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कैंसर – समझें, पहचानेँ और बचाएँ

भारत में हर साल लाखों लोगों को कैंसर का सामना करना पड़ता है। अक्सर लोग इसे सुनते ही डर जाते हैं, पर अगर सही जानकारी हो तो कई बार इससे बचा भी जा सकता है। इस लेख में हम बात करेंगे कि कैंसर क्या है, किन लक्षणों से इसकी शुरुआती पहचान होती है और कौन‑से कदम उठाकर जोखिम घटाया जा सकता है। पढ़िए, क्योंकि ज्ञान ही सबसे बड़ा इलाज है।

मुख्य लक्षण और शुरुआती संकेत

कैंसर के लक्षण शरीर के हिसाब से बदलते हैं, पर कुछ आम संकेत होते हैं जो नजरअंदाज़ नहीं करने चाहिए:

  • कोई गाँठ या सूजन जो धीरे‑धीरे बढ़े, खासकर स्तन, अंडकोष, गर्दन या अधर में।
  • बिना कारण वजन घटना, खून में लालिमा, थकान या भूख में कमी।
  • त्वचा पर असामान्य दाने, घाव जो ठीक न हों या बार‑बार रक्तस्राव हो।
  • पेशाब या मल में बदलाव, जैसे लगातार पेशाब की आवृत्ति बढ़ना या खून आना।
  • बातों में गले का दर्द या आवाज़ बदलना जो एक महीने से अधिक समय तक बना रहे।

इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो डॉक्टर से तुरंत मिलें। शुरुआती जांच अक्सर कैंसर को छोटा और उपचार आसान बनाती है।

रोकथाम और उपचार विकल्प

कैंसर पूरी तरह रोकना मुश्किल है, पर कुछ आदतों से जोखिम काफी घटाया जा सकता है:

  • धूम्रपान छोड़ें: तंबाकू ही कई कैंसर का प्रमुख कारण है। एक साल में भी फेफड़े और मुंह के कैंसर की संभावना कम हो जाती है।
  • संतुलित आहार अपनाएँ: हरी सब्ज़ी, फल, दालें और साबुत अनाज अधिक खाएँ। प्रोसेस्ड मांस या बहुत तले‑भुने खाने से बचें।
  • शारीरिक सक्रियता रखें: रोज 30 मिनट तेज चलना या हल्का व्यायाम वजन को नियंत्रित रखता है और कैंसर के कई प्रकारों की रोकथाम में मदद करता है।
  • स्क्रीनिंग टेस्ट कराएँ: महिलाओं को स्तन‑और गर्भाशय कैंसर के लिए मैमोग्राम, सिविलिएशन और पॅप स्मीयर चाहिए। पुरुषों को प्रोस्टेट परीक्षण और धूम्रपान करने वालों को फेफड़े की स्क्रीनिंग आवश्यक है।
  • सूर्य से बचें: बाहर निकलते समय SPF 30 या उससे ज्यादा वाला सनस्क्रीन लगाएँ, टोपी पहनें और देर‑देर तक धूप में न रहें।

अगर कैंसर की पुष्टि हो गई तो उपचार विकल्प रोग के प्रकार, चरण और आपके स्वास्थ्य पर निर्भर करते हैं। सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी या टार्गेटेड ड्रग्स – आजकल कई नई दवाएँ भी उपलब्ध हैं जो कम साइड इफ़ेक्ट देती हैं। अपने डॉक्टर से बात करके सबसे उपयुक्त योजना चुनें और उपचार के दौरान पोषण व मानसिक समर्थन पर विशेष ध्यान दें।

याद रखें, कैंसर का इलाज अकेले नहीं बल्कि परिवार, मित्रों और स्वास्थ्य पेशेवरों की टीम के साथ मिलकर बेहतर होता है। अगर आप या आपका कोई जान‑पहचान वाला इस बीमारी से जूझ रहा हो तो स्थानीय कैंसर सहायता समूह में जुड़ें – वहाँ अनुभव साझा करने और मदद पाने के कई अवसर होते हैं।

अंत में, यदि आप अभी भी असुरक्षित महसूस कर रहे हों तो पंजीकरण स्थिति समाचार की अन्य लेख पढ़ें। यहाँ रोज़ाना अपडेटेड स्वास्थ्य टिप्स, डॉक्टरों के इंटरव्यू और नई मेडिकल रिसर्च का सारांश मिलता है जो आपको जागरूक रखेगा। स्वस्थ रहें, जानकारी रखें और समय पर जांच करवाते रहें।

फिल्म निर्माता कृष्ण कुमार की बेटी तिशा कुमार का कैंसर से संघर्ष के बाद निधन
Abhishek Rauniyar

Abhishek Rauniyar

फिल्म निर्माता कृष्ण कुमार की बेटी तिशा कुमार का कैंसर से संघर्ष के बाद निधन

फिल्म निर्माता कृष्ण कुमार की बेटी तिशा कुमार का निधन कैंसर से तीन साल की लंबी लड़ाई के बाद हुआ। तिशा, टी-सीरीज़ के चेयरमैन और फिल्म निर्माता भूषण कुमार की कजिन थीं। उन्होंने जर्मनी में उपचार के दौरान 18 जुलाई को अंतिम सांस ली। परिवार ने निजता की अपील की है।

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