प्रती सुदासन ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में अपनी कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति 1 अगस्त 2024 से प्रभावी होगी। सुदासन 1983 बैच कीं हैं और उन्होंने अपने करियर के दौरान कई उच्च-प्रोफाइल पदों पर कार्य किया है, जिनमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में विशेष सचिव के रूप में उनकी सेवाएं शामिल हैं। उनकी व्यापक अनुभव और सार्वजनिक सेवा में योगदान की व्यापक मान्यता प्राप्त है।
प्रतिदिन नए चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करते हुए, सुदासन ने अपनी प्रतिबद्धता और नेतृत्व के ज़रिए भारतीय ब्यूरोक्रेसी में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। उनकी नियुक्ति यूपीएससी के अध्यक्ष के रूप में, अरविंद सक्सेना के स्थाना लेने की अदला-बदली होगी जो 2018 से इस भूमिका में थे। यूपीएससी एक संवैधानिक निकाय है जो भारतीय सिविल सेवाओं में भर्ती की परीक्षा आयोजित करने के लिए जिम्मेदार है, जिसमें IAS, भारतीय पुलिस सेवा (IPS), भारतीय विदेश सेवा (IFS), और अन्य संबद्ध सेवाएं शामिल हैं।
प्रती सुदासन का करियर और योगदान
प्रती सुदासन के करियर में उनके द्वारा निभाई गई विभिन्न भूमिकाओं ने उन्हें एक प्रतिष्ठान आईएएस अधिकारी के रूप में स्थापित किया है। सचिव के रूप में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में उनकी भूमिका ने उन्हें स्वास्थ्य सुधार और नीतियों के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। सुदासन की अनुकरणीय सेवा और निष्ठा द्वारा विभिन्न सामाजिक और आर्थिक पहलुओं में सुधार लाने में सहायता मिली है। उन्होंने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में विशेष सचिव के रूप में कार्य करते हुए महिलाओं और बच्चों के सशक्तीकरण के लिए भी महत्वपूर्ण नीतियों और कार्यक्रमों को लागू किया है।
उनकी अपार सफलता और प्रेरणादायक नेतृत्व को सरकार द्वारा समीक्षा के रूप में देखा गया है और उनके नियुक्ति का निर्णय सुविचारित माना जा रहा है। यह नियुक्ति उस समय आई है जब यूपीएससी ने अपनी परीक्षा प्रक्रिया और भर्ती प्रक्रिया में कई सुधार और प्रगति दिखाई है।
यूपीएससी में सुधार और उन्नति
यूपीएससी एक महत्वपूर्ण संस्था है जो भारतीय सिविल सेवाओं में शीर्ष प्रतिभाओं के चयन के लिए उत्तरदायी है। प्रती सुदासन के अध्यक्ष बनने से यूपीएससी में और सुधार और उन्नति देखने को मिल सकती है। उम्मीद की जा रही है कि सुदासन की दक्षता और अनुभव यूपीएससी के कार्यप्रणाली को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाएंगे। यह भारतीय सिविल सेवा के चयन की गुणवत्ता को और आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
यूपीएससी का मुख्य उद्देश्य देश की शीर्ष प्रशासनिक सेवाओं में मेरिट-आधारित चयन को सुनिश्चित करना है। जिससे देश की सेवा में अधिकतम क्षमता और निष्ठा वाले अधिकारियों की भर्ती की जा सके। प्रती सुदासन के नेतृत्व में, आयोग की कार्यप्रणाली में और अधिक सुधार लाए जाने की संभावना है, जो अंततः सिविल सेवाओं के गुणवत्ता मानकों को और ऊंचा करेंगे।
प्रती सुदासन के नेतृत्व का प्रभाव
प्रती सुदासन के नेतृत्व में यूपीएससी के अध्यक्ष के रूप में, आवेदन प्रक्रिया, परीक्षा पैटर्न, और परिणामों की जांच में सुधार की संभावनाएं प्रबल हैं। उन्होंने अपने करियर के दौरान जिन उच्च-प्रोफाइल पदों में काम किया है, उससे उन्हें प्रशासनिक और नीति-निर्माण के क्षेत्रों में उच्च दक्षता और अनुभव प्राप्त हुआ है। सुदासन के नेतृत्व में यूपीएससी में और अधिक पारदर्शिता, दक्षता, और नवाचार की संभावना है, जो अंततः भारतीय ब्यूरोक्रेसी की गुणवत्ता में सुधार करेंगे।
सुदासन की नियुक्ति की खबर ने सरकार और ब्यूरोक्रेटिक समुदाय में आम तौर पर सकारात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। अधिकारियों और विशेषज्ञों का मानना है कि सुदासन के आने से यूपीएससी में महत्वपूर्ण सुधार और प्रगति देखने को मिलेगी। उनके नेतृत्व में, आयोग की नीतियां और प्रक्रियाएं और भी अधिक प्रभावी और परिणामोन्मुखी हो सकती हैं।
भविष्य की दृष्टिकोण
