इमरान खान की रिहाई की मांग और प्रदर्शन का उग्रता
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई की मांग करने वाले प्रदर्शनकारी पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद पर मार्च कर रहे हैं। सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन की अवहेलना करते हुए यह प्रदर्शनकारी अपने नेता के समर्थन में आगे बढ़े। प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया क्योंकि इनके और पुलिस के बीच झड़पें बढ़ने लगीं। इस तनावपूर्ण स्थिति के चलते कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई, जबकि अनेक लोग घायल हो गए, जिनमें पत्रकार भी शामिल हैं जो खान समर्थकों द्वारा हमले का शिकार हुए।
सरकार और पुलिस की कार्रवाई
पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने चेतावनी दी थी कि अगर प्रदर्शनकारी हथियारों का प्रयोग करेंगे तो पुलिस जवाबी कार्रवाई में लाइव फायर का प्रयोग करेगी। इमरान खान पहले से ही जेल में हैं और उन्हें 150 से ज्यादा आपराधिक मामलों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, उनके समर्थकों का मानना है कि ये मामले राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं। इसके बावजूद, अधिकारियों का दावा है कि केवल अदालतें ही खान की रिहाई का आदेश दे सकती हैं। इमरान खान को अगस्त 2023 में भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद जेल में डाला गया था।
प्रदर्शनकारियों का इरादा और सरकार की स्थिति
प्रदर्शनकारी इस्लामाबाद के रेड जोन की ओर मार्च कर रहे थे, जहां प्रमुख सरकारी इमारतें स्थित हैं। वे अपनी मंजिल से करीब 10 किलोमीटर दूर थे। सरकार ने पीटीआई को शहर के बाहरी इलाकों में प्रदर्शन करने की पेशकश की थी, लेकिन यह प्रस्ताव खारिज कर दिया गया। प्रदर्शन को विफल करने के प्रयास में पुलिस ने शुक्रवार से 4,000 से अधिक खान समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया है, देश के कुछ हिस्सों में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं हैं, और कंटेनरों से सड़कें अवरुद्ध कर दी गईं हैं।
शिक्षण संस्थानों पर असर और सोशल मीडिया का उपयोग
इस अस्थिर स्थिति के कारण सभी शैक्षणिक संस्थान बंद कर दिए गए हैं। खान के समर्थक सोशल मीडिया पर उनके लिए समर्थन जुटाने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। व्हाट्सएप जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करके वे जानकारियां साझा कर रहे हैं, जिसमें घटनाओं का विवरण भी शामिल हैं। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने इमरान खान की रिहाई की मांग करते हुए सोशल मीडिया पर जोरदार अभियान चलाया है।
इमरान खान की लोकप्रियता और राजनीतिक संघर्ष
भ्रष्टाचार मामले में पहले दोषी ठहराए जाने के बावजूद, इमरान खान अभी भी अपने समर्थकों के बीच लोकप्रियता बनाए हुए हैं। उन्हें 2022 में संसद में विश्वास मत के मुताबिक पद से हटा दिया गया था। उनके खिलाफ चल रहे मामलों और उनके समर्थकों के उग्र आंदोलन ने देश को एक बार फिर अस्थिरता की स्थिति में धकेल दिया है। इस अदालती लड़ाई और प्रदर्शनों का असर आने वाले समय में पाकिस्तान की राजनीति पर कैसे पड़ेगा, यह एक बड़ा सवाल है।
टिप्पणि
Arvind Singh
