अगर आप आर्थिक समाचार पढ़ते हैं तो आरबीआई (भारतीय रिज़र्व बैंक) का नाम आपके कानों में अक्सर आएगा। इसका मुखिया, यानी गवर्नर, भारत की मौद्रिक नीति तय करता है, नोट्स छापता है और बैंकों को नियमन देता है। यह पद सिर्फ एक ऊँचा शीर्षक नहीं, बल्कि देश की आर्थिक स्थिरता के पीछे की मुख्य ताक़त है।
गवर्नर का सबसे बड़ा काम है रेपो दर और रिवर्स रेपो दर तय करना। इनका बदलना सीधे आपके बचत खाते, लोन की ब्याज दर और बाजार में धन की उपलब्धता को प्रभावित करता है। दूसरा काम है बैंकों की तरलता देखभाल – अगर कोई बैंक संकट में पड़े तो गवर्नर के पास उपाय होते हैं। तीसरा, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से जुड़ना और विदेशी निवेश आकर्षित करना। इन तीन बिंदुओं पर उनका हर फैसला लोगों की जेब में असर डालता है।
पिछले महीने गवर्नर ने रेपो दर को 6.5% से 6.75% कर दिया, जिससे कई लोन की ब्याज दर में हल्की बढ़ोतरी हुई। इस फैसले के बाद शेयर बाज़ार में थोड़ा गिरावट आया, लेकिन फिक्स्ड डिपॉज़िट पर रिटर्न बढ़ गया, इसलिए बचतकर्ता खुश थे। इसके साथ ही उन्होंने कुछ नई नियमों का प्रस्ताव रखा जिससे छोटे बैंकों को अधिक पूंजी की जरूरत होगी – यह कदम भविष्य में बैंकिंग सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए है।
इन बदलावों को समझना आसान नहीं लगता, पर एक बात याद रखें: जब गवर्नर रेपो दर घटाते हैं तो आम लोग कम ब्याज वाले लोन आसानी से ले पाते हैं; जबकि बढ़ाने से महंगाई का दमन होता है लेकिन लोन महंगे हो जाते हैं। इसलिए हर आर्थिक समाचार में इस छोटे‑से बदलाव को देखना चाहिए, क्योंकि यही आपके खर्च और बचत दोनों को सीधे प्रभावित करता है।
अगर आप निवेश के बारे में सोच रहे हैं तो गवर्नर की सार्वजनिक बातें सुननी जरूरी है। उनकी भाषणों में अक्सर संकेत होते हैं कि अगले कदम क्या हो सकते हैं – जैसे अगर वे मुद्रास्फीति पर ज़्यादा ध्यान देंगे तो शायद रेपो दर में फिर से बढ़ोतरी आएगी। यह जानकारी शेयर, म्यूचुअल फंड या रियल एस्टेट जैसी बड़ी खरीदारी करने वाले लोगों के लिए बेहद काम की है।
आख़िरकार, आरबीआई गवर्नर का काम सिर्फ आँकड़े नहीं, बल्कि आम लोग की ज़िंदगी से जुड़ा हुआ है। चाहे वह आपका लोन हो, बचत या रोज़मर्रा की खरीदारी, उनका हर फैसला आपके खर्चे में झलकता है। इसलिए आर्थिक खबर पढ़ते समय उनके नाम को नजरअंदाज न करें, क्योंकि वही असली दिशा-निर्देश देता है कि पैसा कैसे चलना चाहिए।
इस टैग पेज पर आपको गवर्नर से जुड़ी सभी ताज़ा ख़बरें और उनका प्रभाव मिलेगा। यहाँ के लेखों को पढ़कर आप बेहतर वित्तीय फैसले ले सकते हैं, चाहे वो घर का लोन हो या निवेश की योजना। बस याद रखें – छोटे‑छोटे बदलाव बड़ा असर डालते हैं, और गवर्नर इस खेल के मुख्य खिलाड़ी हैं।
शक्तिकांत दास, पूर्व आरबीआई गवर्नर, को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे प्रधान सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। वे डॉ. पी के मिश्रा के साथ सेवा देंगे। उनका कार्यकाल प्रधानमंत्री के कार्यकाल के साथ है। दास ने दिसंबर 2023 में आरबीआई गवर्नर के रूप में छह वर्ष पूरे किए। सरकारी भूमिकाओं में उनकी अनुभवहीनता महत्वपूर्ण रही है।
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