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Son of Sardaar 2 बॉक्स ऑफिस: पहले दिन 6.75 करोड़, हिट या फ्लॉप?
Abhishek Rauniyar

Abhishek Rauniyar

पहला दिन का प्रदर्शन

अजय देवगन के साथ मृणाल ठाकुर, रवी किशन और दीपक डोब्रियाल की फ़िल्म Son of Sardaar 2 बॉक्स ऑफिस को बहुत उत्सुकता से देखा गया, लेकिन शुरुआती आँकड़े निराशाजनक रहे। उद्योग ट्रैकर Sacnilk के अनुसार फ़िल्म ने पहले दिन केवल ₹6.75 करोड़ एकत्र किए। कुल ऑक्यूपेंसी 22.56% रही, जिसमें सुबह के शो में 10.24% और रात के शो में 40.27% तक का हल्का उछाल देखा गया।

ऑक्यूपेंसी की ग्रेडिएंट ने यह दिखाया कि शुरुआती दर्शकों ने फ़िल्म को हल्का सा नजरअंदाज़ किया, परन्तु शाम‑शाम के समय वर्ड‑ऑफ़‑माउथ थोड़ा काम कर पाया। टियर‑2 शहरों ने इस फ़िल्म को अधिक अपनाया, जबकि दिल्ली‑एनसीआर और मुंबई जैसे बड़े मेट्रो में दर्शकों की रुचि कम रही।

बॉक्स ऑफिस तुलना और कारण

बॉक्स ऑफिस तुलना और कारण

यदि हम अजय देवगन की हालिया हिट फ़िल्मों से तुलना करें तो यह स्थिति स्पष्ट हो जाती है। Raid 2 ने पहले दिन ₹19.25 करोड़, शैतान ने ₹14.75 करोड़ और मूल Son of Sardaar ने अपना डेब्यू दिन ₹10.80 करोड़ कमाया। इन आंकड़ों के मुकाबले सतही रूप से यह सीक्वेल काफी पीछे है। फिर भी यह Dhadak 2 और काजोल की Maa जैसी फ़िल्मों से बेहतर रही, जिनके पहले दिन क्रमशः कम कमाई मिली।

फ़िल्म की प्री‑बुकिंग भी उत्साहजनक नहीं रही। अंतिम प्री‑सेल्स ₹2.77 करोड़ पर रुक गई, जिसका मतलब लगभग 1.59 लाख टिकट पूरे देश में बेचे गये। इतने बड़े स्टार कास्ट और व्यापक रिलीज़ के बावजूद यह संख्या संकेत देती है कि दर्शकों में पहले से ही फ़िल्म के बारे में अनिश्चितता थी।

भौगोलिक विश्लेषण से पता चलता है कि लखनऊ (39%) और जयपुर (37%) जैसी टियर‑2 शहरों में ऑक्यूपेंसी बेहतर रही, जबकि दिल्ली‑एनसीआर (30.5%) और मुंबई (20.25%) में दर्शकों का जवाब कम था। यह वितरण दर्शकों की पसंद में अंतर को उजागर करता है; छोटे शहरों में एक्शन‑कॉमेडी के मिश्रण को अधिक सराहा गया, जबकि बड़े शहरों में उच्च गुणवत्ता वाली कथा और परिपक्व सामग्री की अपेक्षा थी।

फ़िल्म के ब्योरे में, विजय कुमार अरॉरा ने अपना बॉलीवुड डेब्यू किया, अजय ने जास्सी की भूमिका दोबारा निभाई और मृणाल ने मुख्य महिला भूमिका निभाई। सहायक कलाकारों में संग्रामेणीय नाम जैसे संजय मिश्रा, निरु बाजवा, कुब्बरा साइट, चंकी पांडे और देर से मरने वाले मुकुल देव (पोस्टह्यूमर) थे। इस विस्तृत कास्ट ने संभावित दर्शकों को आकर्षित किया, परन्तु कहानी और निर्देशन के स्तर ने उनके संभावित आकर्षण को रोका।

ट्रेड विशेषज्ञों ने इस फ़िल्म को ‘फ्लॉप’ की श्रेणी में रख दिया है। कुल मिलाकर worldwide कलेक्शन ₹60.9 करोड़ पहुँचा, जिसमें भारत से ₹43.24 करोड़ नेट और विदेशी बाजारों से ₹9.42 करोड़ की आय हुई। ओपनिंग वीकेंड में ₹24.75 करोड़ और पहले हफ़्ते में कुल ₹31.40 करोड़ की कमाई हुई। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि प्रारंभिक रुचि कम होने के बावजूद लम्बी अवधि में फ़िल्म ने कुछ हद तक रेवन्यू जेनरेट किया, पर वह भी ‘हिट’ के मानदंड से बाहर रहा।

