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महिला टी20 विश्व कप 2024: दक्षिण अफ्रीका ने वेस्टइंडीज को 10 विकेट से कुचला, वोल्वार्ट–ब्रिट्स चमके
Abhishek Rauniyar

Abhishek Rauniyar

मैच का हाल

10 विकेट की जीत किसी विश्व टूर्नामेंट में रोज नहीं दिखती। दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका ने वेस्टइंडीज को जिस सलीके से ध्वस्त किया, उससे उनके ड्रेसिंग रूम का मूड साफ पढ़ा जा सकता है—काम पहले, शोर बाद में। महिला टी20 विश्व कप 2024 के इस तीसरे मैच में प्रोटियाज़ ने टॉस जीतकर वही किया जो दुबई में ज्यादातर कप्तान करते हैं—गेंदबाज़ी चुनी, हालत पढ़ी और स्क्रिप्ट अपने हाथ में रखी। यहां नई गेंद तेज़ गेंदबाज़ों को थोड़ी मदद देती है, फिर बीच के ओवरों में स्पिन खेल पलट देती है। पुरुषों के लगभग 100 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों के ट्रेंड के हिसाब से पहली पारी का औसत स्कोर मिड-140s रहा है; ऐसे में 118/6 शुरुआत से ही कम नज़र आया।

वेस्टइंडीज की पारी स्थिरता खोजती रही, मिली नहीं। कप्तान हेली मैथ्यूज़ के पास क्लास है, पर दक्षिण अफ्रीका की योजना उससे ज्यादा कसी हुई लगी—लाइन ऑफ़ ऑफ-स्टंप, गति में बदलाव और विकेट-टू-विकेट स्कीम। स्टेफ़नी टेलर के अनुभव के बावजूद साझेदारी लंबी नहीं चली। देआंद्रा डॉटिन की वापसी उत्साह लाती है, पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की गति पकड़ने में दो-चार डिलीवरी नहीं, कुछ मैच लगते हैं। इन सबके बीच नोनकुलुलेको म्लाबा ने मैच को अपनी मुट्ठी में ले लिया—करियर-बेस्ट स्पैल, बीच ओवरों में डबल-स्ट्राइक और रिद्म ऐसा कि बैटर या तो डिफेंस में फंसे या गलती मजबूर होकर करें।

म्लाबा की लय को टीम की फील्डिंग ने धार दी। तज़मिन ब्रिट्स ने डीप में वह शानदार कैच पकड़ा जिसने म्लाबा को चौथी सफलता दिलाई और वेस्टइंडीज की वापसी के रास्ते बंद कर दिए। स्पिनरों को एन्ड्स स्विच करके इस्तेमाल करना, लॉन्ग-ऑन/लॉन्ग-ऑफ को अंदर-बाहर करना और पॉइंट पर एंगल बनाना—दक्षिण अफ्रीका ने हर चाल समय से चली। नतीजा—वेस्टइंडीज 20 ओवर पूरे कर गई, पर स्कोरबोर्ड पर दबाव छोड़ नहीं पाई।

चेज़ की कहानी इससे बिल्कुल उलट रही—शांत, सटीक और बेजोड़। कप्तान लौरा वोल्वार्ट और तज़मिन ब्रिट्स ने पीछा ऐसे किया जैसे नेट सेशन में टारगेट हिट हो रहा हो। वोल्वार्ट ने 59* (55) बनाए—सात चौकों के साथ, और उनकी कवर-ड्राइव ने वही भरोसा दिखाया जो कप्तान मैदान पर उतारना चाहती हैं। दूसरी तरफ ब्रिट्स 57* (52) पर टिके रहीं—छह चौके, मौके पर स्ट्राइक रोटेशन और गलत गेंद पर प्रहार। दोनों ने 119 की नाबाद साझेदारी 17.5 ओवर में पूरी कर दी। कोई घबराहट नहीं, कोई फालतू शॉट नहीं—बस गैप ढूंढो, रन लो और गेंदबाज़ों को थकाओ।

वेस्टइंडीज ने कॉम्बिनेशन बदल-बदलकर आजमाए—पावरप्ले में पेस, फिर मध्य में स्पिन, स्लोअर बॉल, ऑफ-कटर—पर दरार वहीं से खुलती रही जहां नियंत्रण चाहिए था। फील्डिंग में आधा मौका भी मिला तो हाथ से फिसला। यह वही तरह का चेज़ था जिसमें गेंदबाजों की योजना बेअसर पड़ती जाती है और कप्तान के पास विकल्प कम। 10 विकेट की ऐसी जीत सिर्फ दो अंक नहीं, मनोवैज्ञानिक बयान होती है—“हम आए हैं खिताब के लिए।”

