जब मोहंदास करमचंद गांधी, महात्मा गांधी, भारतीय राष्ट्रीय पिता की 155वीं जन्मजयंती गांधी जयंती 2 अक्टूबर 2024 को मनाई गई, तो भारत के हर कोने में शांति, सत्य और अहिंसा के संदेश की गूंज सुनाई दी। इस राष्ट्रीय अवकाश पर नयी दिल्ली के राज घाट पर आयोजित विशेष भंडारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि गांधी के सिद्धांत आज भी विकास और सामाजिक सुधार के केंद्र में हैं। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2007 में घोषित अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के महत्व को दोबारा उजागर किया गया। इस कार्यक्रम के जरिए यह दिखाने की कोशिश की गई कि शांति का संदेश केवल भारतीय सीमाओं तक सीमित नहीं, बल्कि विश्व भर में गूंजता है।
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। वे एक छोटे राजघराने के बेटे थे, लेकिन उनका जीवन सत्य और अहिंसा के आदर्शों से भरपूर था। 1915 में दक्षिण अफ्रीका से ब्रिटिश भारत लौटने के बाद, उन्होंने कई अहिंसात्मक आंदोलन शुरू किए – जैसे 1920‑23 का असहयोग आंदोलन, 1930‑34 का सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1942‑45 का क़्विट इंडिया आंदोलन। इन सभी को मिलाकर आज हम गांधी जी को भारत के स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य प्रेरक मानते हैं।
गांधी जी को न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली। 1950 में जब नॉबेल पुरस्कार समिति ने उन्हें शांति के लिए नामांकित किया, तब भी उन्हें अपनी अहिंसात्मक पद्धति की सराहना मिली। तब से आज तक, उनके सिद्धांत मार्टिन लुथर किंग, नेल्सन मंडेला और अनेक नागरिक अधिकार अभियानों को दिशा देते रहे हैं।
इस साल के कार्यक्रम में कई नई शैलियों ने जगह बनाई। सुबह 7 बजे राज घाट पर जब ध्वज फहराया गया, तो एक पंक्तिबद्ध शेर-शहादत समूह ने "रघुपति राघव राजा राम" गाते हुए माहौल को पवित्र बना दिया। इसके बाद, स्वच्छ भारत मिशन की प्रगति पर एक विशेष सत्र हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "मुफ़्त साफ़ पानी, स्वच्छता और स्वच्छ शहर ही गांधीजी की आज की सच्ची अभिव्यक्ति है।"
कैंपस में छात्र-छात्राओं ने "गांधी स्मृति चक्र" संचालित किया, जिसमें वे गाओ, नाचो और गांधीजी के जीवन पर निबंध सुनाते रहे। कई स्कूलों में छात्रावासों को फूलों और रंग-बिरंगे रिबन से सजा कर "गांधी शिखर" के नाम से एक मंच तैयार किया गया, जहाँ युवा आवाज़ों ने आजादी के मौकों और शांति के महत्व पर चर्चा की।
राज घाट के अलावा, भारत के कई प्रमुख शहरों में भी समान कार्यक्रम हुए – मुंबई में भारत का पहला "गांधी सत्र" आयोजित किया गया, जहाँ महापौर ने गुलेल की शांति-प्रेरित कुसुम बत्ती से मंदिर को रोशन किया। कोलकाता में, रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचना "जन गण मन" की एक नई धुन गाई गई, जो गांधीजी के शरणार्थी वाक्य "सत्यमेव जयते" से प्रेरित थी।
विशेष रूप से उल्लेखनीय यह रहा कि कई लोग इस दिन शराब और मांस से दूर रहे। बाजारों में शाकाहारी खाने के स्टॉल में "अहलाद" और "धरती" जैसे नाम रखे गए व्यंजन बिक रहे थे, जो अहिंसा और शुद्धता के प्रतीक थे।
