पिछले कुछ हफ्तों में दूध की कीमतें तेज़ी से बढ़ रही हैं। हर सुबह किराना दुकान पर वही दो लीटर के पैकेट अब पहले वाले से महँगे दिखते हैं, और लोग सवाल कर रहे हैं – आखिर क्यों? इस लेख में हम आसान शब्दों में कारण, असर और बचाव उपाय बताएँगे, ताकि आप अपने बजट को संभाल सकें।
सबसे पहले बात करते हैं कारणों की। मौसमी बदलाव से फॉर्मेंसिंग (दूध उत्पादन) प्रभावित होता है – गर्मी में गाय‑भैंस कम दूध देती हैं, जिससे आपूर्ति घटती है। साथ ही, फ़ीड की कीमतें बढ़ गईं; चारा और दाना महँगा होने से किसान को अधिक खर्च करना पड़ता है, जो सीधे दूध के दाम में जुड़ जाता है।
दूसरा बड़ा कारण है परिवहन लागत का उठना। ईंधन पर टैक्स बढ़ा या लॉजिस्टिक कंपनियों ने शुल्क बढ़ाया, तो डिलीवरी की कीमतें भी साथ बढ़ीं। सरकार के कुछ सब्सिडी योजनाओं में देरी या कटौती ने भी असर डालता है, क्योंकि किसानों को सीधे मदद नहीं मिल पाती.
अब बात करते हैं आपके लिये क्या कर सकते हैं। सबसे पहले, बड़े पैकेज में खरीदना अक्सर सस्ता पड़ता है – दो लीटर की जगह पाँच या दस लीटर का जार लेना फायदेमंद हो सकता है, अगर आप इसे सही समय पर इस्तेमाल कर पाते हैं.
दूसरा उपाय है स्थानीय डेरी से सीधे जुड़ना। कई छोटे गाँवों में किसान सीधा बिक्री करते हैं और वह कीमतें बाजार से कम होती हैं. सोशल मीडिया या व्हाट्सएप ग्रुप में ऐसे विक्रेताओं को खोज सकते हैं.
तीसरा, दूध के विकल्प समझें – पनीर, दही या घी का उपयोग कुछ रेसिपियों में कर सकते हैं, जिससे आपको रोज़ाना पूरा दूध नहीं पीना पड़ेगा. ये चीज़ें अक्सर लंबा समय तक चलती हैं और मूल्य स्थिर रहता है.
अंत में, सरकारी सब्सिडी योजना को ध्यान से देखें। कई राज्यों ने विशेष कार्ड या कूपन जारी किए हैं जो किराने की दुकानों पर दूध खरीदते समय छूट देते हैं. इनको अपडेट रखें और उपयोग करें.
संक्षेप में, कीमतों का बढ़ना किसान‑उपभोक्ता दोनो के लिये चुनौती है, लेकिन सही जानकारी और थोक‑खरीद, स्थानीय स्रोत, वैकल्पिक उत्पाद जैसे कदमों से आप अपने खर्च को नियंत्रित रख सकते हैं. आगे भी इस टैग पेज पर नई खबरें और बचत टिप्स देखते रहें।
Amul ने 1 मई 2025 से दूध के सभी वेरिएंट्स के दाम 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिए हैं, जबकि Mother Dairy पहले ही 30 अप्रैल से यही कदम उठा चुकी है। बढ़ती लागत के चलते ये फैसला लिया गया है और इसका फायदा सीधे किसानों तक जाएगा। Amul ने मजबूत ग्रोथ और अंतरराष्ट्रीय विस्तार के भी संकेत दिए हैं।
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