नमस्ते! अगर आप टैक्स से जुड़ी हर नई जानकारी जल्दी चाहते हैं, तो सही जगह पर आए हैं। यहाँ हम रोज़ की सबसे ज़रूरी आयकर, GST और अन्य कर‑सम्बन्धी खबरें सरल भाषा में देते हैं, ताकि आप बिना झंझट के समझ सकें कि आपका पैसों का मामला कैसे बदल रहा है।
पिछले महीने केंद्र ने आयकर स्लैब में छोटा‑सा परिवर्तन किया – 30 लाख से ऊपर की आय वाले लोगों पर 30% की दर अब 28% हो गई है। इसका मतलब है कि अगर आपकी सालाना कमाई उस सीमा से आगे जाती है, तो आप थोड़ी कम टैक्स देंगे, लेकिन साथ ही हाई इन्कम ग्रुप में नया नियम लागू होगा जो निवेश पर रियायती कर दे सकता है।
GST के मामले में 1 जुलाई को 18% की नई वर्गीकरण लागू हुई। छोटे व्यवसायों के लिए यह थोड़ा राहत वाला कदम है क्योंकि अब कई वस्तुओं पर एक ही टैक्स दर लग रही है, जिससे बिलिंग आसान हो गई है। अगर आप खुदरा या ई‑कॉमर्स चलाते हैं, तो अपने इनवॉइस को इस बदलाव के अनुसार अपडेट करना न भूलें – नहीं तो दंड का जोखिम बन सकता है।
एक और बड़ी खबर: वित्त मंत्रालय ने रियल एस्टेट में निवेश पर टैक्स बचत योजना पेश की है। इस योजना के तहत प्रॉपर्टी खरीदते समय आप 2 लाख तक का डेडक्ट क्लेम कर सकते हैं, बशर्ते कि वह प्रॉपर्टी 2025‑26 के बाद खरीदी गई हो और वैध दस्तावेज़ हों। यह छोटे घर मालिकों को काफी मदद करेगा, खासकर जब मकान की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।
अभी तक सरकारी ने अगले साल के लिए नई वित्तीय नीति नहीं जारी की है, लेकिन कई संकेत मिल रहे हैं कि दायित्वों को कम करने वाले उपाय आएंगे। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि वैल्यू‑एडेड टैक्स (VAT) को धीरे‑धीरे घटाकर GST में समाहित किया जाएगा, जिससे दोहरी कराधान का जोखिम खत्म होगा। अगर ऐसा हुआ तो आपके दैनिक खर्चे पर सीधा असर पड़ेगा – खासकर ईंधन और बिजली बिलों में।
एक बात जो हर टैक्सपेयर को जाननी चाहिए: रिटर्न फाइलिंग की समय सीमा अब 31 जुलाई तक बढ़ा दी गई है। यह बदलाव कई लोगों के लिए राहत लेकर आया क्योंकि पहले डेडलाइन अक्सर जल्दी आती थी, जिससे देर से जमा करने पर पेनल्टी लग जाती थी। नई तारीख का फायदा उठाकर आप बिना तनाव के अपने सभी दस्तावेज़ तैयार कर सकते हैं।
आपकी बचत योजनाओं को भी इस नीति बदलने से असर पड़ सकता है। यदि आप पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि या एनएससी में निवेश करते हैं, तो अब इन खातों पर मिलने वाले टैक्स लाभ स्थिर रखे जाएंगे, लेकिन नई योजना के तहत अतिरिक्त रिटर्न विकल्प जुड़ सकते हैं। इसका मतलब है कि आप अपनी बचत को और अधिक कर‑फ्रेंडली बना सकते हैं।
अंत में एक आसान टिप: हर महीने अपने सभी लेन‑देनों का छोटा रिकॉर्ड रखें – चाहे वह वेतन, व्यापारिक आय या किराया हो। इससे साल के अंत में टैक्स रिटर्न फाइल करना कम झंझट वाला हो जाता है और आप किसी भी छूट को मिस नहीं करते। अगर आपके पास समय कम है, तो मोबाइल ऐप्स या एक्सेल शीट का उपयोग कर सकते हैं; बस नियमित अपडेट रखें।
तो, अब जब आपको टैक्स की नई खबरें और उनके असर पता चल गए हैं, तो अपनी वित्तीय योजना में ये बदलाव शामिल करें और फालतू पेनल्टी से बचें। हमारे साथ जुड़ते रहें – हम हर हफ्ते सबसे ज़रूरी कर अपडेट लाते रहेंगे, ताकि आप हमेशा एक कदम आगे रहें।
कर्नाटक सरकार ने इंफोसिस को भेजे गए 32,000 करोड़ से अधिक कर चोरी के आरोपों वाले प्री-शो कॉज IGST नोटिस को वापस ले लिया है। इंफोसिस को यह नोटिस 30 जुलाई को डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ GST इंटेलिजेंस (DGGI) द्वारा मिला था, जिसमें कहा गया था कि विदेशी शाखाओं द्वारा दी गई सेवाओं के लिए IGST का भुगतान नहीं किया गया है। अब यह मामला DGGI की केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा तय किया जाएगा।
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