पेरिस पैरालिम्पिक्स 2024 ने भारतीय खेल इतिहास में एक नया और गौरवशाली अध्याय जोड़ा है। अवनी लेखरा ने एक बार फिर से अपनी अद्वितीय प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए लगातार दूसरी बार पैरालिम्पिक्स में स्वर्ण पदक जीता है। अवनी ने 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में स्वर्ण पदक जीतकर भारत के लिए गर्व का पल साबित किया है।
अवनी लेखरा की यह अद्भुत उपलब्धि भारत के पैरालिम्पिक्स इतिहास के लिए मील का पत्थर है। उन्होंने अपनी दृढ़ संकल्प एवं कठिन परिश्रम के चलते लगातार दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला का गौरव हासिल किया है। उनकी यह जीत न केवल उनके खेल कौशल का प्रमाण है बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारतीय पैरालिम्पिक्स खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धा में मुकाबला करने की पूरी क्षमता है।
अब तक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पैरालिम्पिक्स के इस सत्र में कुल पांच पदक जीते हैं। अवनी के स्वर्ण पदक के अलावा, मनीष नरवाल ने पुरुषों के 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 फाइनल में रजत पदक जीता है। इसके साथ ही मोना अग्रवाल ने अवनी के साथ ही 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में कांस्य पदक अपने नाम किया। प्रीति पाल ने महिलाओं के 100 मीटर – T35 फाइनल में 14.21 सेकंड का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय निकालकर कांस्य पदक जीता है। रबीना फ्रांसिस ने भी 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 इवेंट में कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है।
भारत की इस धमाकेदार प्रदर्शन ने उन्हें पदक तालिका में नौवें स्थान पर पहुंचा दिया है। चीन 11 पदकों के साथ तालिका में शीर्ष पर है, जबकि ग्रेट ब्रिटेन ने छः पदक जीते हैं।
भारत ने इस वर्ष पैरालिम्पिक्स में अपने अब तक के सबसे बड़े दल को भेजा है, जिसमें कुल 84 खिलाड़ी हैं और ये 12 विभिन्न खेलों में हिस्सा ले रहे हैं। यह प्रतिनिधिमंडल न केवल भारत की असीम संभावनाओं का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि पैरालिम्पिक्स में भारतीय खिलाड़ियों की सहभागिता में जबरदस्त वृद्धि हुई है।
भारतीय पैरालिम्पिक्स दल ने टोक्यो पैरालिम्पिक्स में 19 पदक जीते थे, और इस बार की उनकी प्रगति और तैयारियों को देखकर यह उम्मीद की जा रही है कि वे इस रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं। भारतीय पैरालिम्पिक समिति के अध्यक्ष देवेंद्र झाझरिया ने विश्वास जताया है कि खिलाड़ी इस बार एक नया इतिहास रचेंगे। उनकी उम्मीदें और तैयारियां सर्वोत्तम हैं, और पूरा देश उनके पीछे खड़ा है।
पेरिस पैरालिम्पिक्स 2024 ने भारतीय खेल प्रेमियों के मन में एक नई आशा और उत्साह का संचार किया है। अवनी लेखरा और उनकी टीम की अभूतपूर्व उपलब्धियों ने न केवल देश का गौरव बढ़ाया है, बल्कि नए और उभरते हुए खिलाड़ियों को भी प्रेरित किया है। उम्मीद है कि यह सफलता का सिलसिला जारी रहेगा और भारतीय पैरालिम्पिक्स खेलों में और भी चमकेंगी।
टिप्पणि
Rakesh Pandey
1 सितंबर 2024अवनी लेखरा ने लगातार दो स्वर्ण पदक जीते-यह भारतीय पैरालिम्पिक्स का बड़ा मील का पत्थर है 😊। उनके प्रदर्शन से साफ़ पता चलता है कि हमारे शूटरों में ट्रेनिंग और मनोबल दोनों ही बेहतरीन हैं। पिछले चार सालों में तरक्की का आंकड़ा दिखाता है कि सिस्टेमैटिक सपोर्ट अब सुधर रहा है। लेकिन अभी भी बुनियादी सुविधाओं की कमी कई खिलाड़ियों को पीछे रख रही है।
Simi Singh
1 सितंबर 2024सच में ये सब मीडिया की साजिश नहीं है कि अवनी को चमकाया जाए, सरकार अपने दायित्व से बचने के लिए एक हीरो बना रही है। पेरिस में जो फर्जी आँकड़े दिखाए जा रहे हैं, वो शायद लुच्ची नेटवर्क से आ रहे हैं। असली मुद्दा तो यह है कि हमारे एथलीट्स को घर पर भी उचित देखभाल नहीं मिलती।
Rajshree Bhalekar
1 सितंबर 2024वाकई दिल से खुश हूँ अवनी को, दो स्वर्ण देख कर आँखों में आँसू आ गए। भारत को अब गर्व है और हमें और भी लड़कों-लड़कियों को सपोर्ट करना चाहिए।
Ganesh kumar Pramanik