रणनीति, संदर्भ और आगे की राह

रणनीति, संदर्भ और आगे की राह

दक्षिण अफ्रीका की जीत सिर्फ फॉर्म का नतीजा नहीं, तैयारी का केस-स्टडी भी है। उन्होंने मैथ्यूज़ के खिलाफ ऑफ-साइड जाल बुना—फील्ड को चौकोर रखा और लम्बाई ऐसी रखी कि फ्री-हैंड शॉट कम निकलें। स्टेफ़नी टेलर के लिए पेस-ऑफ और एयर-टाइम का मिश्रण काम आया। म्लाबा ने एंगल और फ्लाइट से टेम्पो तोड़ा, और सहयोगी गेंदबाज़ों ने हार्ड लेंथ से स्कोरिंग रेट को जाम रखा। प्री-मैच में वोल्वार्ट ने ‘एक-एक मैच’ पर फोकस की बात कही थी; मैदान पर उसी का अनुपालन दिखा—बिना जल्दबाज़ी, बिना ओवर-एटैक।

वेस्टइंडीज का मसला स्पष्ट है—डॉट बॉल्स ज़्यादा, बाउंड्री फ्रीक्वेंसी कम। टी20 में जब 10–12 गेंद बिना रन या सिंगल के निकल जाएं, तो फिर आख़िरी ओवरों में 15–16 की रन-रेट उठाना आसान नहीं रहता। मध्य क्रम को स्ट्राइक रोटेशन बेहतर करना होगा और लेफ्ट-आर्म स्पिन के खिलाफ क्लियर प्लान चाहिए—जैसे स्वीप/रिवर्स-स्वीप की कमिटमेंट, या क्रीज़ का इस्तेमाल। देआंद्रा डॉटिन की मौजूदगी पॉवर देती है, मगर टीम को उनके आसपास रोल्स साफ़ करने होंगे कि कौन एंकर करेगा और किसे डेथ में फिनिश करना है।

टूर्नामेंट के संदर्भ में यह जीत बोनस जैसी है। पिछले संस्करण में दक्षिण अफ्रीका उपविजेता रही और उन्हें पता है कि नॉकआउट तक पहुंचने के लिए शुरुआती मैचों में नेट-रन-रेट साथ रखना पड़ता है। 10 विकेट की जीत वही कुशन देती है। दूसरी ओर, 2016 की चैंपियन वेस्टइंडीज के लिए यह झटका है, पर टूर्नामेंट लंबा है। हेली मैथ्यूज़ टी20आई में नंबर-1 ऑलराउंडर हैं; एक मैच उनकी क्लास को परिभाषित नहीं करता। टीम मैनेजमेंट को बस बैटिंग टेम्पलेट पर तेजी से काम करना होगा।

दुबई की कंडीशन भी कहानी का अहम हिस्सा रही। शाम ढलते ही हल्की नमी आती है, जिससे गेंद हाथ से फिसलती है और चेज़ आसान दिखने लगता है। इसी वजह से यहां टॉस जीतकर गेंदबाज़ी लेना समझदारी मानी जाती है। 118 का टोटल इन हालात में कम से कम 20–25 रन छोटा लगा। अगर वेस्टइंडीज पावरप्ले में एक-दो बाउंड्री और जोड़ती या बीच के ओवरों में एक स्टैंड बना लेती, तो तस्वीर अलग हो सकती थी।

ब्रॉडकास्ट फ्रंट पर मैच Disney+ Hotstar और स्टार स्पोर्ट्स नेटवर्क पर गया, तो फैंस ने शुरू से अंत तक दक्षिण अफ्रीका की क्लिनिकल एग्ज़िक्यूशन देखी। इस तरह की टेलीविज़न विंडो का फायदा यह है कि टीम की टेम्पो-मैनेजमेंट और माइक्रो-एडजस्टमेंट साफ दिखते हैं—फील्ड मूवमेंट, बॉलर की रन-अप में बदलाव, बैटर की क्रीज़ पोज़िशनिंग—सब स्क्रीन पर पकड़ में आता है।

कहाँ मैच जीत-हारा, चार झलकियाँ:

  • म्लाबा का डबल-स्ट्राइक—बीच ओवरों में रफ़्तार तोड़ी, वेस्टइंडीज बैकफुट पर चली गई।
  • तज़मिन ब्रिट्स का डीप में शानदार कैच—म्लाबा को चौथी सफलता और वेस्टइंडीज की वापसी की उम्मीद खत्म।
  • वोल्वार्ट–ब्रिट्स की स्ट्राइक रोटेशन—बड़े शॉट कम, समझदारी ज़्यादा; मैच हाथ से निकलने ही नहीं दिया।
  • दुबई की शाम और हल्की नमी—चेज़र्स के लिए बॉल ग्रिप करना मुश्किल, बैटिंग आसान।

दक्षिण अफ्रीका अगले मुकाबलों में इसी टेम्पलेट को दोहराना चाहेगी—नई गेंद से नियंत्रण, मध्य ओवरों में स्पिन से जाल और बैटिंग में एंकर के साथ पावर। वेस्टइंडीज के लिए प्राथमिकता होगी—डॉट बॉल्स घटाना, पांचवें-छठे बॉलर की योजना साफ करना और बैटिंग ऑर्डर में फ्लेक्सिबिलिटी लाना। ग्रुप स्टेज में अभी रास्ता खुला है, पर टेबुल पर शुरुआती गति किसके पास है, यह दुबई की रात बता गई है।

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