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केरल के कोझिकोड में दुर्लभ दिमाग़ खाने वाले अमीबा संक्रमण से लड़के की मौत, 3 महीनों में तीसरी मौत
Abhishek Rauniyar

Abhishek Rauniyar

कोझिकोड में दुर्लभ दिमाग़ खाने वाले अमीबा संक्रमण से 14 वर्षीय लड़के की मौत

केरल के कोझिकोड जिले में 14 वर्षीय मृदुल की दुर्लभ ब्रेन-ईटिंग अमीबा संक्रमण से मृत्यु हो गई है। यह संक्रमण पानी में पाए जाने वाले फ्री-लिविंग अमीबा, नयेगलेरिया फॉलेरी, से होता है, जो दूषित पानी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और अंततः मस्तिष्क को संक्रमित कर देता है। मृदुल को ये संक्रमण बाहरी तालाब में स्नान करने के बाद हुआ। यह क्षेत्र में पिछले तीन महीनों में तीसरी मौत है, जिससे लोगों में भय की लहर दौड़ गई है।

संक्रमण का स्रोत

मृदुल को 24 जून को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उपचार के बावजूद उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ और गुरुवार को उसकी मौत हो गई। जांच में पाया गया कि मृदुल ने जिस तालाब में स्नान किया था, वह दूषित पानी का स्रोत था। इस तालाब में नयेगलेरिया फॉलेरी अमीबा की पुष्टि हुई थी।

संक्रमण के लक्षण और कारण

नयेगलेरिया फॉलेरी आमतौर पर गर्म और स्थिर मीठे पानी में पाया जाता है, जैसे कि झीलें, नदियां, तालाब और अस्पष्ट या अपरिचालित पानी के स्रोत। यह अमीबा नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और मस्तिष्क तक पहुंचकर वहां की नसों को क्षतिग्रस्त कर देता है। दिमाग़-खाने वाला अमीबा का संक्रमण अत्यंत दुर्लभ और अक्सर घातक होता है। मरीजों में इसके लक्षण सिरदर्द, बुखार, मितली और उल्टी के रूप में तेजी से प्रकट होते हैं और पांच से अठारह दिनों के भीतर मृत्यु हो सकती है।

महीनों में तीसरी मौत

केरल में पिछले तीन महीनों में इस दुर्लभ संक्रमण से तीसरी मौत हो चुकी है। मृदुल से पहले मई में मल्लपुरम जिले की एक पांच वर्षीय लड़की और जून में कन्नूर जिले की तेरह वर्षीय लड़की की इसी संक्रमण से मौत हुई थी। इस पर गंभीरता से विचार करते हुए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की और स्वास्थ्य विभाग को इस संक्रमण के प्रति विशेष दिशानिर्देश जारी करने का निर्णय लिया है।

स्वास्थ्य विभाग की तैयारी

स्वास्थ्य विभाग ने संक्रमण को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं। वे दूषित पानी के स्रोतों की जांच और स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसके अलावा, लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वे किस प्रकार के पानी में स्नान करें और क्या सावधानियां बरतें।

लोगों की जागरूकता बढ़ाना

स्वास्थ्य विभाग लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग कर रहा है, जिसमें डिजिटल मीडिया, प्रिंट मीडिया और सामाजिक मंच शामिल हैं। लोगों को बताया जा रहा है कि वे सुरक्षित नहाने के तरीके अपनाएं और दूषित पानी से दूर रहें।

उपचार और रोकथाम

संक्रमण के प्रारंभिक लक्षणों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। अगर किसी व्यक्ति को सिरदर्द, बुखार, मितली या उल्टी की शिकायत हो, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। प्रारंभिक पहचान और उपचार इस संक्रमण से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

भविष्य के उपाय

इस घातक संक्रमण को रोकने के लिए राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग को लगातार निगरानी रखनी होगी। दूषित पानी के स्रोतों को सुरक्षित बनाना और लोगों को उचित तरीकों से जागरूक करना जरूरी है।

