भारत का अर्थशास्त्र: एक नई दिशा
31 जनवरी, 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025 का आर्थिक सर्वेक्षण संसद में प्रस्तुत किया। यह सर्वेक्षण इस दिशा में उन्मुख है कि भारत कैसे अपनी आर्थिक यात्रा को वैश्विक चुनौतियों के बावजूद निरंतर आगे बढ़ा सकता है। प्रमुख तत्वों में, जीडीपी का भविष्य में विकास और भारतीय अर्थव्यवस्था की लचीलापन विषय महत्वपूर्ण हैं। 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.3-6.8% और चालू वित्तीय वर्ष के लिए 6.4% की अनुमान है।
सर्वेक्षण के अनुसार, महामारी के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था ने जिस तरह से राजस्व उठाया और विभिन्न क्षेत्रों को लक्षित राहत प्रदान की, वह सराहनीय है। आधारभूत संरचना में सार्वजनिक निवेश, सेवाओं का डिजिटलाइजेशन, और आत्मनिर्भर भारत अभियान के माध्यम से लक्षित राहत योजना इस लचीलेपन का प्रमाण है।
मुद्रास्फीति और निवेश गतिविधियाँ
इस वर्ष मुद्रास्फीति पर वैश्विक अनिश्चितताओं का प्रभाव सीमित रहने की उम्मीद है, जबकि भोजन पर आधारित मुद्रास्फीति के भी कम होने की संभावना है। दूसरे शब्दों में, सब्जियों और खरीफ फसल के आगमन से चौथे तिमाही में भोजन की कीमतें नरम हो सकती हैं। इसी के साथ निवेश गतिविधियाँ वृद्धि की राह पर लौटने के संकेत दे रही हैं, जिसमें सार्वजनिक पूंजीगत व्यय और व्यापारिक उम्मीदों में सुधार ने सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।
क्षेत्रीय प्रदर्शन और संसद का बजट सत्र
निर्माण क्षेत्र में अनियमितता के कारण सितंबर तिमाही में केवल 2.2% वृद्धि हुई थी। इसे उच्च मुद्रास्फीति, स्थिर वास्तविक वेतन और ब्याज दरों में वृद्धि के चलते शहरी उपभोक्ता व्यय पर अधिक भार महसूस किया गया। उन्हीं समस्याओं का समाधान करके तेजी की वापसी की उम्मीद की जा रही है।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आर्थिक सर्वेक्षण पूरे बजट सत्र का आरंभ है, जो 4 अप्रैल को समाप्त होगा। आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 के लिए सरकार की प्राथमिकताएँ, विशेषकर आर्थिक वृद्धि की निरंतरता, मुद्रास्फीति प्रबंधन, और क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करने पर केंद्रित होंगी।
वैश्विक संदर्भ और रणनीतिक प्रबंधन
सर्वेक्षण ने वैश्विक विपरीत परिस्थितियों को पार करने के लिए रणनीतिक और सावधान नीति प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर दिया है। यह हमारी स्थानीय मूलभूत सुविधाओं को सुदृढ़ करके वैश्विक आर्थिक हवादारियों का सामना करने की आवश्यकता को दर्शाता है। इसमें विशेष रूप से हमारे मकान 'आत्मनिर्भर भारत' के समर्थन और इसमें महत्वपूर्ण योगदान देने वाली नीतियों की चर्चा की गई है।
टिप्पणि
Dharmendra Pal
1 फ़रवरी 20252025 की आर्थिक सर्वेक्षण में जीडीपी वृद्धि दर 6.3‑6.8 % अनुमानित है और मौद्रिक नीति पर ध्यान दिया गया है। यह रिपोर्ट सार्वजनिक निवेश और डिजिटलाइजेशन को प्रधान मानती है। रोजगार सृजन के लिए निर्माण क्षेत्र में अतिरिक्त प्रोत्साहन की आवश्यकता है। मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने के लिए खाद्य पदार्थों की कीमतों पर नज़र रखी जाएगी। क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने के लिए विशेष योजनाएँ प्रस्तुत की गई हैं। इस सर्वेक्षण का मुख्य लक्ष्य आत्मनिर्भर भारत को साकार करना है।
Balaji Venkatraman
