दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर राजनीतिक मैदान को गरमा दिया है, जब उन्होंने हरियाणा की बीजेपी सरकार पर यमुना के पानी को जहरीला करने का आरोप लगाया। यह विवाद तब और बड़ा हो गया जब मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने उन्हें उनके बयानों पर नोटिस भेजा। केजरीवाल ने इस नोटिस का जवाब देते हुए आरोप लगाया कि राजीव कुमार, जो 2023 में चुनाव आयोग से रिटायर होने वाले हैं, अपनी स्थिति के बाद के लिए एक नौकरी की तलाश कर रहे हैं, और ऐसा करने के लिए उन्होंने चुनाव आयोग की साख को गिराया है।
अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपनी गंभीर चिंता जताते हुए यमुना जल का मुद्दा उठाया। उनकी मुख्य दलील यह थी कि हरियाणा से दिल्ली को मिलने वाले कच्चे जल में अमोनिया की मात्रा खतरनाक रूप से अधिक है, जिससे यह पानी मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक जहरीला है। उन्होंने दावा किया कि इस पानी में 7 पीपीएम (पार्ट्स प्रति मिलियन) अमोनिया की मात्रा है, जो कि मानक स्तर से काफी अधिक है। उन्होंने चुनौती दी कि चुनाव आयुक्त और अन्य राजनीतिज्ञ, जिनके नामों की बोतलों में पानी था, इस पानी को पीकर दिखाएं।
केजरीवाल ने ने सिर्फ आरोप लगाने तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि उन्होंने साफ तौर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को इस पानी को पीने की हिम्मत दी। उन्होंने पूछा कि यदि यह पानी स्वच्छ है तो वे इसे पीने में हिचकते क्यों हैं?
चुनाव आयोग ने केजरीवाल से उनके आरोपों के पक्ष में ठोस सबूत मांगते हुए कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने केजरीवाल से पूछा कि यमुना को कथित तौर पर जहरीला किस प्रकार, किस मात्रा में और किस विधि से किया गया है। यदि वे शुक्रवार सुबह 11 बजे तक इसका जवाब नहीं देते, तो आयोग उचित कार्रवाई को करने पर विचार करेगा।
केजरीवाल ने चुनाव आयोग के कदम को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि यह भाजपा के इशारे पर हो रहा है। इसके जवाब में चुनाव आयोग ने कहा कि उन्होंने केजरीवाल से जल की विषाक्तता पर ध्यान केंद्रित करने और विवाद को राजनीति से दूर रखने के लिए कहा है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने केजरीवाल के आरोपों पर सीधे टिप्पणी करने से इंकार कर दिया, हालांकि उनके मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि वे चुनाव आयोग के साथ सभी आवश्यक साक्ष्य पेश करेंगे।
यह विवाद उस वक्त उभर कर सामने आया है जब दिल्ली में आगामी चुनावों की तैयारी जोरों पर है। 5 फरवरी 2024 को होने वाले दिल्ली विधान सभा चुनावों में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला है। केजरीवाल की इस विवाद को उछालने की रणनीति और उनके जवाबी आरोप इसके राजनीतिक निहितार्थ को साफ करते हैं। राजनीति में इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप आम होते जा रहे हैं, लेकिन इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दों के साथ जोड़कर देखा जाना महत्वपूर्ण है।
देखना होगा कि इस विवाद का दिल्ली के मतदाताओं पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या चुनाव आयोग इस मामले में केजरीवाल के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई करता है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अब यह मामला सिर्फ चुनाव आयोग और एक राजनीतिक पार्टी के बीच का नहीं रह गया है, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य और राजनीतिक नैतिकता का मुद्दा बन गया है।
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