आपने अक्सर समाचार में सुना होगा कि लोग अचानक बीमार पड़ते हैं या पुरानी बीमारी बिगड़ती दिखती है। ये सब असल में स्वास्थ्य जटिलताओं के कारण होते हैं। आम तौर पर हम एक बिमारी को ठीक समझ लेते हैं, लेकिन उसका कोई छोटा‑छोटा असर अगर अनदेखा हो जाए तो बड़े मुद्दे बन सकते हैं। इस पेज पर हम बात करेंगे कि कौन‑सी जटिलताएँ सबसे ज्यादा मिलती हैं और उन्हें रोकने के आसान तरीके क्या हैं।
भारत में मौसम बदलते ही कई लोग फ़्लू, डेंगर या मलेरिया जैसी बिमारियों से पीड़ित होते हैं। ये बीमारी अगर समय पर इलाज न हो तो लंगरूम, दिमाग या हृदय तक पहुँच सकती है। दूसरा बड़ा मुद्दा डायबिटीज़ की जटिलताएँ हैं – आँखों में रेटिनोपैथी, किडनी फ़ेल्योर और पैर का घाव। इसी तरह हाई ब्लड प्रेशर से स्ट्रोक या दिल का दौरा हो सकता है। महिलाओं को अक्सर थायरॉइड के कारण वजन‑वृद्धि या हड्डियों की कमजोऱी जैसी समस्याएँ झेलनी पड़ती हैं।
सबसे पहला कदम है नियमित जांच – साल में एक बार ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल चेक करवाएँ। दूसरा है जीवनशैली बदलना: ताज़ा फल‑सब्ज़ी खाएँ, कम तेल‑मसाला वाला खाना लें, रोज 30 मिनट चलें या योग करें। धूम्रपान और शराब से पूरी तरह दूर रहें, क्योंकि ये दोनों ही कई जटिलताओं को तेज़ करते हैं। यदि आपको मौसमी बुखार का डर है तो पोषक तत्वों से भरपूर सूप और हाइड्रेशन पर ध्यान दें, साथ‑साथ डॉक्टर की सलाह पर वैक्सीन भी लगवाएँ।
एक और आसान तरीका है तनाव को कम करना। काम या घर के झंझट में अगर आप लगातार घबराते रहते हैं तो शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाता है। गहरी सांस, मेडिटेशन या हल्की संगीत सुनना मददगार रहता है। याद रखें, छोटी‑छोटी आदतें बड़ी बीमारी की रोकथाम करती हैं।
अंत में यह कहूँगा कि स्वास्थ्य जटिलताओं से बचाव कोई दवा नहीं, बल्कि रोज़ाना के छोटे‑छोटे कदमों का नतीजा है। अगर आप इन सुझावों को अपनाएँगे तो ना सिर्फ रोग कम होंगे, बल्कि आपका जीवन भी ज़्यादा ऊर्जा से भरपूर रहेगा। इस पेज पर मिलने वाली ताज़ा खबरें और टिप्स आपको हमेशा अपडेट रखेंगी – इसलिए बार‑बार देखना मत भूलिए।
पूर्व दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जी एन साईंबाबा का निधन स्वास्थ्य जटिलताओं के कारण हुआ। माओवादी लिंक मामले में बरी होने के सात महीने बाद उनका निधन 54 वर्ष की आयु में हुआ। सोमवार को हैदराबाद के निज़ाम्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (NIMS) में उन्होंने अंतिम सांस ली।
आगे पढ़ें