शाहिद कपूर की फ़िल्म 'देवा' की समीक्षा: एक्शन और ट्विस्ट से भरपूर लेकिन अधूरी कहानी

'देवा' मूवी की गहन समीक्षा: शाहिद कपूर का दमदार प्रदर्शन

'देवा' एक ऐसी फिल्म है जो आपको सीट से बांध कर रखती है। इसमें शाहिद कपूर एक विद्रोही पुलिस अफसर देवा की भूमिका में हैं, जिसका काम करने का एक अनोखा तरीका है। फिल्म का निर्देशन रोशन एन्ड्रयूज ने किया है, जो इसे एक नया और रोमांचक आयाम देता है। फिल्म की शुरुआत में, देवा एक संवेदनशील केस को हल करता है, लेकिन इससे पहले कि वह सच्चाई को जितनीज तरह से स्थापित कर सके, एक हादसा हो जाता है जिसके फलस्वरूप उसकी स्मृति लोप हो जाती है।

देवा, इसके बाद खुद को एक ऐसे जस्बात से जूझते हुए पाता है, जहाँ उसे अपने ही मामलों की गुत्थी सुलझाने का कार्य करना पड़ता है। इस कथानक में सबसे गहरा मोड़ तब आता है जब वह समझ जाता है कि उसके दोस्त और सह-पुलिस ऑफिसर, रोहन डिसिल्वा का हत्या कर दी गई है। इसके पश्चात, देवा एक मिशन पर निकल पड़ता है ताकि वह अपने मित्र की हत्या का बदला ले सके और उस गद्दार का पता लगा सके जो पुलिस फोर्स से जानकारी अपराधियों को लीक कर रहा है।

शाहिद कपूर की परफॉर्मेंस और फिल्म निर्देशन

फिल्म में शाहिद का अभिनय बहुत ही बेहतरीन है। पहले हिस्से में वह एक ऐसे बागी पुलिस अफसर के रूप में नज़र आते हैं, जो उनके पिछले किरदार 'कबीर सिंह' की याद दिलाता है। जबकि फिल्म के दूसरे हिस्से में उनकी भावुकता और छवि में एक बदलाव आता है, जहाँ वह एक दबे और नर्म-सा किरदार निभाते हैं। यह बदलाव कहानी में गहराई और जटिलता लाता है, जिसे देखने के बाद दर्शक शाहिद की तारीफ करते बिना नहीं रह सकते। फिल्म के निर्देशन की भी काफी सराहना होती है। रोशन एन्ड्रयूज ने कथानक में विविधताएं जोड़ कर दर्शकों को चौंकाने वाले ट्विस्ट्स दिए हैं।

अभिनेत्रियों की भूमिकाएं और बारीकियां

इस फिल्म में पूजा हेगड़े दीया की भूमिका में हैं, जो देवा की प्रेमिका हैं। हालांकि उनके किरदार को अधिकतम अदायगी का मौका नहीं मिलता, जिससे दर्शक यह अनुभव करते हैं कि उन्हें सिर्फ एक चिंतित प्रेमिका के रूप में सीमित कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, कुब्रा सैट के किरदार को भी सतही तौर पर दिखाया गया है। हालांकि ये किरदार प्रमुख नहीं है, परंतु फिल्म में इनकी अधिक गहराई भी हो सकती थी, जो कहानी को और प्रभावी बना सकती थी।

एक्शन और क्लाइमैक्स

फिल्म 'देवा' के एक्शन सीन दर्शकों को बांधे रखते हैं। वे न झूठे होते हैं और न ही जरूरत से ज्यादा लंबे। फिल्म में कई पुलिस चेज़ सीक्वेंस और फाइट सीक्वेंस हैं, जो दर्शकों में खासा जोश भर देते हैं। यह कहना मुनासिब होगा कि इसके अंतिम पल बहुत अप्रत्याशित और रहस्यमयी होते हैं, जो दर्शकों को उनकी सीट पर चिपकाए रखते हैं।

शाहिद कपूर की 'देवा' एक रोमांचक सिनेमा अनुभव है, जिसमें उनका अभिनय सराहनीय है। फिल्म की कुछ कमजोरियां जरूर हैं, लेकिन यह दर्शकों को अंत तक बांधने में सफल होती है। फिल्मों के शौकीनों को इसे अवश्य देखना चाहिए, खासकर शाहिद के प्रशंसकों को जो उनके अनोखे अंदाज को देखना चाहते हैं।

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टिप्पणि

Vakiya dinesh Bharvad

Vakiya dinesh Bharvad

1 फ़रवरी 2025

देवा में पुलिस की जटिल दुनिया को भारतीय संस्कृति के रंग में ढाला गया है 😊
एक्शन सीन में स्थानीय संगीत की झलक मिलती है जो दिल को छू लेती है 😊

