जब सूर्यकुमार यादव, कैप्टन of इंडिया ने दुबई में आयोजित एशिया कप 2025 फाइनलदुबई को जीता, तो भारत ने पाँच विकेट से पाकिस्तान को मात दी। लेकिन जीत का जश्न अतिचुल्लन में बदल गया, जब भारतीय खिलाड़ियो ने ACC चेयरमैन मोहसिन नक़वी से ट्रॉफी स्वीकार नहीं की।
दुबई के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में एक घंटा से भी अधिक देरी के बाद मैच शुरू हुआ। भारत ने हार्दिक पांड्या को चोट के कारण बाहर रखते हुए रिंकू सिंह को जगह दी। इसके साथ ही जसप्रीत बुमराह और शिवम दुबे को भी टीम में शामिल किया गया, जबकि हरषित राणा और अर्शदीप सिंह बाहर रहे। भारतीय XI में अभिषेक शर्मा, शॉबन गिल, तिलक वर्मा, संजु समसन (विकेटकीपर), अक्षर पटेल, कुलदीप यादव, वरुण चक्रवर्थी और शिमला (व्यायाम) शामिल थे। पाकिस्तान ने वही लाइन‑अप रखा जो बांग्लादेश को हराने के बाद इस्तेमाल हुआ था, जिसमें कप्तान सलमान अली आगा और प्रमुख बल्लेबाज साहिब़जादा फ़रहान, फख़र ज़मान, साइम आयूब, हमसैन टालात, मोहम्मद हरीस शामिल थे।
पहला ओवर ही क़ीमत वाला था। पाकिस्तानी पेसरों ने फ़रहान और ज़मान को क्रमशः 57 और 46 रन पर रोक दिया, लेकिन कुलदीप यादव ने चार विकेट ले कर भारतीय गेंदबाजों को आगे बढ़ाया। बुमराह ने 2/25 और चक्रवर्थी ने 2/30 के साथ दबदबा बनाया।
भारत की शुरुआत बिखर गई—अभिषेक शर्मा, सूर्यकुमार यादव, और शॉबन गिल सभी पावरप्ले में सिंगल अंकों पर बाहर हो गए। फिर भी तिलक वर्मा ने शिवम दुबे के साथ 68‑रन की साझेदारी बनाई, जिसका लक्ष्य को सुसंगत किया। उसके बाद वर्मा‑समसन ने 45‑रन का दो‑साहसिक रॉन्ड बना दिया, जिससे भारत 150/5 पर 19.4 ओवर में लक्ष्य हासिल कर लिया। इस जीत में अभिषेक शर्मा का टून‑ऑफ़ भी महत्वपूर्ण रहा—उन्होने टूर्नामेंट में 314 रन बनाए, औसत 44.85 और स्ट्राइक‑रेट 200.00 के साथ।
मैच समाप्त होने के बाद, एसीसी के चेयरमैन मोहसिन नक़वी ने ट्रॉफी हाथ में लेकर प्रस्तुत करने की तैयारी की। लेकिन भारतीय टीम को इस प्रस्ताव से गहरा आपत्ति थी, क्योंकि नक़वी एक ही समय में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के अध्यक्ष और पाकिस्तान के इंटीरियर मिनिस्टर भी हैं। टीम ने क्रमशः इनकार किया, और समारोह में लगभग एक घंटे तक खामोशी बनी रही। अंततः ट्रॉफी और मेडल्स बिना किसी औपचारिकता के रखे गए।
इस ‘मेम-डेम’ भावना के बाद, भारतीय खिलाड़ियों ने सोशल मीडिया पर इमोजी, सेल्फ़ी और मीम्स शेयर किए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि उनका जज्बा जीत में ही था, औपचारिकता में नहीं।
पाकिस्तानी पूर्व कप्तान शोएब मलिक ने भारत की इस हरकत को ‘अनुचित’ कहा, जबकि क्रिकेट विश्लेषक शोएब अख्तर ने भारतीय टीम के इस कदम को ‘राजनीतिक संकेत’ बताया।