केरल में इस दुर्लभ अमीबा संक्रमण से बचाव के उपायों को सख्ती से लागू करना जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को टाला जा सके।

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टिप्पणि

Dharmendra Pal

Dharmendra Pal

5 जुलाई 2024

कोझिकोड में हुए इस दुर्लभ दिमाग़ खाने वाले अमीबा संक्रमण की घटना गंभीर चेतावनी है।
यह रोग नयीगलिया फॉलेरी नामक अमीबा के कारण होता है जो पानी में रहने वाला सूक्ष्मजीव है।
जब यह अमीबा दूषित जल के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है तो वह नाक के रास्ते मस्तिष्क तक पहुंचता है।
मस्तिष्क में पहुंच कर वह न्यूरॉन को नुकसान पहुंचाता है और तेज़ी से रोग की स्थिति बिगड़ती है।
लक्षणों में सिरदर्द बुखार मितली और उल्टी शामिल होते हैं और ये प्रारम्भिक तीन से पाँच दिन में प्रकट होते हैं।
यदि शुरुआती पहचान नहीं होती तो रोग पाँच से अठारह दिन में घातक बन सकता है।
केरल में पिछले तीन महीनों में इसी रोग से तीन मृत्यु दर्ज हुई हैं जिससे स्थानीय जनसंख्या में भय उत्पन्न हुआ है।
स्वास्थ्य विभाग ने दूषित जल के स्रोतों की जाँच शुरू की है और स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित किया है।
जनता को सलाह दी गई है कि नदियों तालाबों में बिना जांचे नहाएँ।
बोतलबंद या शुद्ध जल का इस्तेमाल रोग से बचाव का सबसे सरल तरीका है।
स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों में जल शोधन उपकरण स्थापित करना अत्यावश्यक है।
डॉक्टरों को रोग की शुरुआती पहचान के लिए प्रशिक्षण देना चाहिए।
उपचार में एंटीएमीबिक दवाओं का सही समय पर प्रयोग आवश्यक है।
भविष्य में इस प्रकार के मामलों को रोकने के लिए सरकारी निगरानी बमबारी होनी चाहिए।
सभी नागरिकों को सामूहिक रूप से स्वच्छ जल की मांग करनी चाहिए और अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सतर्क रहना चाहिए।

Balaji Venkatraman

Balaji Venkatraman

5 जुलाई 2024

ऐसे खतरों को नज़रअंदाज़ करना समाज की नासमझी है।

Tushar Kumbhare

Tushar Kumbhare

5 जुलाई 2024

भाई लोग, पानी चेक कर लो, नहीं तो फिर यही कहानी दोबारा सुनेंगे 😂💧

Arvind Singh

Arvind Singh

5 जुलाई 2024

हां, यही तो हर बार सुनते हैं, लेकिन फिर भी लोग वही गलती दोहराते हैं, बड़ा आश्चर्यजनक।

Vidyut Bhasin

Vidyut Bhasin

5 जुलाई 2024

शायद भगवान ही चाहेंगे कि हम अपने सरल जल को भी जटिल बना दें, तभी जीवन में रोमांच रहेगा।

nihal bagwan

nihal bagwan

5 जुलाई 2024

देश की जल सुरक्षा को प्राथमिकता देना हमारा कर्तव्य है, अन्य कोई विकल्प नहीं।

Arjun Sharma

Arjun Sharma

5 जुलाई 2024

यार, इस केस में इंटरनल एंटीबायोटिक प्रोटोकॉल को एप्लाय करन चाहिए था, लेकिन एक्सिक्यूशन फेल हो गया।

Sanjit Mondal

Sanjit Mondal

5 जुलाई 2024

सही कहा, सभी को जल शुद्धिकरण के बेसिक प्रोटोकॉल फॉलो करने चाहिए 😊

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