आपने कभी ऑनलाइन या अखबार में कोई खबर पढ़ी, फिर बाद में पता चला कि वह झूठ थी? ऐसा अक्सर होता है क्योंकि फ़र्जी दावों का ढेर सारे रूप होते हैं। यहाँ हम आपको बताएंगे कि ऐसे दावे को कैसे पकड़ें और सही जानकारी तक कैसे पहुँचें।
कई बार लोग ध्यान आकर्षित करने के लिए बड़े‑बड़े हेडलाइन बनाते हैं, चाहे वह टेक गैजेट की घोषणा हो या मौसम का अलर्ट। कुछ लोग राजनैतिक लाभ चाहते हैं, तो वे विरोधी पार्टी पर झूठा आरोप लगा देते हैं। और कई बार विज्ञापनदाता सिर्फ क्लिक बाइट चाहिए – इसलिए वो sensational चीज़ें पोस्ट करते हैं। इन सब कारणों से दावे जल्दी‑जल्दी वायरल होते हैं, लेकिन सही सत्य जांच नहीं की जाती।
फ़र्जी दावे अक्सर ये संकेत दिखाते हैं: बहुत ही आश्चर्यजनक या अति‑उत्साहपूर्ण भाषा, कोई भरोसेमंद स्रोत का नाम नहीं, और तस्वीरें या वीडियो बिना क्रेडिट के हों। अगर आप इन लक्षणों को पहचानते हैं तो तुरंत डबल‑चेक करना चाहिए.
1. स्रोत देखें – क्या लेख किसी प्रतिष्ठित समाचार पोर्टल या सरकारी साइट से है? अगर URL .gov.in, .org या बड़े मीडिया डोमेन जैसे .com पर है तो भरोसा बढ़ता है।
2. तारीख और समय जाँचें – कभी‑कभी पुरानी खबर को नए हेडलाइन के साथ रीशेयर किया जाता है। लेख की तिथि देखें, अगर वह बहुत पुराना है तो संदर्भ बदल सकता है.
3. एक से अधिक स्रोत में खोजें – वही समाचार दो या तीन विश्वसनीय साइट पर भी मिलना चाहिए। अगर केवल एक ब्लॉगर ने ही लिखी हो, तो सावधान रहें.
4. छवियों की रिवर्स इमेज सर्च करें – गूगल इमेज या टिनआई बनाकर देखें कि वही फोटो पहले कहीं और उपयोग हुई है या नहीं। कई बार पुराने फ़ोटो को नए संदर्भ में दिखाया जाता है.
5. भाषा के स्वर पर ध्यान दें – अगर लेख में बहुत सारी CAPS, एक्सक्लेमेशन मार्क या “अविश्वसनीय” जैसे शब्द हैं तो यह फेक का संकेत हो सकता है.
इन कदमों को अपनाकर आप अधिकांश फ़र्जी दावों से बच सकते हैं। याद रखें, एक छोटी‑सी जाँच आपके समय और ऊर्जा दोनों बचा देती है।
पंजीकरण स्थिति समाचार पर भी यही नियम लागू होते हैं। चाहे वह मोबाइल लॉन्च की खबर हो या मौसम अलर्ट, हमेशा भरोसेमंद स्रोत देखना चाहिए। अगर आप अनिश्चित हों तो हमसे संपर्क करें – हमारी टीम विश्वसनीय डेटा को जल्दी‑जल्दी आपके सामने लाती है.
अंत में, फ़र्जी दावों से बचने के लिए जिज्ञासु रहें और हर जानकारी को सवालिया नज़र से देखें। यही तरीका है सही खबर तक पहुंच का।
रोथरहैम में शरणार्थियों के विरुद्ध फैलाई गई फर्जी अफवाहों के कारण हिंसक दंगों का सामना करना पड़ा। पुलिस और दंगाईयों के बीच झड़पें हुईं, जिसके परिणामस्वरूप 100 से अधिक गिरफ्तारियां हुईं। प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने हिंसा की निंदा की और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने का संकल्प लिया।
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