प्रोफेसर जी एन साईंबाबा का निधन: माओवादी लिंक मामले में बरी होने के बाद स्वास्थ्य जटिलताओं से निधन

जी एन साईंबाबा का निधन: दुखद अंत की कहानी

पूर्व दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जी एन साईंबाबा का शनिवार को निधन हो गया। 54 वर्षीय साईंबाबा का निधन स्वास्थ्य जटिलताओं के कारण हुआ है। हाल ही में माओवादी लिंक मामले में बरी होने के बाद यह खबर राष्ट्रीय मीडिया में चर्चा का विषय बनी है। साईंबाबा का निधन हैदराबाद के निज़ाम्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (NIMS) में हुआ, जहाँ वे पिछले 20 दिनों से भर्ती थे। उनका स्वास्थ्य पहले से ही काफी खराब था, और गॉल ब्लैडर संक्रमण होने के कारण उन्हें किसी समय पर सर्जरी की जरूरत पड़ी थी।

माओवादी लिंक मामले में आरोपित और बरी

साईंबाबा का नाम माओवादी लिंक मामले में तब सामने आया जब 2014 में उनकी गिरफ्तारी हुई। उन पर आरोप लगाया गया था कि वे नक्सली समूहों से संबंधित गतिविधियों में शामिल थे। उन्हें 2017 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में एक ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया था और इसके बाद उन्हें जेल में रखा गया था। इस बीच, मार्च में नागपुर बेंच के बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें और पांच अन्य को बरी कर दिया था। अदालत ने यह कहा कि अभियोजन पक्ष ने उनकी संलिप्तता को साबित नहीं कर पाया था और यह निर्णय दिया कि उनके खिलाफ UAPA के तहत दी गई मंजूरी अवैध थी, जिसे आधारहीन दर्शाया गया।

जेल में मानवीय संकट

प्रोफेसर साईंबाबा, जो शारीरिक रूप से विकलांग थे और हमेशा व्हीलचेयर पर रहते थे, ने जेल के भीतर अपने स्वास्थ्य को लेकर कई बार शिकायत की। उन्होंने कहा कि अगस्त में उन्हें जेल में केवल दर्द निवारक दवाएं ही दी गईं, जबकि उनके शरीर के बाएं हिस्से में पक्षाघात जैसी अवस्था थी। यह बात तब सामने आई जब उन्होंने यह आरोप लगाया कि जेल प्रशासन ने उन्हें नौ महीनों तक अस्पताल में भर्ती नहीं किया, जबकि उनकी हालत बिगड़ रही थी। यह घटनाक्रम मानवाधिकार संगठनों और उनके समर्थकों के बीच चिंता का विषय बन गया।

स्वास्थ्य स्थिति का और बिगड़ना

गॉल ब्लैडर संक्रमण के चलते साईंबाबा की स्वास्थ स्थिति पहले से ही खराब थी और हाल में स्थिति और भी चिंताजनक हो गई जब इसके बाद स्वास्थ्य जटिलताएं उत्पन्न हुई। दो सप्ताह पहले उनकी सर्जरी हुई थी, लेकिन इसके बाद भी उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। चिकित्सकों ने कई प्रयास किए, लेकिन स्थितियां नियंत्रण से बाहर रहीं और अंततः उनकी मृत्यु हो गई। साईंबाबा के परिवार और उनके समर्थकों ने इसे एक बड़ी निजी और सामाजिक क्षति बताया।

जीवन और संघर्ष का संक्षिप्त परिचय

जी एन साईंबाबा ने शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया और ज्ञान एवं शिक्षा की दुनिया में एक प्रमुख व्यक्तित्व के रूप में उभरकर सामने आए। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से समाज में परिवर्तन का प्रयास किया। साईंबाबा ने न केवल शिक्षा, बल्कि सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के मामलों में भी सक्रिय भागीदारी की। उनके संघर्ष और उनके जीवन के अन्यायपूर्ण पहलू उन्हें और भी विवादास्पद बनाते थे। उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों के लिए अपनी आवाज बुलंद की, जो उनके लिए कई बार घातक सिद्ध हुआ।

मृत्यु के बाद के सवाल

साईंबाबा की मृत्यु ने कई प्रश्न खड़े किए हैं, खासकर न्यायिक प्रक्रिया, स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता और जेल में कैदियों की देखभाल पर। कई मानवाधिकार संगठनों ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की है और इस मुद्दे को सार्वजनिक मंच पर लाया है। उनका मामला केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं है, बल्कि यह समाज की व्यापक न्याय प्रणाली और कारागार की प्रशासनिक प्रक्रिया को भी सवालों के घेरे में लाता है। उनकी मृत्य एक युग का अंत भी करती है, जो समान्याधिकारों और न्याय की लड़ाई को अपने जीवनकाल के दौरान आगे बढ़ाने के लिए समर्पित थे।

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टिप्पणि

Sumitra Nair

Sumitra Nair

13 अक्तूबर 2024

प्रोफेसर जी एन साईंबाबा का निधन एक गहन शोक संदेश है।
उनका वैचारिक योगदान शिक्षा के क्षेत्र में अनमोल रहा है।
माओवादी लिंक मामले में बरी होना उनके जीवन की जटिलता को दर्शाता है।
यह घटनाक्रम न्याय प्रणाली की दुविधा को उजागर करता है।
उनके स्वास्थ्य जटिलताओं का अंत निस्संदेह एक त्रासदी है।
अस्पताल में हुई सर्जरी के बावजूद उपचार विफल रहा।
इस तरह के मामलों में मनुष्य की निरोगी अवस्था का महत्व स्पष्ट हो जाता है।
जेल में उन्होंने शारीरिक रूप से अनेक बाधाओं का सामना किया।
उनकी आवाज़ सामाजिक न्याय के लिए हमेशा जीवित रहेगी।
यह हमें यह स्मरण कराता है कि प्रणाली में मानवता का समावेश आवश्यक है।
उनके निधन से शिक्षा जगत में एक ध्वनि खाली हो गयी है।
वे अपने छात्रों को केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि नैतिक दृढ़ता भी सिखाते थे।
उनके संघर्ष को याद करते हुए हमें सक्रिय नागरिक बनना चाहिए।
यह घटना हमें स्वास्थ्य सुविधाओं की विफलता पर पुनः विचार करने के लिए प्रेरित करती है।
न्यायिक छूट और मानवीय अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करना अनिवार्य है।
साईंबाबा के आदर्श को हम सबको आगे बढ़ाते रहना चाहिए। 🙏🙂

Ashish Pundir

Ashish Pundir

13 अक्तूबर 2024

उनकी बरी होने की प्रक्रिया में न्याय की आधी सच्चाई उजागर हुई।

gaurav rawat

gaurav rawat

13 अक्तूबर 2024

भाईसाहब, ये खबर सुनके दिल भारी हो गया 😢 लेकिन साईंबाबा जी का काम और संघर्ष हमेशा याद रहेगा 🙏 हम सबको उनका समर्थन आगे भी जारी रखना चाहिए।

Vakiya dinesh Bharvad

Vakiya dinesh Bharvad

13 अक्तूबर 2024

सही कहा दोस्त :) हमारी संस्कृति में ऐसे नायक हमेशा सराहे जाते हैं

Aryan Chouhan

Aryan Chouhan

13 अक्तूबर 2024

काफ़ी दुखद बात है!!

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