यूपीएससी के भविष्य को देखते हुए, प्रती सुदासन के नेतृत्व में भविष्य में और अधिक सुधार और उन्नति की संभावनाएं हैं। उनकी प्रशासनिक क्षमता, अनुभव, और दृष्टिकोण से संस्था के कार्यप्रणाली में नवीनता और सुधार देखने को मिलेगा। उनके नेतृत्व में, भारतीय सिविल सेवाओं में मेरिट-आधारित चयन और गुणवत्ता सेवा की दिशा में प्रयास और भी प्रभावी होंगे।
इस नियुक्ति के साथ, प्रती सुदासन भारतीय सिविल सेवाओं के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ने वाली हैं। उनका अनुभव, नेतृत्व, और दृष्टिकोण यूपीएससी के लिए एक नई दिशा और ऊर्जा लाएंगे।
देश और समाज की सेवा में, उनकी प्रतिबद्धता और सेवा भावना का परिणाम अब आयोग की परीक्षा प्रक्रिया में और सुधार और गुणवत्ता वर्धन के रूप में देखा जाएगा। उनके नेतृत्व में, यूपीएससी को और भी अधिक कुशल और पारदर्शी बनाया जाएगा, जिससे भारतीय सिविल सेवाओं की गुणवत्ता और प्रतिष्ठा में महत्वपूर्ण सुदृढ़ीकरण होगा।
अंततः प्रती सुदासन का यूपीएससी में नेतृत्व देश में एक नई व्यवस्था और प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
टिप्पणि
Ashish Pundir
31 जुलाई 2024ऊपर लिखा गया ख़बर ठीक‑ठाक है
Sri Prasanna
31 जुलाई 2024वास्तव में प्री सुदासन का चयन सिर्फ एक चेहरा बदलना नहीं है यह पुरानी नियमावली को फिर से चलाने का प्रयास लगता है इस तरह की ऊँची पदोन्नति से परीक्षा प्रणाली में गड़बड़ी नहीं सुधरेगी
gaurav rawat
31 जुलाई 2024भाई साहब आप बहुत ही नकारात्मक हो रहे हैं 😅। सुदासन जी के पास इतनी अनुभवी पृष्ठभूमि है आगे चल कर UPSC में सुधार देखेंगे। हम सबको कुछ भरोसा रखना चाहिए 👍
Vakiya dinesh Bharvad
31 जुलाई 2024देश की सेवा में बदलाव हमेशा सांस्कृतिक धरोहर के साथ होना चाहिए :) UPSC का इतिहास बहुत पुराना है नई अध्यक्ष से उम्मीदें भी नई होंगी 🙏
Aryan Chouhan
31 जुलाई 2024बधाइयां सुदासन को पर जाबाब नहीं मिलेगा अगर परीक्षा में बकवास रहेगी तो 🤷♂️ अभी तो बस नाम बदलगा असली काम देखना बाकी है।
Sumitra Nair
31 जुलाई 2024राष्ट्र की प्रशासनिक सेवा में प्रवीणता का प्रतीक नई नियुक्ति, श्रीमती प्रती सुदासन, ने एक नई दिशा की घोषणा की है।
उनका विस्तृत कार्यकाल, विशेष रूप से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में, कई सामाजिक सुधारों का आधार रहा है।
विस्तारित अनुभव को देखते हुए, यह अपेक्षित है कि वे यूपीएससी में पारदर्शिता एवं दक्षता को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँगी।
उन्हें इस पद के लिए चयनित किया गया है, न केवल उनके व्यक्तिगत योग्यता के कारण, बल्कि उनके नेतृत्व शैली की व्यापक प्रशंसा के उपरांत।
उपलब्धियों की सूची में, ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण और बाल अधिकारों की सुरक्षा प्रमुख हैं।
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि नीति निर्माण में उनका दृष्टिकोण मानव केन्द्रित है।
उन्हें अब यूपीएससी के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालते देखना, एक सकारात्मक संकेत हो सकता है।
विशेष रूप से, परीक्षा प्रक्रिया में तकनीकी नवाचारों की संभावनाएँ अब अधिक स्पष्ट हो गई हैं।
वर्तमान में, डिजिटल प्रशासन की दिशा में कई चरण निर्धारित किए जा रहे हैं, जिससे उम्मीदवारों को अधिक सुविधाजनक माहौल मिलेगा।
साथ ही, चयन प्रक्रिया में वस्तुनिष्ठता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने के लिए नई मानदंडों को स्थापित किया जाएगा।
यह सभी पहलें भारतीय सिविल सेवाओं के भविष्य को सुदृढ़ करने में मदद करेंगे।
सुदासन जी की प्रेसिडेंट बडिया प्रशासनिक सिद्धान्तों के प्रति प्रतिबद्धता, उनके पूर्वी कार्यकाल में स्पष्ट था।
अब, यूपीएससी के अध्यक्ष के पद पर उनका योगदान, प्रशासनिक सुधारों को गहरा करने का अवसर प्रदान करेगा।
ऐसा समय था जब कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, पर उनका दृढ़ निश्चय उन बाधाओं को पार कर गया।
इस प्रकार, उनके नेतृत्व में, हम अपेक्षा कर सकते हैं कि परीक्षा प्रणाली अधिक न्यायसंगत और उत्तरदायी बनेगी।
अंत में, उनके इस नियुक्ति से भारतीय प्रशासन की नई परिभाषा स्थापित होगी, और यह सब हमारे सभी नागरिकों के हित में होगा 😊।