भारत की अग्रणी ऑटोमोबाइल कंपनियों में से एक, हुंडई मोटर इंडिया के आईपीओ का ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) हाल ही में काफी घट गया है। यह गिरावट बमुश्किल 18 दिनों में 570 रुपए से घटकर 45 रुपए तक पहुंच गई है। यह महत्वपूर्ण गिरावट कई गंभीर चिंताओं और जोखिमों को दर्शाती है, जिससे निवेशकों के बीच असंतोष बढ़ता जा रहा है। इस लेख में हम उन पांच प्रमुख कारणों पर ध्यान देंगे, जिनकी वजह से सेंटीमेंट में बदलाव देखने को मिला है।
इस आईपीओ में एक भी नया शेयर जारी नहीं किया जा रहा है, बल्कि यह पूरी तरह से 27,870 करोड़ रुपए के ओएफएस (ऑफर फॉर सेल) के रूप में सामने आया है। इसका मतलब है कि आईपीओ से जुटाई गई राशि सीधे प्रमोटरों और अन्य विक्रेताओं को जाएगी। इस राशि का उपयोग कंपनी के भविष्य के विकास या नए यूनिट्स की स्थापना के लिए नहीं किया जाएगा, जो कंपनी की वृद्धि की संभावनाओं पर प्रश्न चिह्न खड़ा करता है।
हुंडई मोटर इंडिया ने FY24 में अपनी मूल कंपनी कोरिया में स्थित हुंडई मोटर कंपनी को 15,435.84 करोड़ रुपए का डिविडेंड दिया, जो कुल राजस्व का 22% है। यह स्थिति कंपनी की वित्तीय सेहत को लेकर चिंताएं उठाती है। ऐसे वित्तीय निर्णय से निवेशकों के भीतर विश्वास की कमी होती है।
हुंडई मोटर इंडिया अपनी बिक्री राजस्व का 3.5% हिस्सा हुंडई मोटर कंपनी को रॉयल्टी के रूप में देती है। यदि मूल कंपनी रॉयल्टी प्रतिशत बढ़ाती है, तो इसने कंपनी के लाभ पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। यह निवेशकों के लिए एक चिंताजनक मामला है।
हुंडई मोटर इंडिया और किया इंडिया, दोनों ही हुंडई समूह का हिस्सा हैं, और एक ही प्रकार के व्यावसायिक क्षेत्र में हैं। उनके बीच की प्रतिस्पर्धा आंतरिक संघर्ष को जन्म दे सकती है, जो हुंडई के व्यवसाय पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। यह चिंता का कारण हो सकती है क्योंकि दोनों ब्रांड समान ग्राहकों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं।
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के आंकड़ों के अनुसार, Q2 FY25 में कुल यात्री वाहन बिक्री पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में लगभग 20% तक गिर गई है। इस रुझान ने ऑटोमोबाइल उद्योग में समग्र मांग को लेकर चिंताएं बढ़ाई हैं। निवेशकों को बाजार की अस्थिरता पर चर्चा करते हुए यह एक प्रमुख विषय बन गया है।
विभिन्न ब्रोकरेज हाउसों ने इसके बावजूद दीर्घकालिक दृष्टिकोण से हुंडई की 'सब्सक्राइब' रेटिंग दी है, क्योंकि इनका मानना है कि कंपनी की ब्रांड रिकॉल क्षमता मजबूत है और यह प्रीमियमाइजेशन पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसके अलावा, हुंडई अपनी विस्तार योजनाओं के पूरा होने के बाद इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभाने की तैयारी कर रही है। आनंद राठी रिसर्च और बजाज ब्रोकिंग ने टिप्पणी की है कि जबकि यह मामला पूरी तरह से मूल्या है, कंपनी के भविष्य की संभावनाएं उज्ज्वल हैं।
टिप्पणि
