शालिग्राम, एक प्राकृतिक रूप से बना चट्टानी पत्थर जिसे हिंदू धर्म में भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है. इसे गोविंद शिला भी कहते हैं, और यह नेपाल के कालीगंगा नदी के किनारे से मिलता है। ये पत्थर कोई कलाकृति नहीं, बल्कि अर्बन जीवन के बीच भी अपनी शक्ति बरकरार रखने वाला एक जीवित प्रतीक है।
शालिग्राम का रूप बहुत अलग होता है—कुछ गोल होते हैं, कुछ खांचों वाले, कुछ पर चक्र का निशान दिखता है। ये निशान प्राकृतिक रूप से बनते हैं, जिसकी वजह से इन्हें कोई मानव ने बनाया नहीं, बल्कि देवता ने दिया है, ऐसा माना जाता है। इसकी विशेषता ये है कि इसे शिवलिंग के साथ भी जोड़कर पूजा की जाती है, जो दरअसल विष्णु और शिव के एकत्व को दर्शाता है। कई घरों में शालिग्राम को देवता के रूप में रखा जाता है, जिसे रोज़ पानी और फूल चढ़ाए जाते हैं।
ये पत्थर केवल घरों में ही नहीं, बल्कि अनेक मंदिरों में भी प्रमुख स्थान रखता है। जैसे जगन्नाथ पुरी के मंदिर में, या नेपाल के बागमती नदी के किनारे बने मंदिरों में। यहाँ तक कि अमेरिका और यूरोप के कुछ हिंदू परिवार भी शालिग्राम को अपने घरों में रखते हैं, ताकि अपनी जड़ों को जीवित रख सकें। ये एक ऐसा प्रतीक है जो समय के साथ बदलता नहीं, बल्कि लोगों के विश्वास को बढ़ाता है।
आज के युग में, जहाँ लोग डिजिटल चीज़ों में खो जाते हैं, वहीं शालिग्राम एक शांत याद दिलाता है कि कुछ चीज़ें बिना किसी टेक्नोलॉजी के भी जीवित रह सकती हैं। ये न सिर्फ़ पूजा का विषय है, बल्कि एक ऐसा जीवन दर्शन है जो सरलता, शुद्धता और विश्वास पर टिका है। इसके बारे में जानने के लिए आप यहाँ ऐसे ही कई लेख पाएंगे—जिनमें शालिग्राम के उपयोग, इसके जन्म के स्थान, इसे पहचानने के तरीके, और इसकी धार्मिक कथाओं को विस्तार से समझाया गया है।
तुलसी विवाह 2025 2 नवंबर को मनाया जाएगा, जो चतुर्मास के अंत और विवाह ऋतु की शुरुआत का संकेत है। विवाह समस्याओं के लिए शालिग्राम और तुलसी का गठबंधन और दान उपाय अत्यंत शुभ माने जाते हैं।
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