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दिल्ली बाढ़ अलर्ट: लगातार बारिश, बैराजों से छोड़ा पानी और यमुना खतरे के निशान से ऊपर
Abhishek Rauniyar

Abhishek Rauniyar

यमुना उफान पर, निचले इलाकों में पानी—दिल्ली की नब्ज थमी

दिल्ली बाढ़ की तस्वीरें फिर एक बार राजधानी की सड़कों और इलाकों को अपनी चपेट में ले रही हैं। पुराना रेलवे पुल (ओल्ड रेलवे ब्रिज) पर यमुना का जलस्तर 207.47 मीटर दर्ज हुआ—1963 से व्यवस्थित रिकॉर्ड के बाद तीसरा सबसे ऊंचा स्तर। लगातार बारिश और हाथनीकुंड व वजीराबाद बैराज से हर घंटे लगभग 3.3 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से हालात तेजी से बिगड़े। केंद्रीय जल आयोग ने चेतावनी दी है कि पानी 207.48 मीटर तक पहुंच सकता है, यानी 1978 के ऐतिहासिक स्तर के बेहद करीब।

नदी का स्तर बढ़ते ही प्रशासन ने पांच जिलों—पूर्व, उत्तर, दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पूर्व और केंद्रीय दिल्ली—के निचले इलाकों से लोगों को निकालना शुरू किया। अब तक 12,000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा चुका है। 25 राहत कैंप बनाए गए हैं—स्कूलों और अस्थायी टेंटों में। हालांकि पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार के कुछ कैंप खुद पानी में डूब गए, जिससे लोगों को दूसरी जगह पहुंचाना पड़ा।

सड़कें और बाजार कई जगह जलमग्न हैं। रिंग रोड और आउटर रिंग रोड के हिस्से, सिविल लाइंस, बेला रोड, सोनिया विहार, जейтपुर की विश्वकर्मा कॉलोनी और सिविल लाइंस का मोनेस्ट्री मार्केट—इन सब जगहों पर पानी भर गया। मज़नू का टीला से सलीमगढ़ बायपास के बीच ट्रैफिक बार-बार रोका और मोड़ा जा रहा है। निगम ने निगमबोध घाट और गीता कॉलोनी ग्राउंड पर अंतिम संस्कार फिलहाल रोक दिए हैं, क्योंकि यमुना का पानी घाटों तक पहुंच चुका है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी चोट लगी। एनएच-44 के पास अलीपुर में फ्लाईओवर का एक हिस्सा भारी बारिश के बाद धंस गया, जिससे सड़क पर बड़ा गड्ढा बन गया। एक ऑटो उसमें फंस गया और ड्राइवर घायल हुआ—उसे अस्पताल पहुंचाया गया। दिल्ली सचिवालय कॉम्प्लेक्स तक पानी पहुंचने से यमुना बाढ़ क्षेत्र से लगे अंडरपास जलमग्न हो गए। एक मुख्य एक्सेस रोड बंद करनी पड़ी और पानी निकालने के लिए बड़े सक्शन पंप लगाए गए।

मौसम विभाग ने दक्षिण-पूर्व, शाहदरा, दक्षिण, नई दिल्ली, दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम, उत्तर-पश्चिम और उत्तर दिल्ली में गरज-चमक के साथ मध्यम बारिश का अनुमान जताया है। स्कूलों को बंद रखने के निर्देश हैं और लोगों को घरों में रहने, अनावश्यक यात्रा से बचने और निचले हिस्सों से दूर रहने की सलाह दी गई है।

यह संकट सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं। उत्तर भारत के कई हिस्सों में इस बार का मानसून सख्त रहा। अगस्त में अकेले उत्तर भारत में 130 से ज्यादा मौतें दर्ज हुईं। दिल्ली में भी जांरोदा कलां के पास गीताांजलि एन्क्लेव जैसे पॉकेट में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी हैं। प्रशासन का फोकस बैराजों से छोड़े जा रहे पानी की रफ्तार, यमुना के बढ़ते-घटते स्तर और निचले इलाकों में फंसे लोगों को निकालने पर है।