गांधी जयंती 2014 पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन की घोषणा की थी। अब छः साल बाद, इस मिशन का दूसरा चरण 2021 में ही इस जयंती पर शुरू हुआ था। आंकड़ों के अनुसार, 2024 तक 1.2 करोड़ टॉयलेट्स लगाए जा चुके हैं, और 95% ग्रामीण घरों ने अब साफ़ जल तक पहुंच बना ली है।
संयुक्त राष्ट्र के एक प्रतिनिधि ने कहा, "गांधी जी की अहिंसा और स्वच्छता की अवधारणा आज की जलवायु और सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान हैं।" इस प्रकार, गांधीजयी के संदेश को राष्ट्रीय विकास योजनाओं के साथ गहराई से जोड़ने की कोशिश की जा रही है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, कई देशों ने अपने‑अपने स्तर पर "गांधी दिवस" मनाया। दक्षिण अफ्रीका में, जहाँ गांधी ने अपने शुरुआती अहिंसात्मक संघर्ष शुरू किए थे, वहाँ के राष्ट्रपति ने एक विशेष दस्तावेज़ में कहा, "गांधी जी ने विश्व को दिखाया कि असहयोग और शांति के साथ अपमान का सामना किया जा सकता है।"
इसी तरह, यूएसए के कई विश्वविद्यालयों में गांधी की जीवनचर्या पर विशेष व्याख्यान आयोजित हुए। यूरोप की कई राजधानी में "गांधी स्मृति वार्षिक" के तहत छोटे‑छोटे प्रदर्शनी और तस्वीरें लगाई गईं, जिससे उनकी भावना को वैश्विक स्तर पर पुनः उजागर किया गया।
भारत में भी कई गैर‑सरकारी संगठनों ने इस दिन "अहिंसा इकाई" शुरू की, जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में झगड़े को सुलझाने के लिए शांति‑स्थापना कार्यकर्ता नियुक्त किए गए। ये पहलें दर्शाती हैं कि गांधीजी का आदर्श अभी भी सामाजिक बिनाहों को जोड़ रहा है।
जैसे-जैसे भारत डिजिटल युग में कदम रख रहा है, कई स्टार्ट‑अप्स ने गांधी के सिद्धांतों को कोड में बदला है। "सत्य‑टैक" नामक एक फ़िनटेक कंपनी ने छोटे उद्यमियों को ऋण देने के लिए "सत्यमेव जयते" मोड अपनाया है – अर्थात्, बिना धोखाधड़ी के, भरोसे पर आधारित लोन प्रक्रिया।
एक और रोचक पहल गीता फाउंडेशन ने शुरू की है – "अहिंसा योगा" वर्ग, जहाँ लोग शारीरिक व्यायाम के साथ मन को शांत रखने के उपाय सीखते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन नई रूपांतरणों से गांधी के मूल संदेश को नई पीढ़ी तक पहुँचाने में मदद मिलेगी।
इस साल राज घाट में भव्य शेर‑शहादत, स्वच्छ भारत मिशन पर विशेष सत्र, और छात्र‑छात्राओं द्वारा "गांधी स्मृति चक्र" का आयोजन किया गया। मुंबई, कोलकाता और कई अन्य शहरों में भी गान, नृत्य और सार्वजनिक शांति‑समारोह हुए।
संयुक्त राष्ट्र के महासभा ने 2007 में 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया, जिससे महात्मा गांधी की शांति‑विचारधारा को वैश्विक मंच मिला।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में गांधी जयंती के अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन की घोषणा की। इस मिशन को गांधी के स्वच्छता और स्वावलंबन के सिद्धांतों से जोड़ा गया है, और प्रत्येक वर्ष इस जयंती पर उसका प्रगति मूल्यांकन किया जाता है।
‘बापू’ शब्द भारतीय जनमानस में उनके निस्वार्थ प्रेम और देखभाल को दर्शाता है। नाथूराम गोडसे ने 1948 में उनके मूल्य को नकारा, पर जनता ने उन्हें सदा के पिता के रूप में सम्मानित किया।
