अगर पेट में लगातार दर्द, दस्त या उल्टी हो रही है तो अक्सर लोग अमीबा के कारण को नहीं सोचते। दरअसल, यह छोटा जीव आपके जठरांत्र प्रणाली में घुसकर असहजता पैदा कर सकता है। इस लेख में हम बात करेंगे कि कब शंका करनी चाहिए, कैसे पहचानें और क्या करें ताकि बीमारी जल्दी ठीक हो सके।
अमीबा संक्रमण के मुख्य लक्षण होते हैं लगातार दस्त, कभी‑कभी रक्त या ढीला मल, पेट में गड़बड़ी और भूख नहीं लगना। कई बार बुखार भी दिख सकता है, लेकिन सभी मामलों में नहीं। अगर ये संकेत दो‑तीन दिन से ज्यादा टिकें तो डॉक्टर को दिखाना बेहतर रहेगा। टेस्ट के लिए अक्सर stool microscopy या antigen test की सलाह दी जाती है—इनसे सटीक पता चलता है कि अमीबा मौजूद है या नहीं।
ध्यान रखें, कभी‑कभी हल्के केस में लक्षण बिल्कुल नहीं दिखते, फिर भी व्यक्ति कैरी हो सकता है। इसलिए अगर आप यात्रा कर रहे हैं या किसी ऐसे क्षेत्र से आए हैं जहाँ पानी साफ नहीं है, तो सतर्क रहना ज़रूरी है।
सबसे असरदार बचाव का तरीका है स्वच्छता। खाने‑पीने की चीज़ों को अच्छी तरह उबालें या पैकेज्ड पानी ही इस्तेमाल करें। बाहर के खाने में खासकर सलाद और कच्ची सब्जियाँ कम खाएँ, क्योंकि उनमें अक्सर बैक्टीरिया रहता है। हाथ धोना भी उतना ही महत्वपूर्ण है—भोजन से पहले और शौचालय के बाद साबुन से 20 सेकंड तक धोएँ।
यदि आप यात्रा कर रहे हैं तो बोतलबंद पानी या उबला हुआ पानी रखें, और दाने वाले खाने से बचें। बच्चों को भी यही नियम सिखाएँ; उनका इम्यून सिस्टम अभी मजबूत नहीं होता, इसलिए वे आसानी से संक्रमित हो सकते हैं।
अगर आपको पहले से अमीबा संक्रमण रहा है तो डॉक्टर की सलाह अनुसार दवाई लें और पूरा कोर्स खत्म करें। कभी‑कभी लक्षण ठीक दिखते ही दवा बंद कर देना समस्या फिर से बढ़ा सकता है। साथ ही, उपचार के दौरान हल्का भोजन जैसे दलिया, उबले हुए सब्ज़ियाँ और बहुत पानी पिएँ ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
समझदारी से रोजमर्रा की आदतों को बदलना अमीबा संक्रमण को रोकने का सबसे सस्ता और असरदार तरीका है। साफ‑सफाई, सही भोजन और समय पर उपचार—इन तीन चीज़ों पर ध्यान दें और आप सुरक्षित रहेंगे।
केरल के कोझिकोड में 14 वर्षीय लड़के की दुर्लभ दिमाग़ खाना वाला अमीबा संक्रमण से मौत हुई। दूषित तालाब में नहाने के बाद उसे बीमारी लगी थी। पिछले तीन महीनों में यह संक्रमण से राज्य में तीसरी मौत है।
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