27 नवंबर 2024अरे बाबू, फिर वही नाटक शुरू हो गया, इमरान की रिहाई की मांग, गली‑गली में जश्न मनाने वाले और फिर से रक्त‑पसीना। तुम्हारी इस मोरक्की‑लड़ाई में कोई असली समाधान नहीं, बस शब्द‑जाल और शोर। यही देख कर लगता है जैसे इतिहास दोहराने वाला टेप लग गया हो।
Vidyut Bhasin
28 नवंबर 2024हम तो सोचते हैं कि इस तमाशे की जड़ें कहीं और हैं-उसे भी तो देखना चाहिए। राजनीतिक दार्शनिकों के पास आत्म‑ज्ञान का राज़ है, पर यहाँ तो बस आवाज़‑भेड़ के कूदते हैं।
nihal bagwan
29 नवंबर 2024इमरान खान के समर्थकों का यह मार्च केवल एक घरेलू राजनीतिक मकोवे नहीं है; यह दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन को पुनः स्थापित करने की कोशिश है। पाकिस्तान में नाजुक राजनीतिक संरचना को देखते हुए, ऐसी प्रदर्शनों से देश की सुरक्षा तंत्र पर दबाव बढ़ता है। यह स्थिति भारत के लिये भी सावधानीपूर्वक देखी जाने वाली है, क्योंकि किसी भी अस्थिरता का प्रभाव पड़ोसी देशों में भी महसूस किया जाता है।
पहले यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग हिंसा के रूप में नहीं होना चाहिए। दूसरा, सरकार को आवश्यक कदम उठाते समय मानवीय हक़ों का सम्मान करना चाहिए। तीसरा, मीडिया को तथ्य‑आधारित रिपोर्टिंग करनी चाहिए, न कि सनसनीखेज़ी। चौथा, सामाजिक मंचों पर जानकारी का प्रसार सत्यापित स्रोतों से होना चाहिए। पाँचवां, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस तनाव को मध्यस्थता के माध्यम से हल करने का प्रयास करना चाहिए। छठा, स्थानीय पुलिस को निहत्थे नागरिकों के खिलाफ घातक बल प्रयोग से बचना चाहिए। सातवां, युवा वर्ग को जिम्मेदारी की भावना जागरूक करनी चाहिए। आठवां, आर्थिक विकास की दिशा में कार्य करने के लिए स्थिरता आवश्यक है। नौवां, हिंसा का कोई भी रूप सामाजिक विघटन को जन्म देता है। दसवां, राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहन देना चाहिए। ग्यारहवां, सभी पक्षों को संवाद के लिए तैयार रहना चाहिए। बारहवां, प्रत्येक कदम का दीर्घकालिक प्रभाव विचार करना चाहिए। तेरहवां, न्याय प्रणाली को स्वतंत्र और निष्पक्ष होना चाहिए। चौदहवां, सार्वजनिक सुरक्षा को सर्वोच्च रखना चाहिए। पंद्रहवां, अंततः, शांति और विकास के लिए सभी को सहयोगी बनना आवश्यक है।
Arjun Sharma
30 नवंबर 2024भाई लोग, इस बात को समझो कि जो लोग इमरान की फैन फॉलोइंग में लगी होई हैं, वो अक्सर सरकारी शब्दजाल को नहीं समझ पाते, बकवास की रिपोर्टें पढ़ते हैं और फालतू एक्सप्रेशंस का इस्तेमाल करके थ्रेड को गड्डी बना देते हैं। इधर‑उधर की जॉबज में तो बस ग्रोविंग बायट्स है, कोई असली डाटा नहीं।
Sanjit Mondal
1 दिसंबर 2024सभी को नमस्कार, इस स्थिति में हमें शांत रहने की आवश्यकता है। हिंसा से समस्या हल नहीं होगी, बल्कि संवाद और कानूनी प्रक्रिया से समाधान निकलेगा। यदि आप सभी इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं, तो आप अपने विचार को शांतिपूर्ण तरीके से व्यक्त कर सकते हैं 😊।
Ajit Navraj Hans
2 दिसंबर 2024देखो यार, इमरान की केस फाइल्स में 150 से ज्यादा मुकदमे हैं, इसका मतलब है कि तुरंत रिहा नहीं किया जा सकता। पुलिस ने फायर किया तो भी यह लीगल प्रॉसीजर के तहत है।
arjun jowo
4 दिसंबर 2024सही बात है, लेकिन हमें सैकड़ों केस देखना चाहिए, फिर ही सही फैसला हो सकता है। चलो मिलकर समझते हैं.
Rajan Jayswal
5 दिसंबर 2024मार्च से सबको क्लियर्ड कर दो।