जब जो बाइडेन, अमेरिकी राष्ट्रपति ने H-1B वीजा शुल्क वृद्धि घोषणावॉल स्ट्रीट, यूएसए जारी की, तो भारतीय शेयर बाजार ने उसी शाम गंभीर तनाव झेला। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 82,102.10 अंक पर बंद हुआ, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 25,169.50 पर गिरा, दोनों में क्रमशः 0.07% और 0.13% की गिरावट दर्ज हुई। इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण IT सेक्टर में लगभग 3% की तेज़ गिरावट था, जहाँ टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और इन्फोसिस लिमिटेड. यह गिरावट 90,000 करोड़ रुपये के बाजार पूँजी हानी की ओर ले गई, जिसमें से आधे से अधिक का भार इन दो दिग्गजों पर पड़ा।
सितंबर 2025 की शुरुआत में भारतीय इक्विटी बाजार ने मध्यम लाभ के संकेत दिखाए थे, परन्तु 22 सितंबर को गिफ्ट सिटी, अहमदाबाद में निफ्टी फ्यूचर्स ने 0.11% की गिरावट का संकेत दिया। यह गिरावट एशिया के अन्य प्रमुख बाजारों—दक्षिण कोरिया (KOSPI) ने 0.26% की बढ़त, ऑस्ट्रेलिया (S&P/ASX) ने 0.07% की बढ़त—से मिलते-जुलते संकेतों के बीच आई। हांगकांग के हैंग सैंग ने 0.34% गिरावट दर्ज की, जबकि चीन के शेनजेन कॉम्पोजिट में 0.2% की कमी रही। इन सब संकेतों ने भारतीय ट्रेडरों को सावधानी बरतने पर मजबूर कर दिया।
बाजार के सबसे बड़े अनुयायियों—विदेशी संस्थागत निवेशकों (विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs))— ने 22 सितंबर को 2,910 करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs)) ने 2,583 करोड़ रुपये की खरीदारी करके कुछ हद तक असंतुलन को घटाया। सितंबर महीने में अब तक कुल विदेशी शुद्ध निकासी 6,816 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जो विदेशी पूँजी प्रवाह के निरंतर दबाव को दर्शाता है।
IT सेक्टर की गिरावट को आंकड़ों से समझना आसान है। TCS के शेयरों ने 22 सितंबर को औसत दैनिक वॉल्यूम से कम ट्रेडिंग दिखाया, परंतु 20‑दिन के औसत से अभी भी थोड़ा ऊपर रहा। इसके विपरीत, इन्फोसिस ने पिछले चार ट्रेडिंग सत्रों में ट्रेडिंग वॉल्यूम को तीन गुना कर दिया, जो 50 लाख शेयर से बढ़कर 1.5 करोड़ शेयर तक पहुंच गया। इस अचानक उठान ने कई अल्पकालिक ट्रेडरों को आकर्षित किया, परन्तु गिरावट के बाद कीमतें लगभग 8% तक नीचे डगमगाईं।
बैंकिंग क्षेत्र ने अपनी स्थितियों में थोड़ा बदलाव किया। निफ्टी बैंक इंडेक्स, जो आमतौर पर जोखिम‑भरी माहौल में पीछे हटता है, ने 0.41% की बढ़ोतरी के साथ 55,509.75 पर बंद किया। कई बड़े ब्रोकर फर्मों ने कहे कि "हाइड्रोजन-दर‑हाइड्रोजन" रणनीति अपनानी चाहिए, यानी मौजूदा वोलाटिलिटी को देखते हुए विकल्प ट्रेडिंग (ऑप्शंस) में कॉल स्ट्राइक 25,500 को समर्थन स्तर और 25,200 को प्रतिरोध स्तर मानते हुए पोजीशन बनाना उचित रहेगा।
वित्तीय विश्लेषकों ने यह संकेत दिया कि यदि निफ्टी 25,267 के ऊपर उठता है तो 25,200 कॉल विकल्पों की खरीद फायदेमंद होगी, जबकि निफ्टी 25,210 के नीचे गिरने पर 25,300 पुट विकल्प लाभदायक बन सकते हैं। इस तरह के तकनीकी संकेतकों ने छोटे और मध्यम निवेशकों को तुरंत actionable insight प्रदान किया।
H‑1B वीजा शुल्क में वृद्धि का सीधा असर भारतीय IT कंपनियों की अमेरिकी ऑपरेशन्स पर पड़ता है, जहाँ 30,000 से अधिक कर्मचारियों को H‑1B वीजा द्वारा नियोजित किया जाता है। अनुमान है कि प्रति वीजा आधी मिलियन डॉलर से अधिक की अतिरिक्त लागत कंपनियों को लगभग 3% अतिरिक्त मार्जिन दबाव में डाल सकती है। इस सन्दर्भ में TCS के प्रमुख आर्थिक अधिकारी ने कहा, "हमें अब अपने वैकल्पिक बाजारों—जैसे यूरोप और एशिया‑पैसिफिक—पर अधिक फोकस करना पड़ेगा।" इन्फोसिस के चेयरमैन ने भी कहा कि "हमारी दीर्घकालिक योजना में डिज़िटल सर्विसेज और क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि वीजा लागत का असर कम हो सके।"
