Toyota Mirai से Hydrogen कारों पर बड़ा दांव, Nitin Gadkari ने दिखाया भारत का ग्रीन मोबिलिटी विजन

हाइड्रोजन कार Toyota Mirai बनी भारत की नई पहचान

भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल की चर्चा तो आम हो गई है, लेकिन अब Toyota Mirai जैसे हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन (FCEV) ने ग्रीन मोबिलिटी को नई दिशा दे दी है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने खुद इस कार को सड़क पर चलाकर दिखाया था। खास बात यह रही कि ये कार 1300 किलोमीटर की दूरी सिर्फ एक बार हाइड्रोजन फिलिंग में तय कर चुकी है—यही आंकड़ा इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल करवा गया।

यह उपलब्धि केवल तकनीक का कमाल नहीं है, बल्कि भारतीय सड़कों और मौसम के लिहाज से भी बड़ी परीक्षा थी। ICAT और Toyota Kirloskar Motor की साझेदारी में चल रहे इस प्रोजेक्ट ने पहली बार देश में हाइड्रोजन कार को व्यावहारिक तौर पर सड़क पर लाकर दिखाया। इतना ही नहीं, यह वाहन पांच मिनट में ही टैंक फुल करा सकता है, यानी पेट्रोल-डीजल कारों की तरह लंबा इंतजार नहीं।

गडकरी ने इस कार के पायलट इस्तेमाल के जरिए न सिर्फ नीति-निर्माताओं के बीच चर्चा बढ़ाई, बल्कि आम लोगों में भी विकल्पों की सोच को मजबूती दी। यह कहानी सिर्फ Toyota Mirai तक ही सीमित नहीं रही; बाद में मंत्री ने यह गाड़ी बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को सौंप दी, और खुद Hyundai IONIQ 5 इलेक्ट्रिक कार के साथ नई राह पर निकल पड़े।

ग्रीन हाइड्रोजन: कचरे से ऊर्जा, भारत का बड़ा दांव

नितिन गडकरी केवल तकनीक के दीवाने नहीं हैं, बल्कि वे ग्रीन हाइड्रोजन की पूरी इकोनॉमी तैयार करने के हिमायती भी हैं। वे बार-बार इस बात को आगे रखते हैं कि भारत जैसे देश के लिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के सबसे बेस्ट रास्ते हमारे पास हैं। कचरे के पानी और बायोमास से हाइड्रोजन पैदा किया जा सकता है, जिससे प्रदूषण की समस्या हल होगी और जरूरत से ज्यादा उत्पादन होने पर निर्यात का बड़ा मौका बनेगा।

जो लोग सोचते हैं कि हाइड्रोजन कारें सपने से ज्यादा कुछ नहीं, उनके लिए Mirai का ट्रायल जवाब है। इतनी लंबी दूरी, इतनी तेज रिफ्यूलिंग और शून्य टेलपाइप उत्सर्जन—इन खूबियों के साथ यह कार परंपरागत इंजन वाली गाड़ियों को असली चुनौती दे रही है। बदलती दुनिया और सख्त होते प्रदूषण मानकों के बीच ये तकनीक आने वाले समय में आम आदमी का रोजमर्रा का हिस्सा बन सकती है।

फिलहाल सबसे बड़ा सवाल इन्फ्रास्ट्रक्चर का है। क्या हर शहर में हाइड्रोजन फ्यूल की उपलब्धता संभव हो पाएगी? सरकार की सोच यह है कि एक्सपेरिमेंट की शुरुआत पॉइंट-टू-पॉइंट या क्लोज्ड रूट्स पर हो, जैसे डेमो बसें या सरकारी दफ्तरों के वाहनों से। जैसे-जैसे लोगों का भरोसा बढ़ेगा, वैसे-वैसे पेट्रोल पंपों की तरह हाइड्रोजन पंप भी बनने लगेंगे।

