भेंडों का अचानक हमला अक्सर ग्रामीण इलाकों में देखना पड़ता है। यह न सिर्फ किसान पर आर्थिक नुकसान करता है, बल्कि लोगों की जान भी खतरे में डाल सकता है। इस पेज पर हम बैल हमलों की ताज़ा खबरें, उनके पीछे के कारण और बचाव के आसान टोटके साझा करेंगे।
पिछले महीने उत्तर प्रदेश के एक गांव में दो बैलों ने सड़क के किनारे खड़े लोगनें पर हमला किया। तेज़ी से आगे बढ़ते हुए उन्होंने लगभग पाँच लोगों को चोटिल किया। पुलिस ने कहा कि बैल अनियंत्रित रूप से भाग रहे थे और मालिक ने उन्हें सही तरीके से रोक नहीं पाए।
बिहार के एक खेत में भी इसी तरह की घटना हुई। किसान ने बताया कि बैल अचानक डर गया और अपनी भीड़ को बख़्श नहीं कर सका। इससे दो छोटे बच्चे चोटिल हो गए। इस घटना की वजह से स्थानीय प्रशासन ने बैलों की देखभाल के लिए नई दिशानिर्देश जारी किए।
गुजरात में एक औद्योगिक पार्क में आधी रात को बैल का हमला हुआ। रसोई की स्लिपरी सतह पर बैल फिसल गया और आसपास के सुरक्षा कर्मी को घसीट कर ले गया। इस घटना ने दिखाया कि बैल का व्यवहार माहौल के बदलाव पर बहुत संवेदनशील होता है।
बैल आमतौर पर डर या गुस्से में हमला करते हैं। अचानक तेज़ आवाज़, तेज़ प्रकाश या नई चीज़ें उन्हें चौंका देती हैं। यदि बैल को ऐसी स्थिति में छोड़ा जाए तो उसका रजाई और आत्मरक्षा का instinct उभरता है।
बैल को शांत रखने के लिये पहले उनके खाने‑पीने के समय को नियमित रखें। खाने के समय पर अचानक बदलाव न करें और हर्डिंग एरिया में भीड़ जमा न होने दें।
यदि बैल को गुस्सा आ रहा हो तो उसकी आँखों में सीधे न देखें। धीरे‑धीरे पीछे हटें और दूर रहने की कोशिश करें। हाथ में कोई चीज़ नहीं रखनी चाहिए जो उसे परेशान कर सके।
बैल के मालिकों को फेंसिंग की जाँच नियमित रूप से करनी चाहिए। टूटी हुई बाड़ या खुले दरवाज़े बैल को बाहर निकलने का रास्ता देते हैं, जिससे हमला होने की संभावना बढ़ जाती है।
स्थानीय प्रशासन को बैल के लिए सुरक्षित पाउंडिंग एरिया बनाना चाहिए, जहाँ वे स्ट्रेस‑फ़्री रह सकें। ऐसी जगहों में पर्याप्त हवादार जगह और पानी की सुविधा होनी चाहिए।
किसान और ग्रामीण लोगों को बैल के व्यवहार के संकेत समझने चाहिए। जैसे कि आँसू की झलक, दांत दिखाना या बहुत तेज़ धड़कन, ये सब संभावित खतरे की चेतावनी होते हैं।
भेंडों की ट्रेनिंग भी मददगार हो सकती है। रोज़ाना छोटे‑छोटे अभ्यास से बैल का मनोबल सुधरता है और वह अति उत्तेजित नहीं होता।
अगर किसी को बैल द्वारा चोट लगती है, तो तुरंत मेडिकल सहायता लें और पुलिस में रिपोर्ट करें। इस तरह के डेटा से भविष्य में बेहतर नीतियां बनानी आसान होती हैं।संक्षेप में, बैल हमले को रोकने के लिए सही देखभाल, सुरक्षित परिधि और जल्द‑जलग चेतावनी आवश्यक है। इन टिप्स को अपनाकर आप और आपका परिवार सुरक्षित रह सकते हैं।
शाहजहांपुर के टिलहार तहखाने के गुलामखेड़ा गांव में एक विधवा, रम्मूर्ति देवी, रात के समय धिमी चाल से बाहर निकलते ही भटके हुए बैल के हमले में घातक रूप से चोटिल हो गईं। 108 पर बुलाए गए एंबुलेंस में अस्पताल पहुँचने से पहले उनकी हालत बिगड़ गई। पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज किया और परिवार को राहत देने की कोशिश कर रही है। यह घटना ग्रामीण इलाकों में बढ़ते बैल-भैंस के दंगे की गंभीर चेतावनी देती है।
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