ईद‑उल‑अज़हा मुस्लमानों का सबसे बड़ा तुहर है। इसे "बकरा ईद" भी कहते हैं क्योंकि इस दिन बकरी या अन्य मवेशी की कुर्बानी करके माँस बांटा जाता है। 2025 में यह ईद लगभग 30 जुलाई को आएगी, पर सटीक तारीख चंद महीने पहले खलीफा की घोषणा से तय होगी। इसलिए कैलेंडर देखते रहिए और स्थानीय मस्जिद के एलान का इंतजार करें।
यह तुहर हजरत इब्राहिम (इब्राहीम) की कहानी से जुड़ा है। जब अल्लाह ने उन्हें अपने बेटे को दानव के रूप में कुर्बानी करने को कहा, तो उन्होंने अपनी आज़ादी दिखाते हुए भरोसा किया। अंत में अल्लाह ने उनके हाथों में एक बकरा भेज कर परीक्षा पूरी की। इस बात को याद करते हुए मुस्लमान कुर्बानी का काम करते हैं और माँस गरीबों में बाँटते हैं।
ईद के दिन दो मुख्य इबादतें होती हैं – Eid Namaz (इजाफ़ा) और बकरी‑कुर्बानी। सुबह की नमाज़ को बड़े मैदान या मस्जिद में जमा होकर पढ़ा जाता है, फिर खलीफा का ख़त्रीभाषण सुनते हैं। बाद में कुर्बानियों के लिए जानवरों को साफ‑सुथरा किया जाता है और दुरुस्त तरीके से काटा जाता है।
कुर्बानी के लिए बकरियों की खरीदारी जल्दी शुरू करें ताकि कीमतें बढ़ न जाएँ। कई सुपरमार्केट और स्थानीय मवेशी बाज़ार में ऑफर होते हैं – अक्सर 10‑15 % छूट मिलती है। ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर भी भरोसेमंद विक्रेता चुनें, डिलिवरी समय पर तय करें और दस्तावेज़ जांचें।
ईद के खाने की बात करिए तो भेड़/बकरी का मांस, दाल‑रोटी, बिरयानी और मिठाई जैसे बर्फी या खीर सबसे लोकप्रिय हैं। अगर आप शाकाहारी हों तो फल, ड्राय फ्रूट और नमकीन स्नैक्स रख सकते हैं – क्योंकि ईद में दान (दान) सभी को समान रूप से बाँटा जाता है।
सुरक्षा भी जरूरी है। कुर्बानी के समय साफ‑सफाई पर ध्यान दें: जानवर को अच्छे से धोएँ, काटने वाले को वैध लाइसेंस हो और हाइजीनिक उपकरण इस्तेमाल हों। घर में बचे हुए माँस को फ्रिज में 2 दिन तक या फ्रीज़र में एक महीने तक रख सकते हैं। अगर बचा हुआ खाना नहीं खाएँगे तो इसे दान के रूप में जरूरतमंदों को दें।
ईद पर विशेष ऑफ़र और डिस्काउंट कई ब्रांड लाते हैं – मोबाइल, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स. पंजीकरण स्थिति समाचार के टैग पेज पर आप इन सभी ऑफ़र को एक जगह देख सकते हैं। खासकर अगर आपको नई फोन या गैजेट चाहिए, तो ईद‑सेल का फायदा उठाएँ।
समुदाय में मिलकर नमाज़ पढ़ना और खाने‑पीने की थाली साझा करना इस तुहर की खूबी है। पड़ोसी, रिश्तेदार और दोस्त साथ आएँ, क्योंकि ईद‑उल‑अज़हा का असली मकसद दिलों को जोड़ना है। यदि आप पहली बार कर रहे हैं तो स्थानीय मस्जिद या इवेंट पेज पर जानकारी ले लीजिए – अक्सर वॉलंटियर टीम मदद के लिए तैयार रहती है।
तो, इस ईद‑उल‑अज़हा को पूरी तैयारी और सही जानकारी के साथ मनाएँ। तुहर की खुशी, दान‑की भावना और परिवार के संग बिताए लम्हे यादगार बनेंगे। आपका ईद मुबारक हो!
ईद-उल-अज़हा या बकरीद का पर्व 17 जून 2024 को मनाया जाएगा, जो पैगंबर इब्राहीम की अपने बेटे इस्माईल की बलिदान की तत्परता की स्मृति में मनाया जाता है। इस दिन को हिजरी कैलेंडर के धु अल-हिज्जा महीने के 10वें दिन पर मनाया जाता है। इस लेख में आप अपने प्रियजनों के साथ शेयर करने के लिए शुभकामनाएं, व्हाट्सएप संदेश और प्रेरणास्पद उद्धरण पाएंगे।
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