जब बात होते है देश की समृद्धि की, तो सबसे पहला नंबर पर आती है जीडीपी। लेकिन कई बार शब्द सुनते‑सुनते थक जाते हैं – असली मायना क्या है? सरल शब्दों में कहें तो जीडीपी वो कुल मूल्य है जो एक साल में पूरे देश ने बनाया।
2023-24 वित्तीय वर्ष में भारत का जीडीपी लगभग 8% बढ़ा, जिससे दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते बाजारों में जगह बना ली। इस वृद्धि में सेवाएँ सेक्टर ने सबसे बड़ा योगदान दिया – IT, स्वास्थ्य और शिक्षा ने मिल कर बड़े हिस्से को संभाला। कृषि भी अच्छी रही, खासकर मॉनसून‑से संबंधित फसलें समय पर हुईं।
उद्यमियों ने नई तकनीकों का इस्तेमाल किया, जैसे कि AI‑आधारित सॉफ़्टवेयर, जिससे उत्पादन लागत कम और आउटपुट बढ़ा। इससे न सिर्फ बड़े कंपनियों को फायदा हुआ बल्कि छोटे व्यापारियों की आय भी सुधरी।
सरकार ने कई प्रोत्साहन पैकेज लॉन्च किए – टैक्स में छूट, स्टार्ट‑अप फंड और बुनियादी ढाँचा विकास पर भारी खर्चा। इन कदमों का असर सीधे निवेशकों की भरोसेमंदियों में दिखा। साथ ही, विदेशी पूँजी भी भारत के बाज़ार में बड़ी मात्रा में आई, जिससे निर्माण और रियल एस्टेट सेक्टर ने तेजी पकड़ी।
डिजिटल इंडिया योजना ने इंटरनेट कनेक्टिविटी को हर गाँव तक पहुँचाया, जिससे ई‑कॉमर्स और ऑनलाइन सेवाओं का विस्तार हुआ। इससे लोगों की खरीद शक्ति बढ़ी और छोटे शहरों में भी मांग में इज़ाफ़ा हुआ।
एक बात जो अक्सर छूट जाती है – जनसंख्या वृद्धि। भारत में युवा कार्यबल का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है, जिससे उत्पादन क्षमता में स्वाभाविक रूप से सुधार होता है। यह “डेमोग्राफिक बोनस” अब भी आर्थिक विकास के लिए बड़ा एंजिन बनकर काम कर रहा है।
परन्तु, सभी चीज़ें हमेशा सकारात्मक नहीं होतीं। महँगी ऊर्जा कीमतों और वैश्विक सप्लाई चेन में गड़बड़ी ने कुछ उद्योगों को दबाव में रखा। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर निवेश बढ़ाया – सौर, पवन और हाइड्रोजन परियोजनाएँ अब तेज़ी से चल रही हैं।
भविष्य की बात करें तो विशेषज्ञों का मानना है कि अगले पाँच साल में जीडीपी वृद्धि 6‑7% के आसपास रहेगी, अगर नीति‑निर्माताओं ने मौजूदा सुधारों को जारी रखा। इस दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स जैसे मेगा हाईवे और रेलवे नेटवर्क देश की गति को और तेज़ करेंगे।
आपके रोज़मर्रा के जीवन में जीडीपी वृद्धि कैसे असर करती है? जब अर्थव्यवस्था बढ़ती है तो नौकरी के अवसर बढ़ते हैं, वेतन स्तर सुधरता है और वस्तुओं की कीमतें स्थिर रहती हैं। इसका सीधा मतलब है कि आपके परिवार का ख़र्चा कम दबाव में रहेगा।
अगर आप निवेशक या उद्यमी हैं, तो इस डेटा को समझना जरूरी है – यह बताता है कि कौन से सेक्टर आगे बढ़ रहे हैं और कहाँ अवसर मिल सकते हैं। स्टॉक मार्केट, म्यूचुअल फंड्स या रियल एस्टेट में सही समय पर कदम रखने से बड़ा फायदा हो सकता है।
संक्षेप में, भारत की जीडीपी वृद्धि सिर्फ एक आँकड़ा नहीं, बल्कि देश के विकास की कहानी है। इसे समझना आपको आर्थिक निर्णयों में मदद करेगा और भविष्य के लिए बेहतर योजना बनाने में सहारा देगा।
2025 का आर्थिक सर्वेक्षण, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 31 जनवरी, 2025 को प्रस्तुत किया गया, जो भारत की आर्थिक स्थिति और भविष्य के दृष्टिकोण का व्यापक निरीक्षण प्रदान करता है। इस सर्वेक्षण में 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.3-6.8% अनुमानित है, जो वैश्विक चुनौतियों के बावजूद सकारात्मक दृष्टिकोण इंगित करता है। इसके साथ ही, इसमें निवेश गतिविधि, मुद्रास्फीति और वैश्विक संदर्भ का भी उल्लेख है।
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