जब नसीम जावेद चौधरी, डायरेक्टर, स्कूल शिक्षा जम्मू ने दो दिन के लिए सभी सरकारी व निजी विद्यालय बंद करने का आदेश जारी किया, तो छात्र, अभिभावक और शिक्षक सभी ने इधर‑उधर बात करनी शुरू कर दी। यह घोषणा स्कूल बंद के सीधा परिणाम थी, क्योंकि भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने दिल्ली, नोएडा और गाज़ीआबाद में नारंगी चेतावनी जारी कर दी थी। उसी दिन, अधिकांश उत्तर भारत में महारشی वैल्मीकी जयंती का भी उत्सव मनाया गया, जो स्कूलों के दीर्घकालिक अवकाश को एक सांस्कृतिक आयाम दे गई।
रविवार, 5 अक्टूबर 2025 से लेकर मंगलवार, 7 अक्टूबर तक, India Meteorological Department ने राजधानी क्षेत्र में तेज़ बारिश, गड़गड़ाहट और 40 किलोग्राम प्रति घंटे तक की तेज़ हवाओं की संभावना जताई। दिल्ली, नोएडा और गाज़ीआबाद में रात भर जल निकासी की समस्या बनी रही, जबकि गुरुग्राम और फरीदाबाद को पीले चेतावनी स्तर पर रखा गया। इस दौरान, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) की कई जगहों पर 15‑20 mm की वार्षिक वर्षा दर्ज की गई।
IMD के सहयोगी मौसम विज्ञानी रवि शंकर ने कहा, “इस मौसम प्रणाली का मुख्य कारण वायुमंडलीय दबाव में अचानक गिरावट है, जिससे तेज़ हवाएँ और गड़गड़ाहट बनती हैं। सुरक्षा कारणों से स्कूल बंद करना समझदारीभरा कदम है।”
7 अक्टूबर को Maharishi Valmiki Jayanti के रूप में मनाया गया, जो रामायण के लेखक महर्षि वाल्मीकि की जयंती है। इस दिन स्कूलों में वैल्मीकी महात्मा की जीवनी, रामायण के अंशों का पाठ और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। कई राज्य सरकारों ने आधिकारिक तौर पर इस दिन को छात्र अवकाश घोषित कर दिया, जिससे पहले से नियोजित पढ़ाई‑परिचर्चा में एक अंतराल आया।
दिल्ली के शिक्षा विभाग के प्रवक्ता अनीता सिंह ने कहा, “वैल्मीकी जयंती का उद्देश्य नैतिकता और ज्ञान को आगे बढ़ाना है। इस दिये गए अवकाश से छात्रों को आध्यात्मिक पुनरुत्थान का अवसर मिलता है, साथ ही मौसम कारण बंदी से उत्पन्न व्यवधान कम हो जाता है।”
जम्मू में, Directorate of School Education Jammu ने रविवार, 5 अक्टूबर से शुरू होने वाली भारी वर्षा के कारण दो दिन (सोमवार‑मंगलवार) सभी स्कूलों को बंद रखने का आदेश जारी किया। नसीम जावेद चौधरी ने यह आदेश सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर जारी किया, जिसमें उन्होंने लिखा, “विद्यार्थियों की सुरक्षा—हमारी प्राथमिकता। पर्याप्त जलनिकासी नहीं होने पर स्कूल परिसर में जलभीति का जोखिम बढ़ जाता है।”
जम्मू में इस समय तक 23 mm से 28 mm तक की तेज़ बारिश दर्ज की गई, और कई पहाड़ी क्षेत्रों में बाढ़ की आशंका बनी रही। इस बीच, Shri Mata Vaishno Devi Shrine Board ने 5‑7 अक्टूबर के बीच वैष्णो देवी तीर्थयात्रा को अस्थायी रूप से रोक दिया, जिससे यात्रियों को अतिरिक्त कठिनाई का सामना करना पड़ा।
सभी स्कूल बंद होने से छात्रों को दो‑तीन दिन का अनपेक्षित अवकाश मिला, परंतु यह भी एक चुनौती बना कि कई अभिभावकों ने कार्यस्थल में उपस्थिति के कारण बच्चों की देखभाल की योजना बनानी पड़ी। एक निजी स्कूल के शिक्षक राहुल कुमारी ने कहा, “पाठ्यक्रम में देरी होगी, पर हम ऑनलाइन ट्यूटोरियल से कवर करने की कोशिश करेंगे।”
हैदराबाद में मौसम हल्का था, लेकिन वहाँ की कई निजी कॉलेजों ने भी वैल्मीकी जयंती के कारण दो‑तीन दिन की छुट्टी दी। इस कारण छात्रों को यात्रा, पढ़ाई और परिवारिक समारोहों का तालमेल बिठाने में मदद मिली।