फ़िल्म के खराब प्रदर्शन के पीछे कई कारण उभरे। सबसे बड़ा कारण नकारात्मक समीक्षाएँ थीं, जिनमें कहानी की दोहराव और कॉमेडी के टॉन में गैप का जिक्र किया गया। साथ ही, कई सीज़न की फ़िल्में अब दर्शकों में ‘सेक्वेल थकान’ उत्पन्न कर रही हैं; मूल फिल्म की चमक को दोहराना आसान नहीं। अन्य बड़े रिलीज़ जैसे अब तक के बड़े फिल्में का विरोधी वातावरण भी इस फ़िल्म के लिए बुरा साबित हुआ। अंत में, प्रोमोशन के दौरान भी फ़िल्म को व्यापक सामाजिक चर्चा नहीं मिली, जिससे वर्ड‑ऑफ़‑माउथ प्रभाव कमजोर पड़ गया।

सारांश रूप में कहा जा सकता है कि Son of Sardaar 2 बॉक्स ऑफिस ने अपनी स्टार पावर के बावजूद दर्शकों की अपेक्षाओं को पूरा नहीं किया। टियर‑2 शहरों में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन और कुछ प्रतिस्पर्धियों से आगे रहना इस बात का संकेत है कि फ़िल्म में संभावित दर्शक वर्ग था, परंतु सामग्री और मार्केटिंग की कमियों ने उसे ‘हिट’ बनने से रोका। भविष्य में यदि ऐसी फ़िल्में तैयार की जाती हैं तो दर्शकों की बदलती पसंद, कहानी की नवीनता और सही समय पर रिलीज़ को प्राथमिकता देनी होगी।

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टिप्पणि

Satya Pal

Satya Pal

26 सितंबर 2025

भाई, बॉक्सऑफ़िस का आंकड़ा देख के लग रहा है कि फ़िल्म ने अपने ही भजन में पवित्रता खो दी है। अगर हम अजय की फ़िल्मों से तुलना करेंगे तो यह एक शर्मनाक गिरावट है, न कि कोई रोचक प्रयोग। बाजार में टायर‑2 शहरी दर्शक शायद ही कमेडी की साधारण चक्कर में फँसते हैं, पर बड़े नगर में लोग दिमागी उत्थान चाहते हैं। इस तरह की फ़िल्म को बड़े बजट में लॉन्च करना तो भौतिकी के नियमों को तोड़ना जैसा है। अंत में, प्रोमोशन की कमी और वर्ड‑ऑफ़‑माउथ का ठप्प होना यही सिद्ध कर रहा है कि पैसा सिर्फ़ दिखावा नहीं है।

Partho Roy

Partho Roy

26 सितंबर 2025

जब हम पहली बार Son of Sardaar 2 की बात सुनते हैं तो दिमाग में एक ही सवाल गूँजता है कि क्या यही वही फ़ॉर्मूला है जिसने पहले फ़िल्म को हिट बनाया था। इसलिए हम शुरू से ही उम्मीदों को कंधे पर रख लेते हैं और फिर धीरे‑धीरे हाथों‑हाथ आंकड़ों को देख कर असंतोष महसूस करते हैं। पहला दिन का 6.75 करोड़ का कलेक्शन निश्चित रूप से गिरावट का संकेत देता है और यह आंकड़ा खुद में ही कई बातों को उजागर करता है। टायर‑2 शहरों में थोड़ा बेहतर ऑक्यूपेंसी शायद इसलिए है क्योंकि वहाँ लोग एक्शन‑कॉमेडी का मिश्रण पसंद करते हैं। लेकिन दिल्ली‑एनसीआर और मुंबई जैसे बड़े शहरों में दर्शकों की स्वाद में बहुत अंतर है। वहां लोग कहानी की गहराई और सामग्री की परिपक्वता चाहते हैं। इस कारण से अजय की फ़िल्में हमेशा बड़े बजट के साथ आती हैं लेकिन सबको ख़ुश नहीं कर पातीं। इसके अलावा प्री‑बुकिंग का आंकड़ा 2.77 करोड़ दर्शाता है कि लोगों ने पहले ही हिचकिचाहट जताई थी। टाइटल की ताक़्त भी अब उतनी प्रभावशाली नहीं रही। सोशल मीडिया पर नकारात्मक समीक्षाएं और दोहराव वाला स्क्रिप्ट इस बात की गवाही देती है। फ़िल्म की मार्केटिंग टीम ने भी शायद सही समय पर प्रमोशन नहीं किया। उसी समय कई बड़ी फ़िल्में एक साथ रिलीज़ होने के कारण दर्शक का ध्यान बंटा रहा। इस प्रकार दर्शकों का वर्ड‑ऑफ़‑माउथ कमजोर पड़ गया। कुल मिलाकर फिल्म ने कुछ हद तक कमाई तो की लेकिन वह भी हिट के मानक से नीचे रहा। अंत में, यह कहना उचित है कि फ़िल्म ने स्टार पावर के बावजूद दर्शकों की अपेक्षाओं को नहीं पूरा किया।