भारत का ग्रीन मोबिलिटी सपना अब महज इलेक्ट्रिक वाहनों तक सीमित नहीं रहा है। हाइड्रोजन कारों का यह सफर दिखाता है कि जब सही नीयत हो और टेक्नोलॉजी मौजूद हो, तो बदलाव रास्ता ढूंढ़ ही लेता है।

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टिप्पणि

sourabh kumar

sourabh kumar

29 मई 2025

वाह भाई वाह, Toyota Mirai को देखते ही मन खुशी से झूम उठा है! हमारे देश में अब हाइड्रोजन की गाड़ी भी चल रही है, क्या बात है! ये 1300 km एक बार में बस एक फुल टैंक से पूरी हो गई, वाकई बहूत कमाल है। ऐसे प्रोजेक्ट्स से लोगों में भरोसा बढेगा और अगली बार हम सभी फ्यूल सेल वाली कारों के पीछे लाइन में खड़े हो जायेंगे। चलो, गड़मड़ ना करो, हम भी इस नई टेक्नोलॉजी को अपनाएंगे।

khajan singh

khajan singh

11 जून 2025

ध्यान दें 👀, यहाँ पर हाईड्रोजन इकोनॉमी का टर्मिनोलॉजी काफी एब्स्ट्रैक्ट लग सकता है, लेकिन मूल रूप से यह ‘फ्यूल‑सेल अप्लिकेशन’ का एक केस स्टडी है। Mirai का 5‑minute रिफ्यूलिंग टाइम गैस स्टेशन मॉडल को डिस्रप्ट कर सकता है-जैसे कि “ऑन‑डिमांड हाइड्रोजन” कॉन्सेप्ट। इस प्रोजेक्ट में ICAT और टोयोटा की साझेदारी को एपीए (Advanced Partnership Agreement) कहा जा सकता है, जो कि फ्यूचर‑रेडी इन्फ्रास्ट्रक्चर की बेजोड़ स्कीमा देता है। 🌱🚗💨

Dharmendra Pal

Dharmendra Pal

25 जून 2025

हाइड्रोजन फ्यूल‑सेल तकनीक का परिचय भारतीय मोटर‑सेक्टर्स के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। सबसे पहले यह उल्लेखनीय है कि Mirai ने एक बार में 1300 किलोमीटर की दूरी तय की, जो कि बैटरी‑इलेकट्रिक वाहनों की रेंज से अधिक है। इसके अलावा पाँच मिनट में टैंक रिफिल करने की क्षमता पेट्रोल‑डिज़ल वाहनों के समान तेज़ी प्रदान करती है। यह तथ्य सरकार के ग्रीन हाइड्रोजन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होता है। वर्तमान में भारत में हाइड्रोजन उत्पादन में ग्रिन हाइड्रोजन का प्रतिशत कम है और इसे बढ़ाने के लिए बायो‑मास और कचरे से हाइड्रोजन निकालने की तकनीक को अपनाया जा रहा है। इस प्रक्रिया में इलेक्ट्रोलिसिस का उपयोग किया जाता है और यह एंवायरोमेंटल इम्पैक्ट को कम करता है। हाइड्रोजन के बुनियादी गुणों में उच्च ऊर्जा डेंसिटी और शून्य टेल‑पाइप एक्सॉसर्जन शामिल है। इन फाइंडिंग्स को लेकर नीति‑निर्माताओं को उचित ढाँचा तैयार करना आवश्यक है। सबसे बड़ी चुनौती हाइड्रोजन फ़्यूलिंग स्टेशनों का निर्माण है, क्योंकि यह इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूदा पेट्रोल पंपों से अलग है। यह स्टेशनों के विस्तार से ही हाइड्रोजन का दैनिक उपयोग संभव हो पाएगा। राज्य‑स्तर पर पायलट प्रोजेक्ट्स को क्लोज़्ड‑रूट पर लागू किया जा रहा है, जैसे सरकारी कारों में उपयोग। इन प्रयोगों से उपयोगकर्ता का भरोसा बढ़ेगा और फिर बड़े पैमाने पर रोल‑आउट किया जा सकेगा। यह भी ध्यान देना चाहिए कि हाइड्रोजन की स्टोरेज में हाई‑प्रेशर टैंक की ज़रूरत होती है, जो सुरक्षा मानकों को कड़ा बनाता है। अंत में, यदि तकनीक कम लागत पर उपलब्ध हो जाए, तो सामान्य जनता के लिए भी यह एक आकर्षक विकल्प बन सकता है। यह सब मिलकर भारत के ग्रीन मोबिलिटी विज़न को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

