संयुक्त राज्य ब्रिटेन में एक बार फिर हिंसा का एक बड़ा दौर देखने को मिला जब रोथरहैम के एक होटल में रह रहे शरणार्थियों को लेकर झूठी अफवाहें फैलने लगीं। इस अफवाह की उत्पत्ति सोशल मीडिया पर हुई थी, जहां एक हालिया चाकूबाजी की घटना के संदर्भ में यह दावा किया गया था कि आरोपी एक मुस्लिम शरणार्थी है। यह दावा पूरी तरह से झूठा निकला, क्योंकि आरोपी ऐक्सल रुडाकुबाना ब्रिटेन में जन्मा था और उसके खिलाफ तीन लोगों की हत्या और 10 अन्य पर हत्या के प्रयास का आरोप लगाया गया था।
इस अफवाह के फैलने के बाद, दंगाईयों का एक समूह होटल पर हमला करने के लिए एकत्र हुआ जहां शरणार्थियों को रखा गया था। इन दंगाईयों में कई कट्टरपंथी समूह शामिल थे, जिनका नेतृत्व प्रमुख फर्जी समाचार फैलाने वाले व्यक्ति, स्टीफन याक्सले-लेनन (टॉमी रॉबिन्सन) ने किया था। याक्सले-लेनन और उनके साथियों ने सोशल मीडिया पर गहन प्रचार किया, जिससे कई आक्रोशित लोग घटनास्थल पर पहुंचे और हिंसा भड़क उठी।
स्थिति इतनी विकट हो गई कि पुलिस को दंगाईयों को रोकने के लिए बलप्रयोग करना पड़ा। दोनों पक्षों के बीच गहन टकराव हुआ, जिसके परिणामस्वरूप 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस अब सीसीटीवी और सोशल मीडिया फुटेज की जांच कर रही है ताकि और अधिक दोषियों की पहचान की जा सके।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद, गृह मंत्री डायना जॉनसन ने तेजी से कार्रवाई करने की योजना की घोषणा की, जिसे 'निक देम क्विक' कहा जा रहा है। यह योजना दंगाईयों को तुरंत गिरफ्तार करने और न्याय के कटघरे में लाने पर केंद्रित है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना की तैनाती की आवश्यकता नहीं है।
प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने इन दंगों की कड़ी निंदा की और इसे 'कट्टरपंथी हिंसकता' करार दिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि जिन लोगों ने इस हिंसा को भड़काया और इसमें हिस्सा लिया, उन्हें कानून के अनुसार कठोर दंड दिया जाएगा।
हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ आवाज उठाने वाली एंटी-फार-राईट संगठन, होप नौट हेट ने ऐसे फर्जी समाचार फैलाने वालों की तीखी निंदा की। उन्होंने टॉमी रॉबिन्सन जैसे लोगों को जिम्मेदार ठहराया, जिन्होंने इस प्रकार की अफवाहें फैला कर इस हिंसा को भड़काया।
समूचे घटनाक्रम को ब्रिटेन में वर्ष 2011 के बाद की सबसे बड़ी सामाजिक अशांति के रूप में देखा जा रहा है, जो कि कीर स्टार्मर के नेतृत्व में नई लेबर सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है। सरकार को अब इस प्रकार की घटनाओं से निपटने के लिए अपने सुरक्षा उपायों को और सख्त करना होगा ताकि भविष्य में इस प्रकार की हिंसा को रोका जा सके।
अंततः, यह घटना उन सामाजिक समस्याओं की ओर इशारा करती है जिनका समाना ब्रिटेन में आज के समय में हो रहा है। झूठी अफवाहों और कट्टरपंथी विचारधारों का प्रसार समाज को अत्याधिक हानि पहुंचा सकता है। ऐसे में सरकार और समाज, दोनों को मिलकर इसे रोकने के लिए रणनीतियाँ बनानी होंगी।
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