आप रोज़ काम‑काज़ या स्कूल जाने में घंटों गाड़ी चलाते हैं? अब सोचिए अगर वही सफर कम खर्चे और कम धुएँ से हो। यही ग्रीन मोबिलिटी का मकसद है – पर्यावरण को बचाना और आपका बजट हल्का करना। नीचे कुछ ठोस उपाय दिए गए हैं जो तुरंत लागू कर सकते हैं।
गाड़ी बदलने की सोचना कठिन लग सकता है, लेकिन आजकल ईवी की कीमतें गिर रही हैं और चार्जिंग नेटवर्क भी बढ़ रहा है। अगर आपके पास 2‑3 साल में नई कार लेने का प्लान है तो इलेक्ट्रिक मॉडल देखें – जैसे टेस्ला मोडेल 3 या स्थानीय ब्रांडों के वैगन। इनकी रेंज अक्सर 300 किमी से ज्यादा होती है, जो शहर के भीतर रोज़मर्रा की जरूरतें पूरी कर देती है। चार्जिंग घर में ही लगवा सकते हैं; एक रात में बैटरी लगभग 80% भर जाती है। ईंधन पर बचत साफ‑साफ दिखती है – सालाना पेट्रोल/डिजल का खर्च 30 हजार रुपये तक घट सकता है।
गाड़ी के अलावा कई छोटे‑छोटे बदलाव बड़े असर देते हैं। अगर ऑफिस या कॉलेज करीब है तो साइकिल या इलेक्ट्रिक स्कूटर लेन पर जाएँ। भारत में अब कई शहरों ने सायक्लिंग ट्रैक बनाना शुरू किया है; सुरक्षित रास्ता मिलने से डर कम होता है। सार्वजनिक बसें और मेट्रो भी अच्छा विकल्प है – टिकट की कीमत 20‑30 रुपये के बीच होती है, फिर भी समय बचता है क्योंकि हाईवे पर ट्रैफ़िक नहीं रहता। राइड‑शेयरिंग ऐप में ‘कारपूल’ फ़ीचर चुनें; दो‑तीन लोगों के साथ सफ़र करने से पेट्रोल खर्च आधा हो जाता है।
एक और आसान उपाय है कार की नियमित सर्विसिंग कराना। टायर का सही प्रेशर, तेल बदलना और एरोडायनामिक कवर लगवाने से फ़्यूल इफिशिएंसी बढ़ती है। छोटे‑छोटे ड्राइविंग हाबिट्स जैसे तेज़ एक्सेलेरेशन कम करना और इंजन को आइडल नहीं रहने देना भी ईंधन बचाता है।
अगर आप व्यापार चलाते हैं, तो डिलीवरी वैन में इलेक्ट्रिक मॉडल या हाई‑एफ़ीशिएंसी वाले फ्यूल इनजेक्टेड इंजन चुनें। कई लॉजिस्टिक्स कंपनी अब ‘ग्रीन फ़्लिट’ पर काम कर रही है और टैक्स छूट भी मिलती है।
अंत में, ग्रीन मोबिलिटी सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं, यह एक सोच है। जब आप हर दिन छोटे‑छोटे फैसले लेते हैं तो पूरे शहर की हवा साफ़ हो जाती है, स्वास्थ्य बेहतर होता है और आपके खर्चे कम होते हैं। आज ही एक कदम उठाएँ – चाहे वो ईवी के बारे में रिसर्च करना हो या बस स्टॉप तक चलना शुरू करें।
अगर आप ग्रीन मोबिलिटी से जुड़े न्यूज़, गैजेट रिव्यू या सरकारी स्कीम की जानकारी चाहते हैं तो हमारी साइट पर ‘ग्रीन मोबिलिटी’ टैग वाले लेख पढ़ें। हर पोस्ट में आसान टिप्स और अपडेटेड डेटा है, जो आपको सही फैसला लेने में मदद करेगा।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने टॉयोटा मिराई हाइड्रोजन FCEV से भारत में हरित परिवहन को आगे बढ़ाया। यह कार एक बार फ्यूल पर 1300 किमी चली, और अब बिहार के डिप्टी सीएम के पास है। इस पहल से भारत में हाइड्रोजन ईंधन का भविष्य और बुनियादी ढांचे की संभावनाएं खुल रहीं हैं।
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