किचन बजट के लिए एक और झटका—देश की सबसे बड़ी डेयरी कंपनियों में शामिल Amul और Mother Dairy दोनों ने दूध के दाम 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिए हैं। अमूल का नया रेट 1 मई 2025 से लागू हुआ है, जबकि मदर डेयरी ने 30 अप्रैल से ही दाम बढ़ा दिए थे। जिस तेजी से इनपुट कॉस्ट यानी पशुओं की फीड, ट्रांसपोर्टेशन, बिजली और बाकी खर्च लगातार बढ़ रहे हैं, उसकी भरपाई अब उपभोक्ता से हो रही है। मज़ेदार बात—अमूल ने करीब 10 महीनों के बाद पहली बार दाम बढ़ाए हैं। जनवरी 2025 में उसने दाम घटाकर उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत दी थी, जबकि बीते साल (2024) में किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए दूध की मात्रा भी ज्यादा दी थी।
इस बार बढ़ोतरी सिर्फ एक या दो वेरिएंट्स तक सीमित नहीं है—Standard, Buffalo Milk, Gold, Slim n Trim, Chai Mazza, Taaza और Cow Milk सभी पर एक्स्ट्रा चार्ज लगना तय है। अमूल के मुताबिक, इस कदम से आने वाली अतिरिक्त कमाई का 80% हिस्सा सीधे किसानों को मिलेगा। इससे गांवों में प्रोड्यूसर्स को फायदा पहुंचेगा, जो लगातार महंगाई की मार झेल रहे हैं।
दिलचस्प यह भी है कि अमूल ने बीते वित्त वर्ष 2024-25 में करीब 66,000 करोड़ रुपये का कारोबार किया, जो हर साल तेजी से बढ़ रहा है। कंपनी का एक्सपैंशन सिर्फ घरेलू बाजार तक सीमित नहीं है, अब वो ग्लोबल मार्केट में भी कदम बढ़ा रही है। मशीन से लेकर पैकेजिंग, सप्लाई चेन से लेकर प्रोटीन-बेस्ड न्यू प्रोडक्ट्स—अमूल ने अपने कारोबार को नया रंग दे दिया है, ताकि बदलते वक्त में हमेशा आगे रहे। 2026 तक अमूल 1 लाख करोड़ का टर्नओवर छूने की ओर बढ़ रहा है।
यह चर्चा सिर्फ अमूल तक नहीं थमी। Mother Dairy भी पूरे एक दिन पहले रेट्स बदल चुकी थी। इसके टॉप प्रोडक्ट्स—फुल क्रीम, टोंड, डबल टोंड, और काउ मिल्क—सब पर दाम बढ़ा। अब मदर डेयरी की फुल क्रीम मिल्क 69 रुपये प्रति लीटर बिक रही है। दोनों कंपनियों ने साफ कहा कि दूध की प्रॉडक्शन कॉस्ट और महंगाई का दबाव कम होने के आसार नहीं, इसलिए रिवाइज़ रेट जरूरी थे।
आम आदमी के बजट पर इसका सीधा असर दिख रहा है। ब्रांड चाहे कोई भी हो, दूध हमारे रोज़मर्रा के खर्चे का अहम हिस्सा है। दाम बढ़ते ही पूरा घरेलू बजट ऊपर-नीचे हो जाता है। कंपनियां जितनी भी वजहें गिना लें, आखिर में असर ग्राहकों की जेब पर पड़ना तय है।
टिप्पणि
Vaneesha Krishnan
1 मई 2025दूध की कीमत में बढ़ोतरी से कई घरों पर दबाव पड़ेगा 😔
लेकिन अगर कंपनियां अपना 80% हिस्सा सीधे किसानों को दें, तो कुछ राहत मिल सकती है.
हमें इस मुद्दे पर समझदारी से बात करनी चाहिए.
#MilkMatters
Satya Pal
9 मई 2025अभी तो सब कह रहे हैं कि किसानों को फायदा होगा, पर असल में ये बस ब्रांड की प्रोफ़िट बढ़ाने की चाल हैहैं.
