डुबई के अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में Asia Cup 2025 का सुपर फोर मैच शुरू होने ही वाला था, जब भारत ने अपने XI में दो अहम बदलाव किए। कप्तान सूर्यकुमार यादव ने टॉस के दौरान बताया कि बुमराह और ड्यूब को रोटेशन के चलते बाहर रख रहे हैं, जबकि दोनों जगहों पर अर्शदीप सिंह और हर्षित राणा को मौका दिया गया है। इस कदम का उद्देश्य फाइनल के लिए खिलाड़ी‑लोड को संतुलित करना और बॉलिंग में गहराई जोड़ना था।
भारत की फाइनल में जगह पहले ही पक्की थी—बांग्लादेश और पाकिस्तान के खिलाफ लगातार जीत कर टीम ने पाँच‑पर‑पाँच रिकॉर्ड बनाया था। इसलिए इस मैच को मुख्य रूप से फॉर्म ट्यून‑अप माना गया, जहाँ कोचों को नई संयोजन पर आँख रखनी थी। वहीं श्रीलंका के लिए यह आखिरी मौका था कि वे ट्रीब्यूनल में सकारात्मक छाप छोड़ सकें।
खेल XI का पूरा विवरण इस प्रकार रहा:
श्रीलंका की लाइन‑अप में एकल बदलाव हुआ—जनित लियानगे को चामिका करुणरत्ने की जगह दिया गया। उनका चयन टॉप ऑर्डर की स्थिरता और अंतिम ओवर में फैंसी फील्डिंग को देखते हुए किया गया।
बुमराह को आरक्षित रखने का बड़ा कारण उनका वर्कलोड मैनेजमेंट था। फाइनल में पाकिस्तान का सामना करने वाली टीम के पास तेज़ पेसिंग का वजन होना ज़रूरी था, इसलिए अर्शदीप को पुनः परिप्रेक्ष्य में लाना समझदारी माना गया। अर्शदीप की खासियत है कि वह शुरुआती ओवर में लाइन‑एंड‑लेंथ बनाये रखता है, जो भारत की पावरप्ले रणनीति के साथ बख़ूबी फिट बैठता है।
हर्षित राणा को शामिल करने का मकसद बॉलिंग में डेप्थ जोड़ना और कमर कसना था। पिछले मैचों में राणा ने टॉप ऑर्डर के साथ मिलकर 20-25 ओवर में कई महत्वपूर्ण विकेट लिए थे, इसलिए टीम को भरोसा है कि वह अंत‑ओवर में दबाव बना सकता है। इसके अलावा, राणा के फेंके हुए लेगस्पिन ने शॉर्ट-फॉर्म में कई बार बॉटम‑ऑर्डर को नियंत्रण में रखे हैं।
भारत के पावरप्ले को अबिषेक शर्मा और शुबमन गिल की तेज़ शुरुआत संजु सैमसन और हार्दिक पांड्या की फिंगर-फ़्लिप से सुदृढ़ हो रही है। शर्मा ने टूर्नामेंट के दौरान अपने आक्रामक स्टाइल से कई बार टीम को तेज़ गति दी है, जबकि पांड्या का मिड‑ऑवर में आक्रमण कट्टरता को संतुलित करता है।
मध्य क्रम में अभी भी निरंतरता की कमी है—सूर्यकुमार यादव की फॉर्म कुछ उतार‑चढ़ाव देख रही है, और तीलेक वर्मा को स्पिन के खिलाफ तकनीकी समस्याएँ झेलनी पड़ रही हैं। इस बात को देखते हुए कोचिंग स्टाफ ने इस मैच को प्रयोगात्मक मानते हुए पैंड्या और सैमसन के साथ नई पोजीशन ट्राय की है।
कुलदीप यादव की स्पिन अबाज का दूसरा स्तंभ बन गई है। पार्चरली 2.5 औसत के साथ वह विरोधियों को घेर कर रखता है। लीग में उसके दो-तीन खेल में ही चार‑पाँच विकेट लेना सामान्य बात है, जिससे भारत की स्पिन आक्रमण और भी ख़तरनाक बनती है।
श्रीलंका की ओर से जनित लियानगे का चयन भी रणनीतिक था। उन्होंने पिछले मैचों में मध्यम गति के पैकेज में वेरिएशन दिखाया है, जिससे भारतीय बटर्स को हल्का झटका लग सकता है। उनके साथ कासलीडिंग दुषांत चमेरे और वनु थुशारा की तेज़ी को मिलाकर टीम ने टोकन बॉलर बनने की कोशिश की है।
अंत में, इस मैच का मुख्य उद्देश्य भारत के फाइनल की तैयारी को परखना और नई संयोजन को जाँचना था। जबकि भारत ने समूह चरण में बिना हार के सफ़र तय किया है, इस खेल में दिखाए गए बदलाव अगले दो हफ़्तों में टीम के प्रदर्शन को काफी प्रभावित करेंगे। शाही माहौल, बॉलिंग में नई वैरायटी और बुनियादी स्ट्रक्चर को देखते हुए, अब सिर्फ फॉर्म होइन—यह एक मनोवैज्ञानिक लड़ाई भी बन गई है, जहाँ हर खिलाड़ी को अपनी भूमिका को पूरी तरह से समझना है।
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