 
                            सोचिए—गुरुवार को जैसे ही आप घर से निकलने की तैयारी कर रहे हों, बाहर आसमान पूरा काले बादलों से घिरा दिखे और मौसम विभाग ये साफ कर दे कि दिल्ली-एनसीआर में रेड अलर्ट जारी है। तापमान तो 24°C से 31°C के आसपास घूम रहा है, लेकिन असली परेशानी आसान नहीं। जुलाई 31 को तो आईएमडी का अनुमान है कि बरसात 69.52 मिलीमीटर तक जा सकती है।
सिर्फ हल्की फुहारों की बात नहीं हो रही, बारिश का असर दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद तक महसूस हो रहा है। कई सड़कों पर पानी भर गया—आम लोगों का पैदल चलना तो दूर, गाड़ियों की कतारें तक लग गईं। मंगेशपुर, नजफगढ़, रिज इलाके में ऑरेंज अलर्ट जारी है, वहां भी जलभराव होना पक्का है।
लोगों को पुलिस ने सलाह दी है कि जब तक बहुत जरूरी न हो, घर से बाहर न निकलें और अगर निकलना ही है तो ट्रैफिक एडवाइजरी जरूर पढ़ें। सड़कों की हालत देखकर भी, दफ्तर या स्कूल के लिए निकलना किसी साहस से कम नहीं। IMD के मुताबिक, जुलाई 30 को भी बारिश हल्की नहीं थी—20 मिलीमीटर से ज्यादा पानी गिरा और हवाएं 40 किमी प्रति घंटे तक चलीं।
 
यहां बारिश न सिर्फ सड़कों को बल्कि हवाई सफर (एयरलाइंस) को भी प्रभावित कर रही है। कई बड़ी एयरलाइंस ने पैसेंजर्स को एडवाइजरी भेजी—फ्लाइट पकड़ने से पहले अपडेट जरूर चेक कर लें। मौसम में अचानक बदलाव, घटती विजिबिलिटी और बारिश की वजह से उड़ानें लेट हो सकती हैं या रद्द भी। दिल्ली एयरपोर्ट प्रशासन भी अलर्ट मोड में है।
मॉनसून का तांडव सिर्फ दिल्ली तक सिमटा नहीं, बल्कि ओडिशा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में भी तेज़ बारिश हो रही है। IMD ने ये अनुमान जताया है कि 3 अगस्त तक बारिश का सिलसिला थमने नहीं वाला। असल में पूरे उत्तर भारत में मौसम के मिजाज के आगे सरकार-प्रशासन, दोनों परेशान हैं।
दिलचस्प ये कि तेज बारिश और सब गड़बड़ियों के बीच दिल्ली ने अगस्त से पहले, जुलाई 2025 में पिछले दस सालों का सबसे स्वच्छ एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI- 79) स्वाद चखा है। बारिश ने धूल-गंदगी को दबा दिया, लेकिन लोगों की रोजमर्रा की मुश्किलें कई गुना बढ़ गई हैं।
फिलहाल दिल्ली वालों के लिए सबसे जरूरी है—समय पर अलर्ट सुनना, ट्रैफिक अपडेट देखना और सफर को टालना। जिनके पास बाहर निकलना मजबूरी है, उनके लिए छाता-दर्जा जरूरी है, और पानी के बीच नई दिल्ली की मशीन बनी सड़कों पर चलना इस बारिश के मौसम में सब्र और जुझारूपन दोनों मांगता है।
टिप्पणि
Ganesh kumar Pramanik
31 जुलाई 2025अरे भाई, इस बारिश में रफ़्तार कम करो, सड़कों पर पानी जमा है, गाड़ी चलाते‑समय जलजेट बन सकता है, इसलिए डबल ब्रेक लगाओ और अगर ज़रूरी न हो तो घर ही रहो। देखते‑ही‑देखते ट्रैफ़िक जाम में फँसते‑फ़सते टाइमलाइन बिगड़ जाएगी, इसलिए अपडेट्स फॉलो करो, रेड अलर्ट को हल्के में मत लो।
Abhishek maurya
14 अगस्त 2025सच्चाई यह है कि इस मौसमी उथल‑पुथल ने न केवल आम आदमी को परेशान किया है, बल्कि प्रशासनिक तैयारियों में भी छाइयाँ देखी जा रही हैं। पहला कारण यह है कि पूर्व चेतावनी प्रणाली की विफलता ने कई यात्रियों को अनिच्छित देरी में डाल दिया, जिससे समय‑सारिणी बर्बाद हुई। दूसरा, जलस्तर की अनरोक्य गणना ने कई प्रमुख सड़कों को अटैक करने के काबिल बना दिया, जिससे मदद‑सेवा पहुंचने में कठिनाई हुई। तीसरा, सार्वजनिक परिवहन के शेड्यूल को अनजाने में नयी बाधाओं का सामना करना पड़ा, जिसके कारण कई लोग वैकल्पिक मार्गों को अपनाने को मजबूर हुए। चौथा, वायुमंडलीय दबाव के अचानक बदलाव ने एरपोर्ट की रेंटन‑ऑफ़ प्रक्रियाओं को जटिल बना दिया, जिससे फ्लाइट रिलायबिलिटी पर असर पड़ा। पाँचवां, जलभारी मौसम ने फसल‑भूमि को भी प्रभावित किया, जिससे आर्थिक असर दृष्टिगोचर है। फिर भी, पुलिस की सतर्कता को नजरअंदाज करना अनुचित होगा क्योंकि उन्होंने कई क्षेत्रों में पैदल यात्रियों को सुरक्षित मार्ग दिखाए। इन सब के बीच, जनता को चाहिए कि वह व्यक्तिगत सुरक्षा को प्राथमिकता दे और स्थानीय प्रशासन की सलाह का पालन करे। अंत में, यह याद रखना जरूरी है कि प्रकृति के प्रतिकूल प्रभावों से लड़ने के लिए सामुदायिक सहयोग ही सबसे बड़ी शक्ति है।
Sri Prasanna
27 अगस्त 2025ऐसी परिस्थिति में लोग अक्सर जिम्मेदारी टालते हैं लेकिन खुद को हट नहीं सकते यह स्पष्ट है
Sumitra Nair
9 सितंबर 2025बिजली की तरह चमकते हुए, इस जल-तरंग ने हमें अस्थिर नयी वास्तविकता में प्रवेश कराया है। 😔
विचारों के वाद्ययंत्र पर सावधान रहें, क्योंकि हर बूंद में एक नई कथा टिकी होती है। 🙏
Ashish Pundir
22 सितंबर 2025भारी बारिश में अम्ब्रेला नहीं तो टिक नहीं।
gaurav rawat
6 अक्तूबर 2025छाता लेके निकलो यार 😄, ट्रैफिक अपडेट सुनते रहो और देर से आउटफिट बदलने की प्लान बना लो।
Vakiya dinesh Bharvad
19 अक्तूबर 2025सभी को नमस्ते, मौसम की इस धारा में स्थानीय सांस्कृतिक विरासत को भी याद रखें, बारिश के बाद की हवा में अक्सर पुराने गीत गूंजते हैं.