Ahmad Dala

Ahmad Dala

26 सितंबर 2025

देखिए, फिल्म की आर्थिक स्थिति को एक संगीत रचना की तरह समझा जा सकता है जहाँ हर नोट का अपना महत्व है, परंतु यहाँ नोट्स में मौलिकता की कमी स्पष्ट है। टायर‑2 शहरों में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी छोटे कस्बे में एक छुपी हुई धुन सुनाई दे, परंतु महानगरों में वह ताल असंगत लगती है। इस असंगतता का कारण न केवल कहानी की दोहराव है, बल्कि प्रमोशन की गड़बड़ भी है। यदि आप इस फ़िल्म को एक पेंटिंग के रूप में देखें तो रंग तो हैं, पर ब्रश की स्ट्रोक्स बहुत साधारण हैं। इस कारण यह पब्लिक को मोहित नहीं कर पाई। अंत में, बॉक्स‑ऑफ़िस की आँकड़े हमें यह बताते हैं कि केवल स्टार कास्ट से सफलता की गारंटी नहीं मिलती।

RajAditya Das

RajAditya Das

26 सितंबर 2025

सही सारा आंकड़ा, फिर भी कुछ लोग उम्मीदों को लेकर हँसते नहीं 😊

Harshil Gupta

Harshil Gupta

26 सितंबर 2025

यदि हम आंकड़ों को ध्यान से देखें तो हमें स्पष्ट हो जाता है कि प्री‑बुकिंग के 2.77 करोड़ और ओपनिंग वीकेंड के 24.75 करोड़ के बीच का अंतर दर्शकों की रुचि में कमी को दर्शाता है। इस अंतर को कम करने के लिए भविष्य की फ़िल्में अधिक विस्तृत ट्रेलर और डिजिटल कैंपेन पर ध्यान दे सकती हैं। साथ ही, टायर‑2 शहरों में दर्शकों की पसंद को समझकर उन्हें विशेष स्क्रीनिंग और स्थानीय इवेंट्स के माध्यम से आकर्षित किया जा सकता है। बड़े नगरों में अधिक सामग्री‑गहन स्क्रिप्ट और नयी कहानी‑लाइन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इन रणनीति बदलावों से केवल बॉक्स‑ऑफ़िस नहीं बल्कि फ़िल्म की ब्रांड वैल्यू भी बढ़ेगी।

Rakesh Pandey

Rakesh Pandey

26 सितंबर 2025

मैं कहूँगा कि यदि आपने इस फ़िल्म की प्री‑सेल्स को गहराई से देखा तो आपको पता चलेगा कि ये सिर्फ़ एक आकस्मिक संख्या नहीं, बल्कि बाजार में दर्शकों की जागृति का एक संकेत है 😊 यह संख्या दर्शाती है कि दर्शक सक्षम हैं और वे सिर्फ़ स्टार पावर से नहीं बल्कि कहानी की गहराई से आकर्षित होते हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि फ़िल्म ने अपने लक्ष्य को पूरी तरह नहीं छुआ, लेकिन यह भी सही नहीं कि इसे पूरी तरह फेल कहा जाए।

Simi Singh

Simi Singh

27 सितंबर 2025

क्या आप जानते हैं कि इस फ़िल्म के बॉक्स‑ऑफ़िस में अचानक गिरावट का वास्तविक कारण शायद सरकार द्वारा लगाए गए नए करों और सिनेमा हॉल्स में लागू की गई प्रतिबंधित स्क्रीनिंग समय है? कई रिपोर्टों में कहा गया है कि बड़े प्रोडक्शन की फ़िल्में अब स्वतंत्र थिएटरों में नहीं दिखतीं, जिससे टैयर‑2 दर्शकों का हिस्सा बढ़ रहा है और बड़े शहरों में कमी आ रही है। यह केवल बाजार की माँग नहीं, बल्कि एक गुप्त नियोजन है जो हमारे मनोरंजन की स्वतंत्रता को सीमित करता है।

Rajshree Bhalekar

Rajshree Bhalekar

27 सितंबर 2025

दिल थरथराने वाला था, लेकिन आँकड़े दुखद हैं।

Ganesh kumar Pramanik

Ganesh kumar Pramanik

27 सितंबर 2025

भाई लोग, फ़िल्म को देख कर तो ऐसा लगता है जैसे एक बड़ा बजेट लेकर भी कैलास पर धूप नहीं मिल रही, और दर्शक तो अभी‑अभी मोबाइल में memes देख रहे हैं। टायर‑2 में थोड़ा तेज़ी दिखी पर बड़े शहरों में बहुत कम बड़ाई। प्रोमोशन में थोड़ा ज्यादा त्यारी लगनी चाहिए थी, वरना ये बकवास बॉक्सऑफ़िस कम बना देता। अगर अगली फ़िल्म में कुछ नया ट्राई नहीं किया तो फिर वही पुराना चक्र चला रहेगा।

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