समीक्षक बताते हैं कि इस शुल्क वृद्धि के तहत भारतीय IT निर्यात की लागत अचानक 1.5%‑2% बढ़ सकती है, जो 2025‑26 के फोरकास्टेड राजस्व वृद्धि को 0.5%‑1% तक घटा सकती है। छोटे‑मध्यम आकार की फर्में, जिनके पास पर्याप्त बैकअप फंड नहीं है, वे शायद अपने अमेरिकी क्लाइंट बेस को कम करने या प्रोजेक्ट फोकस बदलने पर मजबूर हो सकती हैं।
आगे देखते हुए, कई विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिकी वीजा नीति का यह बदलाव एक लहर की तरह अन्य देशों में भी समान कदम उठाने का संकेत देगा। अगर यूएस आगे भी इमिग्रेशन टैक्स बढ़ाता है, तो भारत की IT कंपनियों को निर्यात‑आधारित मॉडल से दूर जाकर अधिक घरेलू और अंतर‑राष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स पर निवेश करने की जरूरत होगी।
बाजार विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि यदि ओरिएंटेड टेक्नोलॉजी—जैसे AI, बिग डेटा—का संस्थागत निवेश जारी रहा, तो भारतीय शेयर बाजार में उल्टी वोकब्राज का जोखिम कम रहेगा। इस बीच, निफ्टी और सेंसेक्स के अगले सपोर्ट स्तर 25,150 और 81,900 के आसपास हो सकते हैं, जबकि संभावित रेजिस्टेंस 25,400 और 82,500 पर देखी जा सकती है। निवेशकों को उबरती वॉल स्ट्रीट संकेतों का सावधानी से विश्लेषण करके अपने पोर्टफोलियो को संतुलित रखना चाहिए।
नए शुल्क से कंपनियों को प्रत्येक अमेरिकी प्रोजेक्ट पर अतिरिक्त 0.5‑1% लागत का सामना करना पड़ेगा, जिससे लाभ मार्जिन घट सकता है। इससे कंपनियों को यूरोपीय या एशिया‑पैसिफिक बाजारों में diversification करने या क्लाउड‑आधारित सेवाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता होगी।
सितंबर में कुल 6,816 करोड़ रुपये की विदेशी निकासी ने मार्केट की लिक्विडिटी को घटाया, जिससे जोखिम‑सेंसिटिव सेक्टर (जैसे IT) में बेचने की दबाव बढ़ी। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों की खरीदारी ने कुछ हद तक बाधा को कम किया।
बैंकिंग सेक्टर ने जोखिम‑भरे माहौल में भी स्थिरता दिखाई, जिससे दर्शकों को संकेत मिलता है कि वित्तीय संस्थानों में पूँजी प्रवाह अभी भी मजबूत है और वे बाजार के उतार‑चढ़ाव से कम प्रभावित होते हैं।
वर्तमान में 25,500 कॉल स्ट्राइक को उच्चतम ओपन इंटरेस्ट मिला है, जो प्रतिरोध स्तर के रूप में काम करेगा, जबकि 25,200 पुट स्ट्राइक को समर्थन स्तर माना जा रहा है। ट्रेडर्स को इन स्तरों के आसपास पोज़िशन बनाना लाभदायक हो सकता है।
विदेशी पूँजी प्रवाह में निरंतर अनिश्चितता, अमेरिकी इमिग्रेशन नीतियों में बदलाव, और वैश्विक ब्याज दर में उतार‑चढ़ाव प्रमुख जोखिम हैं। इनके साथ, घरेलू नीति सुदृढ़ीकरण और टेक्नोलॉजी‑इनोवेशन को समर्थन मिलने से बाजार स्थिरता में मदद मिल सकती है।
टिप्पणि
Vinay Bhushan
13 अक्तूबर 2025बाजार में आई अचानक गिरावट को झेलने के लिए हमें तुरंत कार्रवाई करनी होगी। IT सेक्टर के दबाव को कम करने हेतु विविधीकरण रणनीति अपनाएँ। विदेशी निवेशकों की निकासी को संतुलित करने के लिये घरेलू निधियों को आकर्षित करना आवश्यक है। जोखिम‑सेंसिटिव ट्रेडर्स को छोटे‑मुद्दे के अवसरों पर फोकस करना चाहिए। सामूहिक रूप से, हम इस अस्थिरता को उल्टा कर सकते हैं।