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Sun Pharma के शेयर 5% गिरकर 52‑सप्ताह के न्यूनतम स्तर पर, ट्रम्प के 100% टैरिफ के बाद
Abhishek Rauniyar

Abhishek Rauniyar

ट्रम्प के टैरिफ घोषणा का तुरंत असर

26 सितंबर 2025 को एक आश्चर्यजनक घोषणा हुई – पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी फार्मास्युटिकल सेक्टर पर 100 % टैरिफ लगाने की बात कही। इस समाचार ने सिर्फ अमेरिकन कंपनियों को ही नहीं, बल्कि भारतीय फार्मा दिग्गजों को भी झकझोर कर रख दिया। विशेषकर Sun Pharma ने इस खबर के बाद शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी। बीएसई पर कंपनी के शेयर 5 % से भी अधिक गिरकर ₹1,547.25 पर बंद हुए, जो पिछले साल का सबसे निचला स्तर है।

एक ही दिन के भीतर अलग‑अलग ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म पर अलग‑अलग क्लोज़िंग कीमतें मिलीं। कुछ साइटों ने बताया कि शेयर ₹1,586.55 पर बंद हुआ, जबकि अन्य ने कहा कि वह ₹1,578.20 पर था। यह अंतर बाजार में मौज़ूद अस्थिरता को साफ़ दिखाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रेडर्स टैरिफ के संभावित प्रभाव को लेकर अटकलबाज़ी कर रहे थे और हर बार नई खबरें सामने आती रहीं।

निवेशकों की प्रतिक्रिया और आगे का रास्ता

निवेशकों की प्रतिक्रिया और आगे का रास्ता

टैरिफ की घोषणा ने Nifty Pharma इंडेक्स को भी 2 % से अधिक नीचे धकेल दिया। भारत के सबसे बड़े फार्मास्युटिकल कंपनियों में से एक होने के नाते Sun Pharma का US मार्केट में लगभग 30 % की निर्यात हिस्सेदारी है। इस हिस्से का हटना या महँगा होना कंपनी की आय पर सीधे असर डालेगा, यही कारण है कि निवेशकों ने शेयरों को बेचकर बचाव किया।

वित्तीय विश्लेषकों ने इस गिरावट को दो पहलुओं से देखा। एक ओर उन्होंने कहा कि इतिहास में Sun Pharma ने कई कठिनाइयों को पार किया है और अक्सर बाजार के उतार‑चढ़ाव का फायदा उठाकर शेयरों को पुनः उठाया है। दूसरी ओर, उन्होंने सतर्कता बरतने का संकेत दिया, क्योंकि ट्रेड वार और टैरिफ नीति अभी भी अनिश्चित हैं। कई ब्रोकर फर्मों ने अनुशंसा की कि निवेशक अपनी पोजीशन को पुनर्समीक्षा करें और अगर जोखिम कम करना हो तो हेजिंग रणनीति अपनाएँ।

ट्रम्प के टैरिफ का कानूनी पहलू अभी तय होना बाकी है। अगर यह नीति पारित होती है, तो भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों को वैकल्पिक बाज़ार खोजने या दाम‑दलाल के साथ नई कीमतें तय करने की ज़रूरत पड़ेगी। दूसरी ओर, अगर यू.एस. सरकार इस निर्णय को रद्द कर देती है या वार्ता के दौरान टैरिफ घटा देती है, तो आज के गिराव का असर सीमित रह सकता है। इस बीच, शेयरधारक कंपनी की क्वार्टरली रिपोर्ट और अंतर्राष्ट्रीय नियामक अपडेट पर करीबी नजर रख रहे हैं।

समग्र रूप से, इस volatility ने निवेशकों को दो मुख्य सवालों का सामना कराया – क्या यह पल्थी-रोकवली गिरावट एक खरीद अवसर है या आगे अधिक गिरावट की चेतावनी? कई छोटे निवेशकों ने इस गिरावट को ‘डिप-बैग’ के रूप में देखा, जबकि बड़े संस्थागत निवेशकों ने जोखिम को सीमित करने के लिए स्टॉप‑लॉस को कड़ा किया।

अगले कुछ हफ्तों में टैरिफ की वास्तविक कार्यान्वयन तिथि, यू.एस. ट्रेडर्स की प्रतिक्रिया और भारतीय फार्मा कंपनियों की जोखिम‑प्रबंधन रणनीतियों पर ध्यान देना जरूरी होगा। इस जटिल परिदृश्य में, Sun Pharma का भविष्य देश-विदेश की नीतियों, कंपनी की वैकल्पिक बाजार रणनीति और निवेशकों के जोखिम‑वैरियर पर निर्भर करता दिख रहा है।

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