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IGST क्या है? समझिए इंटीग्रेटेड जीएसटी की बेसिक बातें

अगर आप भारत में कोई भी सामान या सेवा बेचते‑बेचते थक गए हैं, तो एक शब्द आपका ध्यान ज़रूर खींचेगा – IGST. यह "इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स" का संक्षिप्त रूप है और इसका काम दो राज्य के बीच व्यापार में कर को आसान बनाना है। सरल शब्दों में कहें, जब सामान एक राज्य से दूसरे राज्य तक जाता है, तो वही एक ही टैक्स (IGST) लागू होता है, जिससे कर की गणना साफ‑सुथरी रहती है.

जब लगे IGST?

मुख्य रूप से दो स्थितियों में IGST आता है:

  • इंटर‑स्टेट सप्लाई: अगर आप दिल्ली से मुंबई कोई प्रोडक्ट भेजते हैं, तो वह इंटर‑स्टेट ट्रांसफर माना जाएगा और उस पर IGST लगेगा.
  • एक्सपोर्ट सप्लाई: विदेश में माल भेजना भी IGST के दायरे में आता है. यहाँ टैक्स का रिफंड मिल सकता है, जिससे आपके एक्सपोर्ट बिज़नेस को मदद मिलेगी.

इन दोनों केसों में, राज्य‑वाइड (SGST) और केंद्रीय (CGST) टैक्स की अलग‑अलग गणना नहीं करनी पड़ती. एक ही दर से IGST निकाल कर फिर उसे SGST और CGST में बाँट दिया जाता है.

IGST कैसे भरें? आसान कदम

1. GSTN पर लॉगिन करें: अपने GST नंबर से पोर्टल खोलें. 2. रिटर्न फॉर्म चुनें: इंटर‑स्टेट सप्लाई के लिए GSTR‑1, GSTR‑3B या सालाना रिटर्न (GSTR‑9) भरना पड़ता है. 3. विक्री डेटा डालें: HSN कोड, इन्कॉइस नंबर और टोटल वैल्यु लिखें. 4. IGST की राशि देखें: पोर्टल स्वतः SGST+CGST से IGST निकाल देता है. 5. भुगतान करें या रिफंड क्लेम: अगर आप टैक्स दे रहे हैं तो ऑनलाइन भुगतान, और एक्सपोर्टर रिफंड के लिए फॉर्म भरें.

ध्यान रखें कि रिटर्न टाइम‑लाइन का पालन न करने से पेनल्टी लग सकती है. इसलिए हर महीने की 20 तारीख तक GSTR‑3B जमा करना याद रखें.

अब बात करते हैं दरों की। भारत में IGST की बेसिक स्लैब 5%, 12%, 18% और 28% है, जैसे ही CGST/SGST के लिए होते हैं. लेकिन कुछ आइटम्स (जैसे एल्युमिनियम या टॉर्ट) पर अलग‑अलग रेट लगते हैं, इसलिए अपने प्रोडक्ट का HSN कोड चेक करना जरूरी है.

छोटे व्यापारी अक्सर पूछते हैं कि IGST फाइल करते समय क्या ध्यान रखें? सबसे पहले तो सभी इनवॉइस की कॉपी संभाल कर रखें. दूसरा, अगर आप इंटर‑स्टेट ट्रांजैक्शन कम कर सकते हैं (जैसे दो राज्य में अलग‑अलग गोदाम), तो SGST+CGST का प्रयोग भी फायदेमंद हो सकता है क्योंकि वह कुछ मामलों में रिवर्स चार्ज मैकेनिज़्म से बचाता है.

एक बात और – अगर आप इ-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म पर बेचते हैं, तो प्लैटफ़ॉर्म अक्सर IGST को कलेक्ट करके सरकार को भेज देता है. इस केस में आपको सिर्फ अपने रिवेन्यू को रिपोर्ट करना पड़ता है, टैक्स का अलग से हिसाब नहीं बनाना होता.

समाप्ति के लिए, याद रखिए कि IGST सिर्फ एक नंबर नहीं, बल्कि भारत की एकीकृत कर नीति का हिस्सा है. सही समझ और समय पर फाइलिंग आपके व्यापार को सुरक्षित रखेगी और अप्रत्याशित पेनल्टी से बचाएगी. अगर अभी भी कोई शंका है, तो अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स कंसल्टेंट से बात करें – वे आपकी विशेष स्थिति के हिसाब से सटीक सलाह दे सकते हैं.

कर्नाटक सरकार ने इंफोसिस को प्री-शो कॉज IGST नोटिस वापस लिया: 32000 करोड़ के आरोप
Abhishek Rauniyar

Abhishek Rauniyar

कर्नाटक सरकार ने इंफोसिस को प्री-शो कॉज IGST नोटिस वापस लिया: 32000 करोड़ के आरोप

कर्नाटक सरकार ने इंफोसिस को भेजे गए 32,000 करोड़ से अधिक कर चोरी के आरोपों वाले प्री-शो कॉज IGST नोटिस को वापस ले लिया है। इंफोसिस को यह नोटिस 30 जुलाई को डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ GST इंटेलिजेंस (DGGI) द्वारा मिला था, जिसमें कहा गया था कि विदेशी शाखाओं द्वारा दी गई सेवाओं के लिए IGST का भुगतान नहीं किया गया है। अब यह मामला DGGI की केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा तय किया जाएगा।

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