IMD ने 8 अक्टूबर से बाद के दिनों में धुंध कम होने और आकाश साफ़ रहने की भविष्यवाणी की है। 9‑10 अक्टूबर तक तापमान में हल्का वृद्धि (28‑32 °C) और धूप की अपेक्षा है। यद्यपि मानसून की लहर अभी पूरे भारत में नहीं पड़ी है, लेकिन उत्तरी भाग में ऐसी तीव्र अस्थायी हवाओं से सतर्कता बनाए रखना आवश्यक है।
जम्मू के शिक्षा विभाग ने कहा कि अगले सप्ताह तक मौसम की स्थिति पर निरंतर नज़र रखी जाएगी, और आवश्यकतानुसार अतिरिक्त स्कूल बंदी या पुनः खुलने की सूचना दी जाएगी।
एक ही सप्ताह में दो अलग‑अलग कारण—मौसम चेतावनी और धार्मिक अवकाश—के कारण कई राज्यों में स्कूल बंद हुए। यह दोहरा असर छात्रों को एक लंबा ब्रेक प्रदान करता है, पर साथ ही अभिभावकों को कार्य‑जीवन में समायोजन की चुनौती देती है। प्रशासनिक स्तर पर, मौसम विभाग, शिक्षा विभाग और धार्मिक संस्थानों के बीच समन्वय ने यह सुनिश्चित किया कि सुरक्षा और सांस्कृतिक गरिमा दोनों को प्राथमिकता दी गई। भविष्य में, ऐसी बहु‑कारक स्थितियों के लिए एकीकृत योजना बनाना आवश्यक होगा, ताकि शैक्षणिक प्रक्रिया में न्यूनतम बाधा आए।
वैल्मीकी जयंती एक राष्ट्रीय सार्वजनिक अवकाश है, इसलिए कई बोर्डों ने इस दिन पढ़ाई नहीं रखी। अधिकांश स्कूल इसे अतिरिक्त छुट्टी के रूप में मानते हैं, इसलिए पढ़ाई‑परिचर्चा में देरी होती है, पर अध्यापक अक्सर ऑनलाइन असाइनमेंट या रिवीजन क्लासेज़ से इसे पूरा करने की कोशिश करते हैं।
जम्मू में 5‑7 अक्टूबर के बीच भारी वर्षा के कारण जलभीति, सड़क भरे पानी और संभावित बाढ़ का जोखिम था। निदेशक नसीम जावेद चौधरी ने सुरक्षा कारणों से सभी विद्यालयों को दो दिन के लिए बंद करने का आदेश दिया।
नारंगी चेतावनी का अर्थ है अत्यधिक मौसमीय घटनाओं की संभावना, जैसे तेज़ बारिश, तुफान और 30‑40 km/h की तेज़ हवाएँ। इससे ट्रैफ़िक व्यवधान, बिजली कटौती और जलभीति जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती थीं, इसलिए स्कूल, सरकारी कार्यालय और सार्वजनिक स्थानों को बंद करना जरूरी माना गया।
शिक्षा विभाग और मौसम विज्ञान विभाग को आपसी सूचना प्रणाली विकसित करनी चाहिए, ताकि जब भी किसी धार्मिक समय‑सारणी में सार्वजनिक अवकाश हो, साथ ही मौसम चेतावनी जारी हो, तो एक समन्वित निर्णय लिया जा सके। इसके अलावा, ऑनलाइन सीखने के प्लेटफ़ॉर्म को सक्रिय करके पढ़ाई में अंतराल को कम किया जा सकता है।
टिप्पणि
ravi teja
7 अक्तूबर 2025बिलकुल, बारिश और वैल्मीकी जयंती दोनों मिलके ब्रेक मिला है।
Harsh Kumar
16 अक्तूबर 2025IMD की नारंगी चेतावनी के बाद स्कूल बंद करवाना समझ में आता है। सुरक्षा को प्राथमिकता देना हर प्रशासन की ज़िम्मेदारी है 😊। जनवरी में ऐसे निर्णयों ने कई दुर्घटनाओं को रोका था।
Raja Rajan
25 अक्तूबर 2025बारिश के कारण जलभराव की जोखिम बढ़ी और स्कूल बंद उचित रहा।
Abhishek Agrawal
3 नवंबर 2025क्या सोचते हो, हर बार मौसम को बहाना बना कर पढ़ाई रोकते हैं!!! सरकार को तो स्थायी समाधान चाहिए!!!
Atish Gupta
12 नवंबर 2025देखो भाई, वैल्मीकी जयंती का सांस्कृतिक पहलू भी महत्वपूर्ण है, लेकिन महामारी‑पश्चात ऑनलाइन लर्निंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना जरूरी है; नहीं तो दो‑तीन दिन की छुट्टी से सालाना टाइमटेबल बिगड़ता है।
Aanchal Talwar
21 नवंबर 2025मैं तो कहूँगा की इस तरह के अलर्ट से माँ‑बाप को भी प्लान बनाना पड़ता है, वरना बच्चों को घर पे बोर हो जाता है।