अगर आप फ़ार्मास्युटिकल, खाद्य या कोई भी उत्पादन क्षेत्र में काम करते हैं तो जि एम पी का नाम सुनते ही दिमाग़ में ‘गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज’ की छवि आती है। सरल शब्दों में कहें तो GMP वो नियम‑कायदे हैं जो ये सुनिश्चित करते हैं कि बनायी गयी चीज़ें सुरक्षित, प्रभावी और लगातार वही क्वालिटी रखें। भारत में हालिया नियामकों ने कई बदलाव किए हैं, इसलिए इस टैग पेज पर हम उन सभी अपडेट्स को आपके लिए संक्षेप में लाए हैं।
पिछले साल केंद्र सरकार ने उत्पादन लाइसेंस की प्रक्रिया को तेज़ करने के साथ-साथ निरीक्षणों का डिजिटलकरण शुरू किया। अब फॉर्म भरने, दस्तावेज अपलोड करने और रीयल‑टाइम मॉनिटरिंग सब ऑनलाइन हो जाता है। इसके अलावा, छोटे‑मध्यम उद्यमों (एसएमई) के लिए एक विशेष ग्रेसेस स्कीम लाई गई है जिससे वे शुरुआती निवेश में 30 % तक की छूट पा सकते हैं। इन बदलावों से न केवल अनुपालन खर्च घटता है, बल्कि बाजार में जल्दी प्रवेश का मौका भी मिलता है।
ग़ैर‑जरूरी कागज़ी काम कम करने के लिए एक चेकलिस्ट तैयार रखें: 1) हर बैच की रिकॉर्डिंग, 2) साफ‑सफ़ाई का समय‑तालिका, और 3) प्रशिक्षण दस्तावेज। अगर आप छोटे फैक्ट्री चलाते हैं तो एक ‘गुणवत्ता लीड’ नियुक्त करें जो रोज़ाना SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीज़र) को फॉलो कराए। साथ ही, अपने सप्लायर्स से भी वही मानक मांगें; ऐसा करने पर आपके प्रोडक्ट की विश्वसनीयता दो‑तीन गुना बढ़ जाती है।
जि एम पी के बारे में सबसे बड़ी गलती अक्सर यह समझी जाती है कि यह सिर्फ बड़े ब्रांड्स के लिए है। असल में, अगर आप अपने ग्राहक को भरोसा दिलाना चाहते हैं तो छोटे स्तर पर भी इन नियमों का पालन करना ज़रूरी है। जब कोई ऑडिट आता है, तो तैयार रहना आसान होता है क्योंकि हर चीज़ पहले से ही दस्तावेज़ित होती है।
आगे बढ़ते हुए, देखें कि कैसे डिजिटल टूल्स मदद कर रहे हैं: क्लाउड‑बेस्ड क्वालिटी मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर आपके डेटा को सुरक्षित रखता है और किसी भी समय एक्सेस करने की सुविधा देता है। इससे न केवल निरीक्षण आसान होते हैं, बल्कि त्रुटियों का पता लगाना और सुधारना भी तेज़ हो जाता है। अगर आप अभी इस तरह के टूल नहीं इस्तेमाल कर रहे, तो एक बार ज़रूर ट्राय करें; भविष्य में आपका बहुत धन्यवाद करेगा।
जि एम पी सिर्फ एक नियम नहीं, बल्कि आपके प्रोडक्ट की विश्वसनीयता का गारंटी कार्ड है। इन अपडेट्स और टिप्स को अपनाकर आप न केवल नियामकों के साथ तालमेल बिठा सकते हैं, बल्कि अपने ग्राहकों के भरोसे में भी इज़ाफ़ा कर सकते हैं। तो देर किस बात की? आज ही अपनी प्रोडक्शन लाइन को GMP‑फ्रेंडली बनाना शुरू करें और आगे का रास्ता साफ़ देखें।
हुंडई मोटर इंडिया के आईपीओ का ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) मात्र 18 दिनों में 570 रुपए से घटकर 45 रुपए रह गया है। इस गिरावट के पीछे पांच मुख्य कारण हैं जिनमें ओएफएस के जरिए फंड्स का उपयोग, बड़ी मात्रा में डिविडेंड पेआउट, रोयाल्टी का बढ़ना, आंतरिक प्रतिस्पर्धा और ऑटो उद्योग में मांग की कमी शामिल हैं। हालांकि, दीर्घकालिक दृष्टिकोण से अधिकांश ब्रोकरेज हाउस ने स्टॉक को 'सब्सक्राइब' रेटिंग दी है।
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