मोज़्तबा खमेनेई - ईरान के संभावित नए युग के नेता
ईरान के वर्तमान समय के परिदृश्य में, एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना उजागर हुई है जहां मोज़्तबा खमेनेई को ईरान के अगले सर्वोच्च नेता के रूप में चुना गया है। यह खबर तब बाहर आई है जब मौजूदा सर्वोच्च नेता अली खमेनेई की सेहत तेजी से गिर रही है और उनके भविष्य के बारे में चिंतन होने लगा है। उनकी प्रशासनिक भूमिका और निर्णयों पर वर्षों का अधिपत्य रहा है और यह परिवार के उत्तराधिकारी की तलाश में काफी अहम समय है।
सितंबर 26 को आयोजित गुप्त बैठक में, जिसमें असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स की उपस्थितियों ने भाग लिया, यह निर्णायक क्षण सामने आया। इस सभा को खमेनेई ने स्वयं इस आग्रह के साथ आमंत्रित किया था कि निर्वाचन प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। अली खमेनेई के स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में खबरें लगातार बाहरी दुनिया तक पहुंच रही थीं, जिसने इस सलाहकार समूह पर अधिक दबाव बनाया। इस समिति का निर्णय संक्रमित और संतुलित था, हालांकि इसे गुप्त रख गया ताकि जनता में उग्रता न फैले।
हाल के वर्षों में मोज़्तबा खमेनेई का उदय
मोज़्तबा खमेनेई का ईरानी राजनीति में उदय और सम्मान हासिल करना कोई अचंभित करने वाली घटना नहीं है। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में, खासकर 2009 के चुनावों के बाद, अपनी भूमिका को मजबूत किया है। उस समय, जब बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, मोज़्तबा ने उनकी शांतिपूर्ण तरीकों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद से ही उनके अधिकार का विस्तार हुआ है।
2021 तक, मोज़्तबा को आधिकारिक तौर पर आयतुल्लाह का शीर्षक दिया गया, जिससे उन्हें संवैधानिक रूप से सर्वोच्च नेता बनने की योग्यता प्राप्त हुई। इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं सीमित नहीं हैं और उन्होंने भविष्य के नेतृत्व के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है। यह बड़ा संकेत था कि ईरानी शासन इस प्रक्रिया को अपने अंडर में रखना चाहता है।
अली खमेनेई की सेहत पर अटकलें
अक्टूबर 2023 में द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि अली खमेनेई गंभीर रूप से अस्वस्थ हैं, और उन पर बहुत सारे अटकलें लगाई जा रही हैं। सोशल मीडिया पर इस खबर के साथ और भी कई अफवाहें उड़ीं कि खमेनेई कोमा में चले गए हैं। हालांकि, ईरानी अधिकारियों ने इन बातों का खंडन किया है।
ईरानी शासन पर बाहरी दबाव और आंतरिक विवादों के बीच, परिवार ही इस फैसले के पीछे मजबूती से खड़ा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे इन बदलावों का क्या असर पड़ेगा और जनता के बीच इसे किस तरह से स्वीकार किया जाएगा।
टिप्पणि
Simi Joseph
18 नवंबर 2024इसी से पता चलता है कि सत्ता में कितना अंधेरा है
Vaneesha Krishnan
25 नवंबर 2024सच में दिल से दया आती है 😊
Satya Pal
3 दिसंबर 2024देखो भाई मोज़्तबा खमेनेई का उदय तो सोचा था नहीं था, उनका इतिहास तो बहुत लंबा है. उन्होंने 2009 के बाद से कदमों को धीरे-धीरे मजबूती से बढ़ाया. अब यह सवाल उठता है कि क्या यह केवल परिवार की वारिसी है या असली शक्ति का बदलाव.