आखिर जलस्तर इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहा है? ऊपर की कैचमेंट—हिमाचल, उत्तराखंड और हरियाणा—में बार-बार तेज बारिश हुई, पहाड़ों से आने वाला रनऑफ बढ़ा और नदी में बोझ अचानक बढ़ गया। हाथनीकुंड और वजीराबाद बैराज की भूमिका यहां अहम है—जैसे-जैसे अपस्ट्रीम में पानी बढ़ा, स्पिल बढ़ाना पड़ा। दूसरी तरफ, दिल्ली में पहले से गीली मिट्टी और भरा ड्रेनेज नेटवर्क पानी को तुरंत समा नहीं पाया। नतीजा—नदी ने बाढ़ क्षेत्र और उससे सटे हिस्सों में कदम बढ़ा दिए।

राहत की तस्वीर भी उतनी ही बड़ी है। एनडीआरएफ, दिल्ली आपदा प्रबंधन और पुलिस की टीमें नावें और मोटरबोट लेकर तैनात हैं। कॉलोनियों में लाउडहेलर से ऐलान होकर रहा है, ताकि लोग समय रहते बाहर निकलें। जिन इलाकों में बिजली के खंभों और ट्रांसफॉर्मरों के पास पानी पहुंच रहा है, वहां सप्लाई नियंत्रित की जा रही है ताकि कोई हादसा न हो। पानी निकासी के लिए मोबाइल पंप लगाए गए हैं, और जिन सड़कों पर बार-बार पानी चढ़ रहा है, वहां मिट्टी भरे बैग (सैंडबैग) से अस्थायी बांध खड़े किए जा रहे हैं।

राहत कैंपों में बुनियादी जरूरतें—पेयजल, कम्युनिटी किचन, शौचालय और प्राथमिक चिकित्सा—उपलब्ध कराई जा रही हैं। चूंकि कुछ कैंप खुद पानी में डूब गए, प्रशासन ने दूसरे स्कूलों, बारात घरों और सामुदायिक केंद्रों को बैकअप के तौर पर सक्रिय किया है। बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए अलग काउंटर और ड्राई स्पेस बनाए गए हैं।

स्वास्थ्य जोखिम बढ़ते हैं—यह हर बाढ़ के बाद का सच है। गंदा पानी, खुला सीवर और मच्छरों की बढ़ोतरी से डायरिया, त्वचा संक्रमण और वेक्टर जनित बीमारियों का खतरा बढ़ता है। इसलिए क्लोरीनयुक्त पानी देने, मोबाइल हेल्थ यूनिट लगाने और कचरा तुरंत हटाने की कवायद तेज है। जिन इलाकों में नल का पानी मटमैला हो, वहां उसे उबालकर ही पीएं या पैक्ड पानी का इस्तेमाल करें।

ट्रैफिक और रोजमर्रा की जिंदगी पर असर स्पष्ट है। रिंग रोड के डूबे हिस्सों को देखते हुए ट्रैफिक पुलिस ने डायवर्जन लगाए हैं—अगर आप कार्यस्थल जा रहे हैं तो अतिरिक्त समय लेकर निकलें और नेविगेशन अपडेट देखते रहें। बस रूट कई जगह मोड़े गए हैं और लो-लेवल अंडरपास बंद किए गए हैं। जिन बाजारों में पानी घुसा है, वहां दुकानदारों से सामान ऊंचाई पर रखने और बिजली कनेक्शन मेन स्विच से बंद रखने की अपील की गई है।

पानी सप्लाई और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हाई अलर्ट पर हैं। नदी का पानी जब पंपिंग स्टेशनों तक पहुंचता है, तो टर्बिडिटी और फ्लो दोनों चुनौती बनते हैं। फिलहाल सप्लाई बनाए रखने की कोशिश है, लेकिन लोकलाइज्ड व्यवधान हो सकते हैं—लोगों को बकेट स्टोरेज और जरूरी जरूरतों के लिए पानी बचाकर रखने की सलाह दी गई है।