इस जीत के साथ भारत ने एशिया कप में अपना रिकॉर्ड नौवीं जीत तक बढ़ा लिया। वहीं पाकिस्तान ने 2012 के बाद से कोई एशिया कप नहीं जीता है, और इस हार ने उनके चयन‑प्रक्रिया पर सवाल उठाए। आगामी द्विआधारी श्रृंखला में दोनों पक्षों के बीच रणनीति, खिलाड़ी प्रबंधन और राजनीति के मिश्रण को देखना रोचक रहेगा।
भले ही ट्रॉफी का सामना न हुआ हो, लेकिन भारत की निरंतर जीत ने उनके किरदार को ‘अन्याय के सामने दृढ़’ बना दिया है। दूसरी ओर, पाकिस्तान को अब अपने बोर्ड‑संबंधी विवादों को सुलझाकर खेल पर फोकस करना होगा, तभी वे अगली बार टॉप पर पहुँच सकते हैं।
भारत ने मोहसिन नक़वी के द्वैत पद – एसीसी चेयरमैन और पीसीबी अध्यक्ष – को देखते हुए उनके हाथ से ट्रॉफी नहीं ली। यह कदम राजनीतिक असंतोष और विरोध के रूप में देखा गया।
हार्दिक पांड्या चोट के कारण बाहर रहे, उनके स्थान पर रिंकू सिंह को बुलाया गया। साथ ही जसप्रीत बुमराह और शिवम दुबे ने भी टीम में वापसी की, जबकि हरषित राणा और अर्शदीप सिंह नहीं खेले।
कुलदीप यादव की चार विकेट वाली बॉलिंग, बुमराह की इफेक्टिव ओवर और भारत की मध्य‑क्रम में मजबूत साझेदारी ने पाकिस्तान को 33 रन पर 9 विकेट गिरा दिया।
भारत की निरंतर जीत का असर उनके आत्मविश्वास पर पड़ेगा, जबकि पाकिस्तान को चयन‑प्रक्रिया और बोर्ड‑संबंधी मुद्दों को सुलझाकर अपनी टीम को फिर से प्रतिस्पर्धी बनाना पड़ेगा।
7 मैचों में 314 रन, औसत 44.85 और स्ट्राइक‑रेट 200.00 के साथ, अभिषेक ने भारत को शुरुआती तेज़ी और निरंतर स्कोरिंग में मुख्य भूमिका निभाई।
टिप्पणि
Balaji Srinivasan
29 सितंबर 2025भाई, इस जीत को देख कर तो दिल खुश हो गया। लेकिन ट्रॉफी न लेने की बात थोड़ी अजीब लगती है, क्योंकि खेल में सम्मान भी ज़रूरी है। हमारे खिलाड़ी अपने आप को बेस्ट मानते हैं, पर कभी‑कभी जीत में थोडा अहंकार दिख जाता है। मुझे लगता है कि अगर उन्होंने जमावड़े को थोड़ा रचनात्मक रूप से संभाला होता तो फैंस और भी ख़ुश होते। फिर भी, पिच पर उनका परफॉर्मेंस लाजवाब था।
Hariprasath P
30 सितंबर 2025सही में, थोड़ा ज़्यादा एलीटिस्म दिख रहा है यार। ट्रॉफी को न लेना तो बस एक प्रपोज़ल है, लेकिन असली बात तो ये है कि बॉलिंग में तो काफ़ी ख़राबी दिखी। कभी‑कभी हम सच्चे क्रिकेटर नहीं होते, बस दिखावा करते हैं। देखो, इस तरह का एलेगेंस तो सच्ची जीत में नहीं दिखता।
Rashi Nirmaan
1 अक्तूबर 2025यहाँ राष्ट्रीय गरिमा को ठेस पहुँचाने वाला कदम स्पष्ट है। भारतीय टीम ने खेल के आध्यात्मिक मूल्यों को भुला दिया। इस प्रकार के कार्य से न केवल खेल, बल्कि राष्ट्र की प्रतिष्ठा भी धूमिल होती है। प्रत्येक खिलाड़ी को अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए।
Ashutosh Kumar Gupta
