देवशयनि एकादशी हिन्दू कैलेंडर में चौदहवें महीने की एकादशी को कहा जाता है, जब भगवान विष्णु सोते हुए माने जाते हैं। इस दिन लोग अक्सर उपवास रखते हैं, शुद्ध भोजन करते हैं और विशेष पूजा पढ़ते हैं। यदि आप पहली बार सुन रहे हैं तो सोचिए कि यह केवल ‘एक दिन का व्रत’ नहीं, बल्कि मन‑मस्तिष्क को साफ़ करने, शरीर को डिटॉक्स करने और आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ाने का मौका है।
सबसे आसान तरीका है सुबह जल्दी उठना, स्नान करना और शुद्ध जल से प्यास बुझाना। फिर दो घंटे तक फल‑साबूदाना या कच्चे फलों का सेवन करें; अनाज, दाल‑भाजी, मसालेदार भोजन नहीं लेना चाहिए। यदि आप साधारण उपवास नहीं रख सकते तो हल्का दलिया या जौ की खिचड़ी भी चलेगी। व्रत के दौरान सोशल मीडिया से दूर रहना मददगार होता है – कम डिस्ट्रैक्शन का मतलब मन अधिक केंद्रित रहता है।
रात को दीप जलाकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। दो घंटों के बाद हल्का भोजन करें, जैसे खजूर या गाजर का जूस। व्रत तोड़ते समय भी धीरे‑धीरे करना बेहतर है, ताकि पेट पर जोर न पड़े।
देवशयनि एकादशी की पूजा में सबसे पहले शुद्ध जल से कलश भरें और उसे चारों दिशाओं में रखें। फिर विष्णु जी के चित्र या मूर्ति के सामने गीता, भागवत कथा या सूर्यास्त का मंत्र पढ़ें। अगर घर में नहीं है तो किसी मंदिर के प्रसाद को भी रख सकते हैं।
कथा सुनने से मन शांत होता है और आध्यात्मिक भाव बढ़ते हैं। कई लोग इस दिन “श्री विष्णु सहस्रनाम” या “हरि गायत्री” का पाठ करते हैं, जो ऊर्जा को शुद्ध करता है। अगर आपके पास समय हो तो रात के अंधेरे में अकेले बैठकर ध्यान करना भी लाभदायक रहता है।
एकादशी के बाद कई लोग अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव देखते हैं – वजन घटता है, त्वचा साफ़ होती है और मन की शांति बढ़ती है। यह वैज्ञानिक रूप से साबित हुआ है कि उपवास शरीर में एंटी‑ऑक्सिडेंट स्तर को बढ़ाता है और मेटाबॉलिज्म को रिफ्रेश करता है। इसलिए इस पावन दिन को सिर्फ धार्मिक कारणों से नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी अपनाएँ।
अगर आप अभी तक नहीं आज़माए हैं तो अगले देवशयनि एकादशी को ये छोटी‑सी प्रक्रिया फॉलो करें: सुबह जल्दी उठें, हल्का फल‑साबूदाना का उपवास रखें, दोपहर में गीता पढ़ें, शाम को दीप जलाकर विष्णु जी की पूजा करें और रात को शुद्ध पानी से व्रत तोड़ें। देखेंगे कि आपके दिन में नई ऊर्जा कैसे प्रवेश करती है।
अंत में यही कहूँगा – देवशयनि एकादशी सिर्फ एक तिथि नहीं, यह हमारे अंदर के सकारात्मक बदलाव का जरिया बन सकती है। आप इसे रोज़मर्रा की जिंदगी में छोटे‑छोटे कदमों से जोड़ें और फर्क महसूस करें।
देवशयनी एकादशी, आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह पर्व चार माह के चातुर्मास काल की शुरुआत का प्रतीक है, जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस समय को आध्यात्मिक साधना और भक्ति क्रियाओं के लिए पवित्र माना जाता है। इस लेख में पूजा मंत्र, व्रत विधि और चातुर्मास का महत्व विस्तार से बताया गया है।
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