2 फ़रवरी 2025देश की आर्थिक नीति को नैतिक जिम्मेदारी के साथ चलाना चाहिए, नहीं तो सामाजिक असंतुलन बढ़ेगा।
Tushar Kumbhare
3 फ़रवरी 2025भाई लोग यह सर्वेक्षण तो हमारे भविष्य की सड़क दिखाता है 🚀 चलो मिलकर एक्स्पेक्टेड ग्रोथ को हकीकत बनाते हैं! 💪
Arvind Singh
3 फ़रवरी 2025वाह! इतने उत्साह से बात कर रहे हो जैसे अगले साल चाकलेट के पेपर से टैक्स भर जाओगे 😂 वास्तव में, औद्योगिक आंकड़े वही रहेंगे जब तक नीति‑निर्माता वास्तविक सुधार नहीं करते।
Vidyut Bhasin
4 फ़रवरी 2025धर्मेन्द्र जी, आपका सारांश पढ़कर लगा कि आर्थिक सर्वेक्षण ने सिर्फ ‘संख्या’ ही बढ़ा दी है, वास्तविक कड़ी मेहनत कहाँ? 🤔
nihal bagwan
5 फ़रवरी 2025देश की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना अब विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता है; इस दिशा में किए गए प्रत्येक निवेश को राष्ट्रीय भावना के साथ देखना चाहिए।
Arjun Sharma
6 फ़रवरी 2025भाइयो, तुम लोग तो सारा data भीड़ में फँसा रहे हो । लेकिन देखो, वो “इन्फ्रास्ट्रक्चर कैप एक्स्पोजर” ही असली पावर प्ले है, जिससे GDP को boost मिलेगा ।
Sanjit Mondal
7 फ़रवरी 2025बल्लाजी जी, आप सही कह रहे हैं कि नैतिक जिम्मेदारी जरूरी है, पर साथ ही हमें आर्थिक आंकड़ों की वास्तविकता भी समझनी चाहिए 😊। नीति में संतुलन बनाकर ही स्थायी विकास संभव है।
Ajit Navraj Hans
8 फ़रवरी 2025सभी को याद दिलाते हैं कि सर्वे में चाहे जो भी आंकड़े लिखे हों असली असर तो फॉर्मूला‑इकॉनॉमिक्स में है जो आम जनता को प्रत्यक्ष रूप से नहीं दिखता।
arjun jowo
9 फ़रवरी 20252025 का आर्थिक सर्वेक्षण भारत की वर्तमान आर्थिक स्थिति का समग्र चित्र प्रस्तुत करता है।
इसमें जीडीपी वृद्धि दर 6.3‑6.8 % का अनुमान दिया गया है जो पिछले वर्षों की तुलना में मध्यम सुधार दर्शाता है।
सर्वे में कहा गया है कि सार्वजनिक निवेश में विशेष वृद्धि होगी, विशेषकर बुनियादी ढाँचा और ग्रामीण विकास में।
डिजिटलाइजेशन को तेज करने के लिये सरकार ने कई नई पहलें घोषित की हैं, जिससे सेवाओं की पहुंच आसान होगी।
आय की असमानता को कम करने के लिये सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को विस्तारित किया जाएगा।
खाद्य मूल्य स्थिरता के लिये विशेष कदम उठाए जाएंगे, जिससे महंगाई पर दबाव कम होगा।
निर्माण क्षेत्र में पिछले तिमाहियों में गिरावट को ध्यान में रखते हुए नए प्रोत्साहन पैकेज का प्रस्ताव है।
निवेश आकर्षण के लिये विदेशी पूँजी के लिये आसान नियमों की घोषणा की गई है।
स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये 'आत्मनिर्भर भारत' की रणनीति को और मजबूत किया जाएगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता बढ़ाने हेतु तकनीकी समर्थन प्रदान किया जाएगा।
शिक्षा और स्वास्थ्य खर्च में भी वृद्धि के संकेत हैं, जो मानव पूँजि को सुदृढ़ करेंगे।
निर्यात को बढ़ाने हेतु नई नीतियां लागू की जाएँगी, जिससे विदेशी मुद्रा आय में इजाफा होगा।
वैश्विक आर्थिक अस्थिरता को देखते हुए जोखिम प्रबंधन की नीति को सख्त किया गया है।
वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिये डिजिटल भुगतान प्रणाली का विस्तार होगा।
कुल मिलाकर यह सर्वेक्षण दर्शाता है कि भारत विकास की दिशा में व्यवस्थित कदम उठा रहा है, लेकिन सफल कार्यान्वयन के लिये सभी स्तंभों का समन्वय आवश्यक है।
Rajan Jayswal
10 फ़रवरी 2025सर्वेक्षण में तालियों की बजाने की जरूरत नहीं, सिर्फ आंकड़े चाहिए।