Partho Roy
17 मई 2025आज के समय में दूध की कीमत बढ़ना एक सामाजिक मुद्दा बन गया है।
किसान लगातार अधिक लागत का सामना कर रहे हैं और उन्हें सीधे समर्थन मिलता नहीं दिखता।
अमूल कहता है कि अतिरिक्त कमाई का 80% किसानों तक जाएगा, पर यह वादा कितना वास्तविक है, यह देखना बाकी है।
मुनाफे के हिस्से को बांटना एक अच्छा PR ट्रिक हो सकता है लेकिन उत्पादन लागत में हुई बढ़ोतरी को कवर करने के लिए यह पर्याप्त नहीं लगता।
इसके अलावा, उपभोक्ता वर्ग की क्रय शक्ति घटती जा रही है और छोटी रकम की बढ़ोतरी भी बजट को भारी कर देती है।
माँटर डेयरी भी इसी राह पर है और दोनों कंपनियों का एकजुट होना बाजार के मोनोपॉली को मजबूत कर रहा है।
इससे छोटे डेयरी खिलाड़ियों की स्थिति और भी कमजोर हो सकती है।
सरकार को इस पर नियमन करना चाहिए और उपभोक्ता संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए।
वैकल्पिक स्रोत जैसे स्थानीय कच्चे दूध की सप्लाई को प्रोत्साहित करना एक विकल्प हो सकता है।
ग्राहकों को भी स्क्रिप्टेड प्राइसिंग के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए।
जबकि कंपनियां अपना विस्तार ग्लोबल मार्केट में कर रही हैं, घरेलू बाजार में दबाव को कम नहीं कर रही हैं।
यह दर्शाता है कि मुनाफा बढ़ाना और सामाजिक जिम्मेदारी निभाना एक साथ नहीं चल पा रहे हैं।
अंत में, अगर सरकार उचित सब्सिडी और समर्थन नहीं देती, तो किसानों को अपने उत्पादन को कम करने पर मजबूर होना पड़ सकता है।
इस पर विचार करके ही हम एक स्थायी और न्यायसंगत खाद्य प्रणाली बना सकते हैं।
इसलिए यह केवल कीमत नहीं, बल्कि पूरे एग्रो-इकोसिस्टम की समायोजन की जरूरत है.
Ahmad Dala
25 मई 2025भविष्य की दुविधा, इस रेगिलिएंट मूल्यवृद्धि की तान में सप्लाई चेन का कन्फ़्यूजन बड़े मापदण्डों पर विचार का विषय बनता है।
विचारधारा की इस नयी लहर में किनारे पर जो छोटे किसान हैं, वे अक्सर अनदेखे रह जाते हैं; यह एक शानदार कलात्मक अभिव्यक्ति है, लेकिन वास्तविकता से दूर।
RajAditya Das
2 जून 2025बस फिर से महंगाई 🙄.
Harshil Gupta
10 जून 2025अगर आप उपभोग को थोड़ा कम करें या वैकल्पिक ब्रांड देखें तो बजट पर थोड़ा हल्का पड़ सकता है।
संतुलन बनाना हमेशा फायदेमंद रहता है, खासकर जब कीमतें लगातार ऊपर जाती हैं।
Rakesh Pandey
17 जून 2025मैं तो कहूँगा कि इन कंपनियों को सीधे सरकारी नियंत्रण में लाना चाहिए :)
Simi Singh
25 जून 2025क्या यह सिर्फ कीमत बढ़ाने का बहाना है या बड़े अंतरराष्ट्रीय दलालों की साजिश? सोचिए, हर कदम पर कोई छुपा एजेंडा होता है।
Rajshree Bhalekar
3 जुलाई 2025मुझे बहुत गुस्सा आता है, हमारी जेब में सीधे कट मारते हैं।
Ganesh kumar Pramanik
11 जुलाई 2025मेरे हिसाब से देखो तो ये बड़ी कंपनी है, लेकिन हम सबको इसको लेकर चिल होना चाहिए।
Abhishek maurya
19 जुलाई 2025दूध की कीमत बढ़ना तो माइक्रोइकोनॉमिक्स का बेसिक असर है, लेकिन जिस तरह से मीडिया इसे पेश कर रहा है, वह काफी हद तक पॉपुलिस्ट है।
कम्पनियां कहती हैं 'किसानों को फायदा', पर असल में उपभोक्ता वर्ग ही वेंचर की कीमत चुकाता है।
एनालिसिस से पता चलता है कि कीमत में थोड़ा इजाफा भी बड़े परिवारों के लिए बड़ी समस्या बन जाती है।
इसलिए हमें इस मुद्दे को सिर्फ आँकड़ों के लेवल पर नहीं, बल्कि सामाजिक असर के लेवल पर भी देखना चाहिए।
Sri Prasanna
27 जुलाई 2025मैं तो कहूँगा कि अगर कीमत नहीं बढ़ती तो सप्लाई भी नहीं बढ़ेगी; यह विरोधाभासी दलील है पर फिर भी बहुत लोग इसे स्वीकार कर लेते हैं.
Sumitra Nair
4 अगस्त 2025ओह! यह अत्यंत दिल दहलाने वाला विकास है! 📈
यह न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक रूप से भी गहरा प्रभाव डालता है।
हम सभी को इस पर गंभीर विचार करने की आवश्यकता है।
Ashish Pundir
12 अगस्त 2025बिलकुल सही। लेकिन क्या असर दिखेगा?
gaurav rawat
19 अगस्त 2025चलो भाई, थोड़ा फोकस करो, दूध के दाम बढ़ रहे हैं पर हम बचत के मस्तिष्क से काम ले सकते हैं 😊.
Vakiya dinesh Bharvad
27 अगस्त 2025भारत में दूध का महत्व तो हर घर में है, इस बढ़ोतरी से कई परम्पराएँ प्रभावित होंगी :)
Aryan Chouhan
4 सितंबर 2025असली बात तो ये है कि ये सब मार्केटिंग है, कभी नहीं बदलेगा।