टूबर को ₹12,944 था। 22 कैरेट की कीमत ₹11,969 पर स्थिर रही, जबकि 13 अक्टूबर को यह ₹11,865 थी।
टिम वाटरर, प्रमुख बाजार विश्लेषक KCM ट्रेड ने ब्लूमबर्ग न्यूज़ को बताया कि "प्रॉफिट‑टेकिंग की लहरें अब तक की सबसे ऊँची कीमतों पर लग रही हैं"। उनका मानना है कि कई ट्रेडर अब तक के बेहतरीन रिटर्न को देखते हुए अपनी कमाई सुरक्षित करने के लिये बेच रहे हैं।
दूसरी ओर, इंडिया टुडे ने बताया कि दिवाली से पहले MCX पर डिसेंबर सोने के फ्यूचर्स ₹1,28,000 प्रति 10 ग्राम पर बंद हुए, जो पहले के क्लोज़ से 0.21 % नीचे थे। चाँदी के फ्यूचर्स भी 0.22 % गिर गए।
रोकड़े ने कहा, "अगर मैं पिछले चार महीनों को देखूँ तो सोना $3,300 से $4,400 तक बढ़ा, यानी $1,100 की कूद"। उन्होंने जोड़ते हुए कहा कि भारत में 24 कैरेट सोने की कीमत 10 ग्राम पर ₹75,000 से बढ़कर अब ₹1.3 लाख तक पहुँच गई है—एक ऐसी गति जो केवल मूल्य‑स्थिरता के बाद में ही समझ में आती है।
यहां तक कि टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी बताया कि केंद्रीय बैंकों की लगातार खरीदारी, भू‑राजनीतिक तनाव और यू.एस. टैरिफ़ के कारण सोने का समर्थन अब भी मजबूत है, जिससे एक और गहरी गिरावट की संभावना कम दिखती है।
विश्लेषकों का अनुमान है कि MCX का ट्रेडिंग 23 अक्टूबर से फिर से शुरू होगा, तथा खुलते‑ही सोने‑चाँदी के फ्यूचर नीचे की दिशा में खुल सकते हैं। इस बीच, विदेशी बाजारों में अभी भी सस्पेंडेड रिस्क है—उदाहरण के तौर पर, यू.एस. फेड की नीति‑बदलाव और एक‑दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धी मुद्राओं की स्थिति।
यदि केंद्रीय बैंक खरीदारी जारी रहती है, तो यह संभव है कि कीमतें एक- दो सौ डॉलर के पूरे रेंज में स्थिर रहें, जबकि यदि जियो‑पॉलिटिकल तनाव घटते हैं, तो फिर से एक हल्का गिराव देखा जा सकता है। इस प्रकार, निवेशकों को दोनों पक्षों को बराबर‑बराबर देखना चाहिए।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रॉफिट‑टेकिंग और दिवाली के कारण भारतीय ट्रेडर की भागीदारी कम होने से कीमत में त्वरित सुधार आया। साथ ही, केंद्रीय बैंकों की निरंतर खरीदारी और भू‑राजनीतिक तनाव ने मूलभूत समर्थन दिया।
यदि वैश्विक ब्याज‑दर‑नीति में अचानक बदलाव या भू‑राजनीतिक तनाव कम हो गया, तो कीमतों में फिर से गिरावट आ सकती है। परंतु वर्तमान में केंद्रीय बैंकों का खरीदारी मोड और डॉलर्स की कमजोरी लंबी अवधि का समर्थन देती है।
बाजार बंद रहने से भारतीय निवेशकों को वैश्विक मूल्य‑पतन का तुरंत असर महसूस नहीं हुआ, इसलिए फ्यूचर कीमतें अंतर्राष्ट्रीय बाजार के साथ पूरी तरह से समायोजित नहीं हो पाईं। ट्रेडिंग फिर से शुरू होने पर ये अंतर गायब हो सकता है।
चाँदी का औद्योगिक उपयोग अधिक है, इसलिए उद्योगों में उत्पादन घटने या मांग में कमी का असर सीधे कीमत पर पड़ता है। इसके अतिरिक्त, चाँदी की बाजार गहराई सोने से कम है, जिससे मूल्य‑उछाल अधिक तीव्र होते हैं।
फ्यूचर ट्रेडर्स को संभावित हल्की गिरावट की तैयारी रखनी चाहिए, लेकिन बहुत अधिक पोजीशन न लेनी चाहिए क्योंकि मूल्य‑स्थिरता के संकेत अभी भी मौजूद हैं। जोखिम कम करने के लिये स्टॉप‑लॉस सेट करना और वैश्विक आर्थिक डेटा पर नज़र रखना जरूरी है।
टिप्पणि
Rucha Patel
22 अक्तूबर 2025राजेश रोकड़े का बयान देख कर लगता है कि मौजूदा सोने‑चाँदी के सुधार में थोड़ा अति‑उत्साह है। बाजार में अब तक की सबसे बड़ी प्रॉफिट‑टेकिंग लहर देखी गई है, इसलिए कीमतें अस्थायी रूप से ऊपर जा रही हैं। फिर भी लंबी अवधि में केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और अंतरराष्ट्रीय तनाव समर्थन दे सकते हैं। निवेशकों को इस अल्पकालिक उछाल को देखते हुए सावधानी बरतनी चाहिए।