जब मिथुन मनहास, पूर्व दिल्ली कप्तान को BCCI का नया अध्यक्ष घोषित किया गया, तो क्रिकेट जगत में ज़ोरदार हलचल मच गई। 28 सितंबर 2025 को बोर्ड के मुख्यालय में हुए 94 वें वार्षिक आम सभा (AGM) में 45‑साल के मनहास ने बिना किसी विरोधी के पद हासिल किया, जबकि राजीव शुक्ला, जोरज बिन्नी के पदत्याग के बाद अंतरिम अध्यक्ष रहे, अब उपाध्यक्ष बने। यह नियुक्ति मनहास को भारत के सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड का शीर्ष अधिकारी बना देती है, जहाँ वे महंगाई‑समायोजित दैनिक भत्ते और विशेष सुविधाओं के माध्यम से रिवार्ड प्राप्त करेंगे।
पहले दो दशक में सौरव गांगुली और जोरज बिन्नी ने ही BCCI के अध्यक्ष पद को संभाला था। इस क्रम में केवल तीन ही पूर्व खिलाड़ी अब तक इस पद पर आए हैं। मायने रखता है कि मनहास का जन्म भदेरवा, पूर्व डोदा जिले (जम्मू‑कश्मीर) में हुआ था – एक ऐसा क्षेत्र जिसे अक्सर दूरस्थ और कम‑संसाधन वाला कहा जाता है। अब यह कहानी वहीँ के युवा क्रिकेट प्रेमियों के लिए प्रेरणा बन गई है।
AGM में कुल 31 प्रतिनिधियों ने मतदान किया, लेकिन मनहास के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा हुआ, जिससे उनका चयन ‘अनिपक्षीय’ (unopposed) हो गया। इस दौरान, संघ के सचिव दल ने कुछ प्रमुख वित्तीय आँकड़े भी सार्वजनिक किए:
इन आँकड़ों को इकॉनमिक टाइम्स ने विस्तृत रिपोर्ट में उजागर किया था, जिसमें कहा गया कि BCCI के शीर्ष अधिकारी अक्सर "सबसे अधिक भुगतान वाले गैर‑वेतन पदों" में गिने जाते हैं।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने X (पहले ट्विटर) पर इस नियुक्ति को "जम्मू‑कश्मीर के दोडा जिले के लिए एक ऐतिहासिक अवसर" कहा। उन्होंने लिखित रूप में कहा: "एक तरफ़ कश्मीर की क़ीस्तवार की शीटल विश्व विजेता बन गई, और अब भदेरवा के मिथुन BCCI के शीर्ष पर हैं।" यह बयान प्रदेश में क्रिकेट के विकास को गति देने की आशा को भी दर्शाता है।
दूसरी ओर, कुछ क्रिकेट विश्लेषकों ने मनहास की कार्यनीति को लेकर सवाल उठाए। विशेषज्ञ अभिसhek जैन ने कहा, "राष्ट्रकूट के भीतर कई संरचनात्मक बदलावों को लागू करना आसान नहीं होगा, खासकर जब पहलू‑व्यापी टॉइ‑बस्टर एवं आईपीएल की वित्तीय संरचना को संतुलित रखना है।"
मनहास के सामने सबसे बड़ी चुनौती भारत की राष्ट्रीय टीम को लगातार जीत की लकीर पर रखना और साथ ही घरेलू प्रतियोगिताओं (Ranji Trophy, Vijay Hazare) को आधुनिक बनाना है। उनका पहला टेस्ट‑सीज़न 2025‑26 में शुरू होगा, जिसमें कोचिंग स्टाफ, चयन समिति और विश्व कप की तैयारी शामिल है।
इसके अलावा, कुछ मुद्दे ऐसे हैं जो तुरंत उनका ध्यान खींचेंगे:
अगर मनहास इन चुनौतियों को सफलतापूर्वक संभाल लेते हैं, तो भारत के क्रिकेट को न केवल वित्तीय रूप से बल्कि सामाजिक स्तर पर भी नई ऊँचाइयों पर ले जाया जा सकेगा। उनकी जड़ें छोटे शहर में होने के कारण, अपेक्षा की जाती है कि वह ग्रामीण स्तर पर टैलेंट स्काउटिंग को लेकर नई पहल करेंगे – शायद हर साल एक ‘भदेरवा टूर’ आयोजित करें, जहाँ दूर‑दराज़ क्षेत्रों के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय मंच पर लाया जा सके।
संक्षेप में, यह नियुक्ति भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक नया अध्याय खोलती है – जहाँ व्यक्तिगत प्रयास, राजनीति और आर्थिक शक्ति आपस में जुड़ कर नई दिशा तय करती है।
मनहास का ग्रामीण जड़ें उन्हें दूर‑दराज़ क्षेत्रों में टैलेंट स्काउटिंग को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित कर सकती हैं। इससे नए खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर पर अवसर मिलेंगे, और घरेलू टूर्नामेंटों की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
शुक्ला ने बिन्नी के पदत्याग के बाद अस्थायी रूप से अध्यक्षता संभाली थी। उनका अनुभव और प्रशासनिक कौशल उन्हें उपाध्यक्ष के रूप में जारी रखने के लिए उपयुक्त बनाता है, जिससे निरन्तरता बनी रहे।
पद को मौखिक (honorary) माना जाता है, इसलिए कोई स्थिर वेतन नहीं है। इसके बजाय, वे घरेलू मीटिंग्स के लिए ₹40,000 और अंतर्राष्ट्रीय मीटिंग्स के लिए USD 1,000 के दैनिक भत्ते प्राप्त करेंगे, साथ ही यात्रा, आवास और स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधाएँ भी।
मनहास के जन्मस्थल भदेरवा के कारण, स्थानीय सरकार और बोर्ड संभावित रूप से अधिक निवेश और बुनियादी ढाँचा सुधार की आशा कर रहे हैं, जिससे क्षेत्रीय खिलाड़ियों को राष्ट्रीय मंच पर पहुँचने का रास्ता आसान हो जाएगा।
IPL के टेलीविजन अधिकारों का नवीनीकरण, पारदर्शिता हेतु नई निगरानी इकाई बनाना और राष्ट्रीय टीम के लिए विश्व कप की तैयारी प्राथमिक कार्यसूची में हैं। इनका सफल प्रबंधन ही उनकी अध्यक्षता की सफलता निर्धारित करेगा।
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