इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी का 'नमस्ते' से स्वागत
इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने हाल ही में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन में सभी की दिलचस्पी खींचने वाला एक अनोखा कदम उठाया। उन्होंने भारतीय पारंपरिक 'नमस्ते' से अतिथियों का स्वागत किया। यह दृश्य भारतीय संस्कृति की समृद्धता और उसके वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है। जियोर्जिया मेलोनी के इस अभिवादन को देखकर वैश्विक नेताओं में जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन भी प्रभावित हुए। सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो तेजी से वायरल हो गया और भारतीय अभिवादन की सराहना की गई।
'नमस्ते' का प्रतीकात्मक महत्व
'नमस्ते' केवल एक अभिवादन नहीं है, बल्कि यह एक गहरा प्रतीकात्मक अर्थ भी रखता है। यह आत्मीय आदान-प्रदान और सम्मान का प्रतीक है। कोविड-19 महामारी के समय में जब शरीर-सम्पर्क रहित अभिवादन की जरूरत पड़ी, तब 'नमस्ते' का महत्व और भी बढ़ गया। जियोर्जिया मेलोनी का इस पारंपरिक अभिवादन को अपनाना यह दर्शाता है कि वह न केवल भारत की संस्कृति का सम्मान करती हैं, बल्कि वैश्विक परिदृश्य में उसकी प्रासंगिकता भी समझती हैं।
समाज में प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो
मेलोनी का 'नमस्ते' वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। लोगों ने इस कदम की भूरी-भूरी प्रशंसा की और भारतीय संस्कृति को अत्यधिक सराहा। इसने दिखाया कि किस प्रकार संपूर्ण विश्व भारतीय संस्कृति की सरलता और गरिमा की प्रशंसा करता है। इस घटना ने पुरानी यादें भी ताजा कर दीं जब कोरोना के समय शारीरिक दूरी के चलते 'नमस्ते' को एक सुरक्षित और सम्मानजनक अभिवादन के रूप में अपनाया गया था।
जी-7 शिखर सम्मेलन में चर्चा के मुद्दे
जी-7 शिखर सम्मेलन इस बार इटली के खूबसूरत दक्षिणी क्षेत्र में एक लक्जरी रिसॉर्ट में आयोजित किया गया। इस सम्मलेन में प्रमुखता से यूक्रेन और रूस के बीच हो रही युद्ध के प्रति समर्थन पर चर्चा हुई। अमेरिका ने यूक्रेन की सहायता के लिए रूस के जमे हुए संपत्तियों का उपयोग करते हुए 50 बिलियन यूएस डॉलर की आर्थिक सहायता की घोषणा की।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति
इस शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी विशेष निमंत्रण दिया गया था। यह पीएम मोदी का तीसरी बार पदभार संभालने के बाद पहला विदेशी दौरा था। उनकी उपस्थिति ने इस सम्मेलन के महत्व को और बढ़ा दिया, और वैश्विक परिदृश्य में भारत की बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया।
अंतर्राष्ट्रीय माहौल में भारत का महत्व
'नमस्ते' से स्वागत की यह घटना एक छोटा सा कदम हो सकता है, लेकिन यह गहरे अर्थों के साथ आता है। यह दिखाता है कि भारतीय संस्कृति और परंपराएं किस प्रकार वैश्विक स्तर पर अपनाई जा रही हैं। यह भारत के लिए गर्व का विषय है और साथ ही यह वैश्विक समाज में भारतीयता के महत्व को भी दर्शाता है।
जी-7 में भारत की भूमिका
जी-7 सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत को आमंत्रित किया जाना इस बात का संकेत है कि विश्व मंच पर भारत की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण हो गई है। यह भारतीय नेतृत्व की प्रभावशाली कूटनीति और आर्थिक शक्तियों का परिणाम है। नरेंद्र मोदी की उपस्थिति ने यह सुनिश्चित किया कि भारत का दृष्टिकोण और हित इनमें प्रमुखता से शामिल हो।
इस प्रकार, जी-7 शिखर सम्मेलन सिर्फ वैश्विक मुद्दों पर चर्चा का मंच नहीं है, बल्कि यह विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के सम्मान का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। जियोर्जिया मेलोनी के 'नमस्ते' ने यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय संस्कृति और मूल्य वैश्विक स्तर पर भी प्रासंगिक और सम्मानित हैं।
टिप्पणि
gaurav rawat
14 जून 2024भाइयो नमस्ते 🙏, इटली की PM ने ऐसा कदम उठाया तो भारत की संस्कृति को ग्लोबल मंच पर एक नई पहचान मिली है 😊। ऐसे छोटे-छोटे इशारे से अंतरराष्ट्रीय रिश्ते मजबूत होते हैं। चलो हम भी अपने रीति‑रिवाज़ों को गर्व से आगे बढ़ाएं।
Vakiya dinesh Bharvad
14 जून 2024इसे देख कर गर्व महसूस होता है :) भारतीय 'नमस्ते' का सम्मान अब विश्व भर में हो रहा है। इस तरह की सांस्कृतिक विनिमय से दुनिया छोटे करीब लगती है।
Aryan Chouhan
14 जून 2024इह सब दिखावे क चकरा है, फालतू बात।
Tsering Bhutia
15 जून 2024नमस्ते का इतिहास प्राचीन भारतीय सभ्यताओं तक जाता है और यह शारीरिक संपर्क से मुक्त अभिवादन का प्रतीक है।
प्राचीन ग्रंथों में इसे सम्मान और शुद्धता के संकेत के रूप में वर्णित किया गया है।
वर्तमान में, कोविड‑19 महामारी के दौरान यह एक सुरक्षित विकल्प के रूप में व्यापक रूप से अपनाया गया।
ग्लोबल मंच पर इस अभिवादन को अपनाना सांस्कृतिक कूटनीति का श्रेष्ठ उदाहरण है।
इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने इसे चुनकर भारतीय मित्रता की गहरी सराहना को दर्शाया।
ऐसे संकेत से अंतरराष्ट्रीय समझ और सहयोग को बढ़ावा मिलता है।
पहले भी कई प्रतिपक्षीय नेता भारतीय समारोहों में 'नमस्ते' करके दर्शकों के दिल जीत चुके हैं।
यह दर्शाता है कि सहज परम्पराएं भी राजनयिक संबंधों में प्रभावी हो सकती हैं।
हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में इस अभिवादन के विभिन्न रूप मौजूद हैं, जैसे 'वंदे मातरम्' में प्रकट सम्मान।
समाज में इस अभिवादन की लोकप्रियता ने शारीरिक दूरी की अवधारणा को पुनर्परिभाषित किया।
जियोर्जिया मेलोनी के इस कदम से भारत की संस्कृति को नया अंतरराष्ट्रीय मंच मिला।
व्यापार, विज्ञान, और शिक्षा के क्षेत्रों में भी इस सांस्कृतिक पुल का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
भविष्य में, अधिक देशों के नेता इस सादे लेकिन गहरे अर्थ वाले अभिवादन को अपनाने की संभावना है।
ऐसे सांस्कृतिक आदान‑प्रदान से विश्व शांति और समझ की नींव मजबूत होती है।
इसलिए, हमें इस छोटे लेकिन शक्ति‑शाली इशारे को संजोकर रखनी चाहिए और और अधिक लोगों तक पहुंचाना चाहिए।
Narayan TT
15 जून 2024भौमिकतावादी भ्रम केवल सतही शोभा है। वास्तविक शक्ति सांस्कृतिक आत्मज्ञान में निहित है।