1 सितंबर 2024अवनी का जीतना तो धूमधाम से होना चाहिए, लेकिन मैं सोचता हूँ कि बाकी खिलाड़ियों को भी बराबर अवसर मिले तो मज़ा दुगुना हो जाए।
हर कोई अपना जलवा दिखाए, तभी तो टीम का फ़ायदा रहेगा।
Abhishek maurya
1 सितंबर 2024अवनी लेखरा की लगातार दो स्वर्ण पदक जीतना भारतीय खेल इतिहास में एक अनूठी उपलब्धि है, और इस पर विचार करने से कई बिंदु सामने आते हैं। प्रथम, यह सिद्ध करता है कि पैरालिम्पिक्स में भारतीय एथलीट्स की तैयारी अब अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है। द्वितीय, इस जीत से यह स्पष्ट होता है कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में एथलेटिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार किया है, हालांकि यह सुधार अभी भी काफी अधूरा है। तृतीय, अवनी की सफलता यह भी दर्शाती है कि महिला एथलीट्स को समान अवसर मिलने चाहिए, जिससे समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा मिल सकता है। चौथा, इस तरह की बड़ी जीत से युवा में प्रेरणा का संचार होगा, जिससे भविष्य के खेल प्रतिभाओं का विकास होगा। पाँचवाँ, मीडिया को चाहिए कि वह केवल स्वर्ण पदकों की प्रशंसा में नहीं रहकर एथलीट्स की रोज़मर्रा की चुनौतियों को भी उजागर करे। छठा, यह आवश्यक है कि इन सफलताओं को स्थायी बनाने के लिए निरंतर फंडिंग और सपोर्ट सिस्टम स्थापित किया जाए। सातवाँ, कोचिंग स्टाफ की कड़ी मेहनत को भी सराहा जाना चाहिए, क्योंकि वे ही एथलीट को मंच तक पहुँचाते हैं। आठवाँ, टीम की सामूहिक भावना को बढ़ाने के लिये मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग को अनिवार्य बनाना चाहिए। नौवाँ, प्रतियोगिता के बाद के रिवॉर्ड सिस्टम को भी पारदर्शी बनाना आवश्यक है ताकि सभी को न्यायसंगत मान्यता मिले। दसवाँ, इस जीत से अंतरराष्ट्रीय साझेदारी कार्यक्रमों में भारत की bargaining पॉवर बढ़ेगी, जिससे अधिक एक्सचेंज अवसर मिलेंगे। ग्यारहवाँ, हमें यह भी याद रखना चाहिए कि अवनी ने व्यक्तिगत रूप से कई बाधाओं को पार किया है, जैसे कि तकनीकी उपकरणों की कमी और प्रशिक्षण सुविधाओं की कमी। बारहवाँ, इस उपलब्धि को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने के लिये स्कूली स्तर पर पैरालिम्पिक खेलों को शामिल किया जाना चाहिए। तेरहवाँ, इस प्रकार की जीत से खेलों के प्रति राष्ट्रीय गर्व बढ़ेगा, जो सामाजिक एकता को भी मजबूती देगा। चौदहवाँ, एक बार जब सरकार देखेगी कि निवेश पर प्रतिफल मिल रहा है, तो वह आगे और अधिक निवेश करने के लिए तत्पर होगी। पंद्रहवाँ, अंत में, हमें यह समझना चाहिए कि यह केवल एक शुरुआत है और निरंतर सुधार की आवश्यकता है, तभी हम विश्व मंच पर भारत की पहचान को मजबूत कर सकेंगे।
Sri Prasanna
1 सितंबर 2024पैरालिम्पिक्स में भारत को और ज्यादा पदक चाहिए क्योंकि अन्य खेल में हम अक्सर पीछे रह जाते हैं
Sumitra Nair
1 सितंबर 2024वास्तव में अवनी की इस अद्भुत विजय ने मुझे शब्दों के धैर्य को प्रश्नवाचक बना दिया है; यह एक ऐसी गाथा है जो इतिहास में सुनहरी अक्षरों से लिखी जाएगी। 🏅✨
Ashish Pundir
1 सितंबर 2024बहुत बढ़िया जीत।
gaurav rawat
1 सितंबर 2024अवनी जी को बधाई हो, आपका लक्ष्य सेट करने से लेकर टार्गेट तक पहुँचने का तरीका बहुत प्रेरणादायक है। आगे भी इसी जोश के साथ प्रशिक्षण जारी रखें, पूरी टीम आपका साथ देगी 🌟।
Vakiya dinesh Bharvad
1 सितंबर 2024इसी तरह की सफलता से भारत की सांस्कृतिक धरोहर भी उज्जवल होगी 😊। हमें अपने शौखीन खेलों को बढ़ावा देना चाहिए।
Aryan Chouhan
1 सितंबर 2024यो भाई जीत तो मस्त है पर फ्रंटलाइन सपोर्ट तो काउण्टली नहीं है , नैं तो कॉलज में भी ट्रेनििंग मजे तक नहीं मिला।
Tsering Bhutia
1 सितंबर 2024अवनी की जीत से यह साबित होता है कि उचित कोचिंग और स्ट्रेटेजिक प्लानिंग से पैरालिम्पिक्स में भी चमका जा सकता है। अगर नए एथलीट्स को शुरुआती चरण में ही टार्गेटेड ट्रेनिंग दी जाए तो भविष्य में पदक तालिका में भारत की जगह और भी ऊँची हो सकती है।
Narayan TT
1 सितंबर 2024ऐसे दिखावे वाले पुरस्कारों को असली खेल भावना से अलग नहीं किया जा सकता; वास्तविक सफलता निरंतर मेहनत में है।