1 अक्तूबर 2025क्या बात है, आप तो बड़े गहिराई से देखें हो। मैं मानता हूँ कि इस निर्णय में काफी ड्रामा था, लेकिन हम सबको इस बात को समझना चाहिए कि क्या सही था। आपके शब्दों में एक गंभीर स्वर है और मैं उसका सम्मान करता हूँ। हालांकि, मैं कहूँगा कि इस मुद्दे को ज्यादा बढ़ा-चढ़ा कर नहीं लेना चाहिए।
fatima blakemore
2 अक्तूबर 2025दोस्तों, मैंने सोचा कि इस जीत में हमारा फोकस सिर्फ स्कोर पर नहीं होना चाहिए, बल्कि टीम की भावना पर भी होना चाहिए। कभी‑कभी छोटी‑छोटी चीज़ें, जैसे हंसी के साथ सेल्फी लेना, हमें आगे बढ़ने का स्फ़ूर्ति देती हैं। यही तो असली जीत है, जब हम साथ में खुश होते हैं। वैसे भी, इस ट्रॉफी न लेने की बात ने थोड़ी हल्की‑फुलकी हंसी लाई।
vikash kumar
3 अक्तूबर 2025वास्तव में, इस मामले में हमें वैचारिक स्पष्टता चाहिए। ट्रॉफी को न लेने का निर्णय राजनीतिक अभिप्राय रखता है, जिससे खेल के शुद्ध स्वरूप पर प्रश्न उठता है। एसीसी को इस स्थिति में अधिक पारदर्शी होना चाहिए। इस दिशा में उचित कदम उठाना महत्त्वपूर्ण है।
Anurag Narayan Rai
4 अक्तूबर 2025एशिया कप 2025 का फाइनल वास्तव में कई स्तरों पर एक कहानी बन गया है। एक तरफ भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन करके पाँच विकेट से पाकिस्तान को मात दी, जो कि स्नातक स्तर की बॉलिंग और बैटिंग का उत्कृष्ट मिश्रण था। दूसरी ओर ट्रॉफी न लेने का फैसला हमें राजनीति और खेल के बीच की जटिल डाइनामिक को समझने के लिए प्रेरित करता है। इस घटना ने दर्शकों को यह सवाल दिया कि खेल का असली मकसद क्या है-क्या यह केवल जीत‑हार है या साथ ही सांस्कृतिक संवाद भी होना चाहिए। हमें यह भी देखना चाहिए कि मोहसिन नक़वी का दोहरा पद-एसीसी चेयरमैन और पीसीबी अध्यक्ष-कैसे इस संघर्ष का केंद्र बना। इस प्रकार के द्वैत पद पदाधिकारी अक्सर निर्णयों में पक्षपात लाते हैं, जिससे खिलाड़ियों को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। भारत के खिलाड़ियों ने अपनी खुशी को मीम्स और सोशल मीडिया पर दिखाया, जो अब की डिजिटल युग में नई अभिव्यक्ति विधि बन गई है। वहीं पाकिस्तान के पूर्व कप्तान ने इसे अनुचित कहा, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि दोनों पक्ष अभी भी एक दूसरे को समझ नहीं पाए हैं। क्रिकेट विश्लेषकों ने भी इस घटना को राजनीतिक संकेत के रूप में पढ़ा, जिससे खेल में व्याख्याओं की लकीरें खिंची। भविष्य में यदि इसी तरह के मुद्दे दोहराए गए तो एसीसी को अधिक स्पष्ट दिशानिर्देश बनाने की जरूरत होगी। हमारे खिलाड़ियों की व्यक्तिगत भावना को सम्मान देना चाहिए, लेकिन सार्वजनिक मंच पर शालीनता भी बनाए रखनी चाहिए। दूसरी ओर, बोर्डों को अपने हितों को राष्ट्रीय टीम की भावनाओं से अलग