Partho Roy
11 दिसंबर 2024मोज़्ता खमेनेई का नाम अब ईरान की राजनीति में एक नया अध्याय बन रहा है।
उनका सिलसिला दशकों से चलता आ रहा है और अब वह शीर्ष पर पहुँच रहे हैं।
कई विशेषज्ञ कहते हैं कि यह एक रणनीतिक कदम है जिससे सत्ता का केंद्रीकरण मजबूत होगा।
परन्तु सामाजिक वर्गों में यह बदलाव भ्रामक लग सकता है।
पिछले वर्षों में उनकी शांति पूर्ण नीति ने विरोध को कुछ हद तक कम किया है।
अब सवाल यह है कि क्या वह भी उसी दिशा में आगे बढ़ेंगे या फिर कठोर कदम उठाएंगे।
कुछ विश्लेषक मानते हैं कि यह एक जनमत के बिना किया गया निर्णय है।
इस प्रक्रिया में अल्पसंख्यक वर्गों की आवाज़ अक्सर दब जाती है।
फिर भी सरकार ने इसे कानूनी ढांचे में फिट करने की कोशिश की है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस बदलाव को धीरज से देख रहा है।
आर्थिक प्रतिबंधों के बीच यह नया चेहरा कुछ नई नीतियों को लागू कर सकता है।
स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार की बात अक्सर उनके भाषण में आती है।
लेकिन यह देखना बाकी है कि वास्तविक कार्य में क्या परिवर्तन आएगा।
जनता के बीच इस निर्णय को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं।
अन्ततः यह इतिहास का एक मोड़ रहेगा या सिर्फ एक क्षणिक उछाल, समय ही बताएगा।
Ahmad Dala
18 दिसंबर 2024यह चयन स्पष्ट रूप से एक दुर्गम व्यवस्था के भीतर की चाल है, जहाँ सत्ता का ढेर हमेशा वही रहता है, जो अतीत में स्थापित हो चुका है।
RajAditya Das
26 दिसंबर 2024हम्म, ठीक कहा 📌
Harshil Gupta
3 जनवरी 2025यदि हम मोज़्ता खमेनेई की नीतियों को गहराई से देखें तो आर्थिक सुधार और सामाजिक स्थिरता दोनों को संतुलित करने की कोशिश स्पष्ट है। इस पहल में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के कदम भी शामिल हो सकते हैं।
Rakesh Pandey
10 जनवरी 2025भाई, तुम्हारी बात में बहुत गहराई है, लेकिन देखें तो उन्होंने अभी तक concrete योजना नहीं दिखायी, 😐
Simi Singh
18 जनवरी 2025वास्तव में यह सब एक बड़े जाल का हिस्सा हो सकता है जिसमें विदेशी एजेंसियां भी शामिल हैं। साथ ही, अंतर्निहित शक्ति संरचनाएं शायद ही बदलेंगी।
Rajshree Bhalekar
26 जनवरी 2025ये तो बहुत भारी है।
Ganesh kumar Pramanik
3 फ़रवरी 2025देखो, मोज़्त्बा हमेशा से ही थोडा परदेस न्यू फॉर्मुला अपनाया है, लेकिन अभी तक पूरी तरह नहीं। उनको लोगों की भरोसा जीतना पड़ेगा, वरना सब उल्टा पेजेगा।
Abhishek maurya
10 फ़रवरी 2025सच्चाई यही है कि सत्ता में उतारा गया यह व्यक्ति सहज नहीं है; वह अपने पूर्वजों की छाया में ही काम करता है. फिर भी उनकी सार्वजनिक भाषा में कुछ नयापन दिखता है. यह नयापन क्या सच्चा परिवर्तन लाएगा, यही सवाल है. कई बार हम देखते हैं कि बड़ी दावों के पीछे वास्तविक कार्य कम ही होता है.
Sri Prasanna
18 फ़रवरी 2025मैं तो कहूँगा कि यह सब सिर्फ एक कराटे का मूव है, परंतु मैं गलत नहीं हो सकता।
Sumitra Nair
26 फ़रवरी 2025अहा! इस बात को सुनकर तो मेरा हृदय नाच उठा, जैसे कोई नाटकीय मंच दृश्य हो! यह परिवर्तन-क्या यह नाट्यकला की नई कृति होगी या बस एक साधारण तितली की उड़ान? 🙏
Ashish Pundir
5 मार्च 2025इतना सब कहते हो, पर देखेंगे क्या सच में बदलेगा।