अगर आप इरानी खबरों की सच्ची तस्वीर चाहते हैं तो यह पेज आपके लिये बना है। यहाँ हम रोज़ाना अपडेट होने वाली राजनीति, अर्थव्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की प्रमुख ख़बरें एकदम आसान भाषा में पेश करते हैं। कोई जटिल शब्द नहीं, बस वही जो आपको समझना चाहिए।
ईरान के राजनीतिक माहौल में हाल ही में कई बदलाव देखे गए हैं। राष्ट्रपति के नए आर्थिक सुधारों का प्रस्ताव संसद में बहस का कारण बना, और विदेश नीति पर भी नया फोकस दिख रहा है। अगर आप जानना चाहते हैं कि कौन से बड़े फैसले सरकार ले रही है, तो हमारी रिपोर्ट्स पढ़ें – हर कदम की बारीकी से व्याख्या होगी।
उदाहरण के तौर पर, हालिया अंतरराष्ट्रीय वार्ता में ईरान ने तेल निर्यात को बढ़ाने का इरादा जताया है। इसका मतलब क्या होता है? इस बदलाव से न सिर्फ वैश्विक तेल कीमतें बल्कि भारत की ऊर्जा लागत भी प्रभावित हो सकती है। हम आपको बताते हैं कि ये खबर आपके रोज़मर्रा के खर्चों पर कैसे असर डाल सकती है।
ईरानी अर्थव्यवस्था में आजकल महंगाई की समस्या बड़ी चर्चा में है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पिछले महीने 12% बढ़ा। इस कारण आम आदमी को किराने का सामान महँगा महसूस हो रहा है। हम आपके लिये इन आँकड़ों को सरल चार्ट और तुलनात्मक डेटा के साथ पेश करते हैं ताकि आप समझ सकें कि वास्तविक प्रभाव क्या है।
साथ ही, इरान में नई विदेशी निवेश नीतियों की घोषणा हुई है। विशेष आर्थिक क्षेत्रों में कर छूट और आसान लाइसेंस प्रक्रिया का वादा किया गया है। यदि आप व्यापारिक अवसरों के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारी गाइड पढ़ें – इसमें बताया गया है कि कौन‑से सेक्टर सबसे आकर्षक हैं और कैसे एंट्री ले सकते हैं।
हमारी टीम रोज़ाना विभिन्न स्रोतों से जानकारी इकट्ठा करती है, फिर उसे आपके लिये एक ही जगह पर लाती है। चाहे वह ईरान के राष्ट्रपति का भाषण हो या किसी बड़े शहर में नई सड़क निर्माण योजना – सब कुछ यहाँ मिलेगा, बिना झंझट के।
अगर आप और गहरी जानकारी चाहते हैं तो हमारे लेखों को पढ़ें, कमेंट करें और अपनी राय शेयर करें। हमारा लक्ष्य है कि हर पाठक इरान की वास्तविक स्थिति समझे और अपने फैसलों में इसे ध्यान में रख सके।
मोज़्तबा खमेनेई, ईरान के सर्वोच्च नेता अली खमेनेई के पुत्र, को उनके पिता के उत्तराधिकारी के रूप में चुना गया है। 85 वर्षीय अली खमेनेई की सेहत में गिरावट की वजह से यह निर्णय हुआ। जानकारी गुप्त रखी जा रही है ताकि जनता में आक्रोश न फैले। मोज़्तबा ने 2009 के बाद से ही अपनी पकड़ मजबूत करनी शुरू की है।
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