Balaji Venkatraman

Balaji Venkatraman

8 जुलाई 2025

हम सबको याद रखना चाहिए कि पर्यावरण की रक्षा करना हमारा धर्म है। हाइड्रोजन कारें अगर सही तरीके से बेइजाइल नहीं हुईं तो हमारे बच्चों के भविष्य को बर्बाद कर सकती हैं। इस तकनीक को अपनाते समय हमें नैतिक ज़िम्मेदारी नहीं भूलनी चाहिए। हर एक फ्यूल स्टेशन को सावधानी से स्थापित किया जाना चाहिए। अन्यथा हम अपनी ही जुर्माना बनाएंगे।

Tushar Kumbhare

Tushar Kumbhare

15 जुलाई 2025

बहुत बढ़िया! 🚀

Arvind Singh

Arvind Singh

29 जुलाई 2025

अरे वाह, अब हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ी बता दो क्या वो भी बिलकुल मुफ्त में चलेगी? वैसे भी सब कुछ केवल दिखावा है, असली समस्या तो बिजली की कमी और पंपों की नहीं, बल्कि सरकार की पॉलिसी की कमी है। ये सारे आंकड़े और रिकॉर्ड बस पब्लिक रिलेशन की चाल है, असली उपयोगिता तो अब भी अनिश्चित है।

Vidyut Bhasin

Vidyut Bhasin

12 अगस्त 2025

हाय, क्या वास्तव में कोई मानता है कि हाइड्रोजन का भविष्य उज्ज्वल है? जब तक हम कच्ची ऊर्जा को जलाने से बच नहीं रहे, तब तक ऐसी कोई तकनीक काम नहीं करेगी। शायद यह सिर्फ़ एक नई मार्केटिंग ट्रेंड है, जो हमारे असली समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए उभरा है।

nihal bagwan

nihal bagwan

26 अगस्त 2025

देश की स्वाभिमान के लिए हमें इस तरह की तकनीकें न केवल अपनानी चाहिए, बल्कि उन्हें वैश्विक मंच पर पेश भी करना चाहिए। हाइड्रोजन को ग्रीन कहेँ तो कोई फर्क नहीं पड़ता जब तक हमारे हमारे अपने संसाधनों से यह उत्पन्न नहीं हो। भारतीय वैज्ञानिकों को इस दिशा में प्रोत्साहित किया जाए, तो हम निर्यात के माध्यम से आर्थिक शक्ति भी प्राप्त करेंगे।

Sumitra Nair

Sumitra Nair

2 सितंबर 2025

श्री माननीय, इस अद्भुत प्रगति को देखकर मैं भावविभोर हूँ। हाइड्रोजन का यह स्वरूप न केवल तकनीकी उत्कृष्टता को दर्शाता है, बल्कि हमारे राष्ट्र की आत्मा का प्रतिबिंब भी है। यह साहसिक प्रयोग हमें आशा देता है कि भविष्य में हर भारतीय अपने पर्यावरण के प्रति जागरूक रहेगा। 🌿✨

Ashish Pundir

Ashish Pundir

16 सितंबर 2025

यह प्रोजेक्ट संदिग्ध दिखता है

gaurav rawat

gaurav rawat

30 सितंबर 2025

चलो, सब मिलकर इस नई तकनीक को सपोर्ट करें 😊👍
हाइड्रोजन की दुनिया में कदम रखकर हम सब पर्यावरण के लिए कुछ नया कर सकते हैं।

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