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क्रिकेट में कनकशन नियम: शिवम दुबे की जगह हर्षित राणा को कैसे मिली स्वीकृति?
Abhishek Rauniyar

Abhishek Rauniyar

भारत और इंग्लैंड के चौथे T20I में कनकशन नियमों पर विवाद

भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए चौथे T20I मैच में एक ऐसी घटना घटी, जिसने क्रिकेट जगत में कानूनी बहस छेड़ दी। शिवम दुबे, जो भारतीय टीम के एक बेहतरीन बल्लेबाजी ऑलराउंडर हैं, को इंग्लैंड के गेंदबाज जैमी ओवर्टन ने एक बाउंसर गेंद के माध्यम से हेलमेट पर चोट पहुंचाई। इस चोट ने ना सिर्फ दुबे को मैदान छोड़ने के लिए मजबूर किया, बल्कि इसके परिणामस्वरूप भारतीय टीम को हर्षित राणा को उनके स्थान पर उतारने के लिए प्रेरित किया।

भारतीय टीम का निर्णय और विवाद का जन्म

हर्षित राणा का ऐसे समय पर मैदान में उतरना एक चर्चा का विषय बन गया, क्योंकि ICC के नियमों के अनुसार कनकशन के कारण किसी खिलाड़ी के बाहर होने पर जो स्थानापन्न खिलाड़ी उतारा जाता है, वह 'like-for-like' यानी समान भूमिका वाला होना चाहिए। दुबे को एक बल्लेबाजी ऑलराउंडर माना जाता है और वह सामान्यतः गेंदबाजी के अवसरों को अधिकतर कम ही प्राप्त करते हैं और महज 13 T20Is में केवल नौ ओवर ही डाले हैं।

दूसरी ओर, हर्षित राणा एक पूर्णकालिक तेज गेंदबाज हैं, जिनकी भूमिका दुबे की तुलना में बिलकुल अलग होती है। इस कदम ने मैच में प्रतिस्पर्धात्मक संतुलन को प्रभावित किया और यही कारण बना कि कई आलोचकों ने इसे अनुचित ठहराया। पूर्व इंग्लैंड कप्तान माइकल वॉन जैसे कई विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि यह बदलाव भारत को एक अनुचित लाभ देने जैसा था।

उन्हें इस निर्णय के खिलाफ आवाज उठाने का प्रमुख कारण यह था कि दुबे और राणा की टीम में भूमिका भिन्न हैं। ICC के कनकशन नियम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि किसी भी कनकशन सब्स्टिट्यूट का चयन करते समय यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वह टीम को अत्यधिक लाभ नहीं दे।

कनकशन सब्स्टिट्यूट पर मोर्ने मोर्कल का समर्थन

कनकशन सब्स्टिट्यूट पर मोर्ने मोर्कल का समर्थन

आलोचनाओं के बीच भारत के गेंदबाजी कोच मोर्ने मोर्कल ने निर्णय का समर्थन किया, यह दावा करते हुए कि भारतीय टीम को इस स्थानापन्न के लिए हरी झंडी दी गई थी। मोर्कल ने कहा कि यह निर्णय पूरी तरह से नियमों के भीतर था और यह मैच के हालात के अनुसार बिल्कुल सही था।

इस घटना ने क्रिकेट की दुनिया में एक व्यापक चर्चा को जन्म दिया कि ICC के नियमों को अधिक स्पष्ट और सुसंगत बनाने की जरूरत है, खासकर उन मैचों में जहाँ यह निर्णय मैच के परिणाम को प्रभावित कर सकता है। इसके अतिरिक्त, यह चर्चा भी हो रही है कि क्या निर्णय की समीक्षा प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाया जा सकता है ताकि भविष्य में इस प्रकार के विवादों से बचा जा सके।

कनकशन नियमों का पुनर्निर्धारण और भविष्य की राह

यह मामला Cricket के कनकशन सब्स्टिट्यूट नियमों पर एक गहन समीक्षा की मांग करता है। यह सुनिश्चत करना महत्वपूर्ण है कि कैसे कनकशन सब्स्टिट्यूट चुने जाते हैं और उनके चयन प्रक्रिया में क्या सुधार की आवश्यकता है। ICC के लिए यह जरूरी है कि वह अपने नियमों का पुनर्निर्धारण करे ताकि किसी भी टीम को अनुचित लाभ न मिल सके और खेल की समता बनाए रखी जा सके।

यह विवाद क्रिकेट में सुरक्षा की प्राथमिकताओं को भी उजागर करता है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि खिलाड़ी-जोकहानी का अध्याय हैं-स्वास्थ्य और सुरक्षा सर्वोपरि रहे। कनकशन जैसी परिस्थितियों से निपटने के लिए संभावित सुधार सुनिश्चित करेगा कि खिलाड़ियों के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े और खेल के नियम सभी के लिए समान हों।

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