नदी के बाढ़ क्षेत्र में रहने वाले परिवारों के लिए सबसे बड़ी चिंता दस्तावेज, मवेशी और रोजाना की कमाई है। प्रशासन ने अस्थायी पशु-शेल्टर और फीडिंग पॉइंट बनाए हैं, ताकि मवेशी सुरक्षित रहें। इसके साथ, स्कूलों की बंदी बढ़ेगी या नहीं—यह अगले 24 घंटे के जलस्तर पर निर्भर करेगा। परीक्षा या प्रवेश से जुड़े कार्यक्रमों को रीशेड्यूल करने पर चर्चा चल रही है।

सवाल ये भी कि कब तक? जल आयोग के ताजा अनुमान बताते हैं कि अगर अपस्ट्रीम में बारिश कम हुई और बैराजों से डिस्चार्ज घटा, तो जलस्तर स्थिर होकर धीरे-धीरे नीचे आएगा। लेकिन बारिश की एक और तीव्र स्पेल तस्वीर बदल सकती है। इसलिए प्रशासन ‘वॉच-एंड-वार्न’ मोड में है—घंटे-घंटे पर लेवल नोटिफाई हो रहा है और जॉइंट कंट्रोल रूम से निर्देश जा रहे हैं।

अगले 48 घंटे: जोखिम, सलाह और ज़रूरी चेकलिस्ट

अगले 48 घंटे: जोखिम, सलाह और ज़रूरी चेकलिस्ट

अगर आप यमुना किनारे या निचले हिस्से में रहते हैं, तो ये करें—

  • बिजली का मेन स्विच बंद रखें, खुले तारों और गीली दीवारों से दूर रहें।
  • जरूरी दस्तावेज, दवाइयां, मोबाइल चार्जर और सूखा राशन एक बैग में तैयार रखें।
  • बच्चों और बुजुर्गों को बाढ़ के पानी से बिल्कुल दूर रखें—करंट और संक्रमण का खतरा रहता है।
  • घरों के बाहर सैंडबैग या लकड़ी के तख्ते लगाकर पानी की एंट्री रोकने की कोशिश करें।
  • पीने के पानी को उबालें या फिल्टर कर इस्तेमाल करें; खुले स्रोत का पानी न पिएं।
  • वाहन चलाते वक्त पानी की गहराई का अंदाजा न हो तो एंट्री न करें; इंजन हाइड्रोलॉक हो सकता है।
  • पेट्स और मवेशियों के लिए सूखा चारा और सुरक्षित जगह तय रखें।

राहत और मुआवजा प्रक्रिया के लिए—प्रशासनिक टीम मौके पर नुकसान का आकलन कर रही है। जिनके घर और दुकानें प्रभावित हैं, उनसे फोटो, वीडियो और बेसिक डिटेल्स लेने के लिए फॉर्म भरे जा रहे हैं। पानी उतरने के बाद सफाई, कीटाणुनाशक छिड़काव और कचरा उठाने के लिए एडिशनल वर्कफोर्स तैनात की जाएगी, ताकि बीमारियां न फैलें।

आखिरकार, फोकस यह सुनिश्चित करने पर है कि जानमाल का नुकसान न्यूनतम रहे। बैराजों के डिस्चार्ज, यमुना के जलस्तर और शहर की नालियों की क्षमता के बीच यह एक रेस है। अभी तस्वीर कठिन है, लेकिन समन्वित रेस्क्यू, रियल-टाइम मॉनिटरिंग और लोगों के सहयोग से नुकसान को सीमित रखने की कोशिश जारी है। अगले 24 से 48 घंटे अहम हैं—और यही तय करेंगे कि राजधानी कब सामान्य रफ्तार पकड़ पाएगी।

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