अगर आप इलेक्ट्रिक गाड़ी से थक गए हैं और नई चीज़ों की तलाश में हैं, तो Toyota Mirai एक दिलचस्प विकल्प हो सकता है। पेट्रोल या बैटरी नहीं, बल्कि पानी के अणुओं को हाइड्रोजन में बदल कर चलती है ये कार। इससे बाहर निकलने वाला धुँआ सिर्फ पानी ही होता है – यानी शून्य उत्सर्जन.
Mirai की सबसे बड़ी ताकत इसका फ्यूल‑सेल सिस्टम है। एक टैंक में 5 kg हाइड्रोजन भरने से लगभग 650 किमी तक चलती है, यानी दो-तीन बार घर के पास मौजूद स्टेशन पर रीफ़िल करना काफी रहता है। बैटरी सिर्फ सहायक होती है, जिससे एक्सेलरेशन तेज़ और शांति बनी रहती है। अंदरूनी डिज़ाइन बहुत आरामदायक है – लेदर सीट, बड़े टचस्क्रीन इन्फोटेनमेंट और एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम (ADAS) जैसे फीचर भी हैं.
अब तक MirMirai भारत में आधिकारिक रूप से नहीं आई, पर कई रिपोर्ट्स के मुताबिक 2025 की शुरुआती छमाही में टेस्ला जैसी फ्यूल‑सेल कारों को लाने का प्लान है। मुख्य चुनौतियों में हाइड्रोजन पम्प स्टेशन की कमी और कीमत शामिल हैं। अनुमानित बेस प्राइस लगभग ₹55 लाख से शुरू होने की संभावना है, जो अभी के इलेक्ट्रिक SUV से थोड़ा अधिक हो सकता है। लेकिन सरकारी फ्यूल‑सेल प्रोत्साहन योजनाओं के साथ ये कीमत धीरे‑धीरे घट सकती है.
यदि आप Mirai खरीदने का सोच रहे हैं, तो पहले अपने शहर में हाइड्रोजन स्टेशन की उपलब्धता चेक कर लें। वर्तमान में मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु में पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है; वहाँ से शुरूआत आसान होगी. साथ ही, फाइनेंसिंग विकल्पों पर भी नज़र रखें – कई बैंकों ने अब इलेक्ट्रिक व हाइड्रोजन वाहनों के लिए विशेष लोन स्कीम्स लॉन्च की हैं.
रखरखाव की बात करें तो पारंपरिक कार से ज़्यादा जटिल नहीं है। टैंक में कोई तेल या गैस नहीं, सिर्फ हाई‑प्रेशर हाइड्रोजन भरवाना पड़ता है। सर्विस के दौरान फ्यूल‑सेल स्टैक और इलेक्ट्रिक मोटर का निरीक्षण किया जाता है, जो आमतौर पर 2‑3 साल में एक बार होता है.
संक्षेप में, Toyota Mirai उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए लंबी दूरी तय करना चाहते हैं। अगर आप भविष्य की कारों में निवेश करने वाले शुरुआती खरीदार हैं, तो इस मॉडल को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. आगे भी हम इस टॉपिक पर अपडेट लाते रहेंगे – नई कीमतें, लॉन्च डेट और भारत में हाइड्रोजन स्टेशन का विस्तार जैसे महत्वपूर्ण खबरें.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने टॉयोटा मिराई हाइड्रोजन FCEV से भारत में हरित परिवहन को आगे बढ़ाया। यह कार एक बार फ्यूल पर 1300 किमी चली, और अब बिहार के डिप्टी सीएम के पास है। इस पहल से भारत में हाइड्रोजन ईंधन का भविष्य और बुनियादी ढांचे की संभावनाएं खुल रहीं हैं।
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