विभव सुर्यवंशी, महज 13 साल की उम्र में, अपने नाम से तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने आईपीएल नीलामी में ₹1.10 करोड़ की बोली हासिल की। राजस्थान रॉयल्स द्वारा खरीदे गए इस युवा खिलाड़ी की पारी को लेकर सभी की उम्मीदें ऊंची थीं। हालांकि, जब उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ अंडर-19 एशिया कप मैच में मैदान संभाला, उनके प्रदर्शन ने सभी को निराश कर दिया। 9 गेंदों में उन्होंने मात्र 1 रन बनाया और अली रज़ा की गेंद पर विकेटकीपर साद बैग को कैच थमा बैठे।
विभव की यह पारी इसलिए भी चर्चा का विषय बनी, क्योंकि हाल ही के समय में उन्होंने अनेक उत्कृष्ट प्रदर्शन किए थे। उनके 62 गेंदों पर 104 रन की पारी ने यह साबित कर दिया था कि वे किसी भी गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ खड़े हो सकते हैं। लेकिन इस बार पाकिस्तानी मुख्य बॉलर की सीम गेंदबाजी के सामने वे टिक नहीं पाए। इस मैच में उनकी असफलता ने यह प्रश्न खड़ा कर दिया कि आखिरकार इतनी कम उम्र में इस प्रकार का दबाव कैसे संभाला जाए।
अगर इस मैच का विशाल दृष्टिकोण लेते हैं, तो शाहजैब खान की 159 रन की पारी ने पाकिस्तान को जीत की ओर अग्रसर किया। 147 गेंदों में ठोंके गए उनके नॉट आउट शतक में 10 छक्के भी शामिल थे। पाकिस्तान ने कुल मिलाकर 282 रन बनाए, जिसका पीछा करने में भारतीय टीम नाकाम रही और 238 रन पर ही सिमट गई।
भारतीय टीम की ओर से निकी कुमार की 67 रन की पारी और अयुष म्हात्रे के 20 रन कुछ ऐसे प्रलोभनीय प्रयास थे जो लक्ष्य तक न पहुँच सके। भारत की हार ने यह स्पष्ट किया कि युवा खिलाड़ियों को निरंतर प्रदर्शन में सुधार की आवश्यकता है, विशेषकर सीम गेंदबाजी के सामने।
विभव का निराशाजनक पारी खेल कोच और दर्शकों द्वारा आलोचना का एक नया मोर्चा खोल चुकी है। जबकि यह हर खिलाड़ी के जीवन का हिस्सा है, सही मार्गदर्शन और सिखाई जा सकने वाली तकनीकों से इसे आसानी से सुधारा जा सकता है। सार्वजनिक प्रतिक्रिया हालांकि कठोर हो सकती है, लेकिन यह उन्हें मानसिक रूप से मजबूत करने का अवसर भी देती है।
इस हार के साथ ही, भारत की अंडर-19 टीम के लिए यह समय आत्ममंथन का हो सकता है। सही कोचिंग, सपोर्ट स्टाफ के दिशा निर्देश और खिलाड़ियों के लिए प्रोत्साहन जैसी चीजें टीम के भविष्य के लिए जरूरी हैं।
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