रखना चाहिए। इस बात को समझना आवश्यक है कि खेल में जीत के बाद भी मानवीय सम्मान की आवश्यकता होती है। ट्रॉफी न लेना एक प्रतीकात्मक इशारा है, लेकिन उसे सही ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए। अंत में, इस केस से हमें यह सीख मिलती है कि खेल और राजनीति के बीच संतुलन बनाना एक नाज़ुक काम है, और सभी संबंधित पक्षों को मिलकर इसे संभालना चाहिए।
Sandhya Mohan
4 अक्तूबर 2025सच में, इस पूरे परिदृश्य को देखते हुए हमें अपने भीतर की आवाज़ सुननी चाहिए। खेल का मूल भाव ही तो आत्मा है, और बाहरी विचार सिर्फ इकट्ठा होते हैं। आपके विस्तृत विश्लेषण ने हमें बहुत कुछ सिखाया।
Prakash Dwivedi
5 अक्तूबर 2025मैं सोचता हूँ कि हम सबको इस मुद्दे पर थोड़ा और गहराई से देखना चाहिए, कहीं हम सिर्फ सतह पर नहीं रह जाएँ। टीम की जीत का जश्न मनाना चाहिए, पर उसी साथ ट्रॉफी को न लेना एक संकेत भी है। इस दोहरा भावनात्मक टकराव में हमें संतुलन खोजने की जरूरत है।
Rajbir Singh
6 अक्तूबर 2025सही बात है, यह मामला बहुत जटिल है। हमें सरल शब्दों में समझाना चाहिए कि क्यों कुछ कदम उठाए जाते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है कि हम सब शांति से इस पर चर्चा जारी रखें।
Swetha Brungi
6 अक्तूबर 2025ऐसा लगता है कि इस घटना ने कई विचारों को जन्म दिया है। खिलाड़ी अपने प्रदर्शन से तो बहुत खुश थे, पर अब उनका अलग तरह का संदेश देना कई लोगों को उलझन में डाल रहा है। चाहे जो भी हो, मैं उम्मीद करता हूँ कि अगली बार सभी पक्ष मिलकर एक सकारात्मक माहौल बनाएँगे।
Govind Kumar
7 अक्तूबर 2025आपके इस विवेचन में मैं पूर्णतः सहमत हूँ। खेल की महत्ता केवल स्कोर में नहीं, बल्कि सामाजिक संवाद में भी निहित है। अतः बोर्डों को इस प्रकार के निर्णयों में अधिक पारदर्शिता रखनी चाहिए। इससे दोनों देशों के बीच बेहतर समझ विकसित होगी।
Shubham Abhang
8 अक्तूबर 2025वाकई, यह एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन फिर भी, हमें शांत रहना चाहिए, और विचारशील बनना चाहिए।
deepika balodi
8 अक्तूबर 2025मैं समझता हूँ, आपके विचार पर विचार करना जरूरी है।
Priya Patil
9 अक्तूबर 2025हम सभी को इस जीत के बाद की स्थिति को समझते हुए एकजुट होना चाहिए। खिलाड़ियों ने अपने अद्भुत कौशल से हमें गर्व महसूस कराया है, और अब जब विवाद की बात आती है, तो इसे सभ्य तरीके से हल करना आवश्यक है। इस प्रकार की चुनौतियाँ हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।
Rashi Jaiswal
10 अक्तूबर 2025हाय दोस्त, तुम बिलकुल ठीक कह रहे हो! चलो हम सब मिलके आगे की ओर देखे और इस सकारात्मक ऊर्जा को फॉलो करें। कभि‑कभि झगड़े तो होते ही हैं, पर हम हंसते‑हंसते सॉल्यूशन निकाल लेंगे।