Simi Joseph
15 अक्तूबर 2024सबसे बड़ी गलती ये है कि कंपनी सिर्फ OFS कर रही है निवेशकों को धोखा दे रही है
Vaneesha Krishnan
15 अक्तूबर 2024हुंडई की स्थिति समझता हूँ, कई निवेशक निराश हो रहे हैं 😔 लेकिन कंपनी के पास अभी भी ब्रांड ताकत है। दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए कि EV में उनकी क्या योजनाएँ हैं 🚗⚡। दुर्भाग्य से OFS मॉडल में कुछ जोखिम हैं, परंतु अगर सही फंडिंग मिलती है तो विकास संभव है। इसलिए मैं कहूँगा कि अभी थोड़ा धीरज रखें, बाजार की अस्थिरता आम है। अंत में, सभी को शुभकामनाएँ 🙏
Satya Pal
15 अक्तूबर 2024यह विश्लेषण हमारे निवेशक मनोविज्ञान की गहरी जड़ें छूता है।
जब कोई कंपनी केवल OFS के माध्यम से पूँजी जुटाती है तो वह मालिकों के हित को प्राथमिकता देती है।
इससे निवेशकों के विश्वास में इज़ाफ़ा नहीं, बल्कि गिरावट आती है।
हुंडई मोटर की स्थिति को समझना आसान नहीं क्योंकि वह कोरियन समूह का अभिन्न अंग है।
मूल कंपनी को बड़े डिविडेंड देना और रॉयल्टी भुगतान करना दोहरी धारा की तरह कार्य करता है।
इस दोहरी धारा से लाभांश और रॉयल्टी दोनों ही कंपनी के भीतर से निकलते हैं।
परिणामस्वरूप, शुद्ध लाभ में मौजूदा दबाव बढ़ता है और यह शेयरधारकों के लिए बुरा संकेत है।
लेकिन एक और बिंदु यह है कि ऑटो उद्योग में समग्र मांग में गिरावट देखी जा रही है।
Q2 FY25 में बिक्री में 20% की गिरावट दर्शाती है कि बाजार में गंभीर डर है।
इस डर को केवल वित्तीय आँकड़े नहीं, बल्कि उपभोक्ता भावना भी बढ़ा रही है।
यदि हम हिक्मत से सोचें तो यह एक अवसर भी बन सकता है।
क्योंकि जब बाजार गिरता है तो ही मजबूत कंपनियां और मजबूत बुनियादी ढांचा स्थापित करती हैं।
हुंडई के पास इलेक्ट्रिक वाहन की योजना है, जो भविष्य में एक नई लहर ला सकती है।
लेकिन वह योजना कितनी सच्ची है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है।
इसलिए निवेशकों को चाहिए कि वे अपने पोर्टफोलियो को विविध बनायें, एक ही शेयर में नहीं रहे।
अंत में, यह निष्कर्ष निकलता है कि वर्तमान में सावधानी बरतनी चाहिए, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण मनोरम हो सकता है।
Partho Roy
15 अक्तूबर 2024विचारों की गहराई देखकर लगता है कि सच में कई पहलू छूट रहे हैं। इश्यू के पीछे की रणनीति को समझना मुश्किल है लेकिन मैं कहूँगा कि कंपनी को शायद अपनी ब्रांड शक्ति को अधिकतम करना चाहिए। इलेक्ट्रिक वाहन की दिशा में कदम उठाते हुए, अगर वे सही निवेश आकर्षित कर पाएँ तो स्थिति बदल सकती है। लेकिन बिना नई शेयर इश्यू के पूँजी की कमी भी एक दुविधा है। इसलिए मेरा मानना है कि निवेशकों को सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए। कुल मिलाकर, आपका विश्लेषण बहुत विस्तृत था और इसने कई नई बाते उजागर कीं
Ahmad Dala
15 अक्तूबर 2024आपकी सहानुभूतिपूर्ण दृष्टि सराहनीय है, परंतु वास्तविकता का रंग अक्सर ग्रे ही रहता है; केवल इमोशन से बाजार नहीं बदलता। इसलिए विश्लेषण में ठोस डेटा को प्राथमिकता देना आवश्यक है।