Aryan Chouhan

Aryan Chouhan

1 फ़रवरी 2025

भाई ये फिल्म तो बकवास है यार… एक्शन तो ठीक है पर स्टोरी उलझी हुई है वाक़ई… टाइम पास के लिये चलो देखते हैं 🙄

Tsering Bhutia

Tsering Bhutia

1 फ़रवरी 2025

सही कहा गया कि शाहिद ने इस रोल में बहुत मेहनत की है। फिल्म के नरेटिव एलिमेंट्स को समझने के लिए पहले भाग में दर्शकों को ध्यान देना चाहिए। अगर आप एक्शन के साथ थ्रिल चाहते हैं, तो देवा आपको काफी संतुष्ट करेगा। साथ ही, रोशन एंड्रयूज का टेक्निकल एन्हांसमेंट्स काफी प्रभावी हैं, जैसे साउंड डिज़ाइन और कैमरा वर्क। मैं सुझाव दूँगा कि आप ट्रेलर दोबारा देखें, जिससे कहानी की तह समझ में आएगी। इस फिल्म में हर मोड़ पर एक नया पैरडॉक्स सामने आता है, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है। कुल मिलाकर, यह फ़िल्म एक बेहतरीन पैक्ड एंटरटेनमेंट है।

Narayan TT

Narayan TT

1 फ़रवरी 2025

कला की गहराई से वंचित, केवल शोर है।

SONALI RAGHBOTRA

SONALI RAGHBOTRA

1 फ़रवरी 2025

देवा का कथानक एक परतदार संरचना प्रस्तुत करता है, जहाँ प्रत्येक घटना आगे की गुत्थी को सुदृढ़ करती है। पहला अध्याय दर्शक को नायक के अतीत में झाँकने का अवसर देता है, जिससे भावनात्मक जुड़ाव बनता है। फिल्म में शाहिद कपूर ने अपने चरित्र के आंतरिक संघर्ष को बारीकी से उकेरा है, जो उनकी अभिव्यक्ति शक्ति को उजागर करता है। उनके एक्शन सीन सिर्फ दिखावे से आगे बढ़कर चरित्र विकास का माध्यम बनते हैं। रोशन एंड्र्यूज ने कैमरा एंगल्स और लाइटिंग के माध्यम से निराशा और आशा दोनों को प्रभावी रूप से चित्रित किया है। संगीत की पृष्ठभूमि में उपयोग किए गए लोक संगीत तत्वों ने फिल्म को सुस्पष्ट भारतीय तान दिया है। पटकथा में कई मोड़ हैं, जो दर्शक को लगातार अनुमान लगाने के लिए प्रेरित करते हैं। हालांकि, कहानी के मध्य में कुछ समय में गति धीमी लगती है, परंतु यह विन्यास नायक के मनोवैज्ञानिक परिवर्तन को दर्शाता है। दूसरी ओर, पूजा हेगड़े की भूमिका को और अधिक गहराई दी जा सकती थी, क्योंकि वह नायक के लिए प्रेरणा स्रोत बनने की संभावना रखती है। कुबरा सैट का किरदार संक्षिप्त रूप से प्रस्तुत किया गया, परंतु उसकी उपस्थिति सस्पेंस को बढ़ाती है। फ़िल्म के क्लाइमैक्स में वह क्षण है, जहाँ सभी लूप समाप्त होते हैं और सभी रहस्य प्रकट होते हैं। यहाँ पर विजुअल इफ़ेक्ट्स ने एक नई परत जोड़ दी, जिससे वह दृश्य यादगार बन गया। अंत में, देवा का संदेश सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध साहस का प्रतीक बनता है। यह दर्शकों को व्यक्तिगत जिम्मेदारी की भावना से भी अवगत कराता है। यदि आप एक सुगठित एक्शन थ्रिलर ढूंढ रहे हैं, तो इस फिल्म को देखना उचित रहेगा। मैं व्यक्तिगत रूप से इस फ़िल्म को अपने दोस्तों को सुझाता हूँ, क्योंकि यह कई पहलुओं पर चर्चा के योग्य है।

sourabh kumar

sourabh kumar

1 फ़रवरी 2025

भाई, मैं भी देखी थी ये मस्ट! बहुत मस्त एक्शन और कहानी का सस्पेंस बखूबी चल रहा था 😁 देखो, अगर तुमको थ्रिल चाहिए तो पक्का देखो, झकम् झकाम् सीन बेस्ट हैं!

khajan singh

khajan singh

1 फ़रवरी 2025

ट्रेंडिंग एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में देवा एक हाई-इम्पैक्ट प्रोजेक्ट है 🚀😊

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