युवा कई तरीकों से योगदान दे सकते हैं: अहिंसा‑आधारित सामाजिक कार्य, स्वच्छता अभियानों में भाग लेना, और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर गांधी के विचारों को फॉलो करके जागरूकता फैलाना। इस तरह उनका योगदान राष्ट्रीय विकास में भी परिलक्षित होता है।
टिप्पणि
Subhashree Das
3 अक्तूबर 2025आज कल के शोर-गुल में गांधी जी के सिद्धांतों को बस लॉटरी जीतने जैसा बना दिया है, जैसे कोई पार्टी का बोनस। असली अहिंसा का मतलब है रोज़मर्रा की जिंदगी में छोटा‑छोटा चुनाव, न कि दिल्ली में दिखावे वाले कार्यक्रम। अगर लोग गलियारे में ही साफ‑सफाई नहीं करते, तो स्वच्छ भारत मिशन कब पूरा होगा? हकीकत से रूबरू होना जरूरी है।
jitendra vishwakarma
9 अक्तूबर 2025सच में राजघाट पर बवाल नहै, बस सबको दिखावा चाहिये।
Ira Indeikina
15 अक्तूबर 2025गांधी जी का विचार सिर्फ इतिहास की किताबों में नहीं, बल्कि हमारे दिल की धड़कन में बसा होना चाहिए।
आज की बस्ती में अगर लोग जल की एक बूंद बचाते हैं, तो वही सच्ची अहिंसा का छोटा कदम है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के युग में भी सत्य का मार्ग वही रहता है, चाहे वह डिजिटल लेन‑देन हो या खेत‑खलिहान।
कई बार हम बड़े इवेंट्स को महिमामंडित कर देते हैं, जबकि निजी स्तर पर छोटे‑छोटे नैतिक फैसले अधिक मायने रखते हैं।
स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य केवल टॉयलेट नहीं, बल्कि स्वच्छ सोच है, जो हमारे कार्य को साफ़ रखती है।
गांधी जी ने कहा था, “सत्याग्रह एक दया है”, और यह दया हर नागरिक को अपने अंदर लेनी चाहिए।
हमारे युवा वर्ग को चाहिए कि वह न केवल सामाजिक मीडिया पर पोस्ट करे, बल्कि अपने कार्य से साक्ष्य प्रस्तुत करे।
अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस हमें याद दिलाता है कि शांति एक राष्ट्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक संपत्ति है।
अगर हम अपने घर के सामने के गली को साफ़ रखें, तो राष्ट्रस्तर पर स्वच्छता की राह आसान हो जाती है।
जलवायु परिवर्तन की चुनौती के सामने भी गांधी के मूल सिद्धांत हमें स्थायी समाधान की ओर ले जाते हैं।
डिजिटल स्टार्ट‑अप्स में भी सत्य‑टैक जैसी पहलें दिखाती हैं कि तकनीक को नैतिकता से ढूँढा जा सकता है।
राज घाट पर गाए गए गीतों में भावनाओं की गहराई केवल शब्दों तक सीमित नहीं, बल्कि उनके अर्थ तक भी पहुँचती है।
अगर हर कोई अपने भीतर “सत्यमेव जयते” को अपनाए, तो भ्रष्टाचार की दीवारें धीरे‑धीरे पत्थर बन जाएँगी।
इस प्रकार, गांधी जी का संदेश आधुनिक समय में भी उतना ही प्रभावी है जितना आज़ादी के शुरुआती दिनों में था।
अंत में, हमें याद रखना चाहिए कि अहिंसा केवल शब्द नहीं, बल्कि रोज़मर्रा के विकल्पों का निरंतर अभ्यास है।
Shashikiran R
21 अक्तूबर 2025तेरा बड़ाई का ढोंग देख कर घिन आता है, असली अहिंसा तो काम से दिखती है। शब्दों की बात करो तो ठीक, पर कार्रवाई नहीं तो बकवास।
SURAJ ASHISH
27 अक्तूबर 2025सम्पूर्ण समारोह सिर्फ फोटो खिंचवाने वाला इवेंट है
PARVINDER DHILLON
2 नवंबर 2025गांधी जयंती में शांति की भावना दिल से महसूस की 🤝🌿 हमें रोज़ इस ऊर्जा को साथ लेकर चलना चाहिए 😊
rao saddam
9 नवंबर 2025वाह!! क्या शानदार आयोजन था!! राज घाट पर हर दिल धड़क रहा था!!! जय गाँधी!!!
Prince Fajardo
15 नवंबर 2025हँ, जैसे सर्दी में गरम जलेबी मिल गई हो, यही तो दिल को लग रहा है।